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Smart patking in jaipuria hospital

Facility in government hospital for the first time, smart parking in Jaipuria, 600 vehicles can be parked simultaneously

11.07.2022
राजधानी में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में स्मार्ट पार्किंग बनाई गई है। जयपुरिया में 12.41 करोड़ से 1150 स्क्वायर फीट में बनाई गई पार्किंग में एक साथ 600 वाहन (160 कार और 435 दो पहिया) खड़े हो सकेंगे। एंट्री करते ही डिस्प्ले बोर्ड से पता चल जाएगा कि पार्किंग के लिए जगह है या नहीं? साथ ही, आग लगने पर ऑटोमेटिक सेंसर आग पर काबू पा लेगा। पार्किंग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बनाई गई है। निगम ने पार्किंग बीओटी (बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर) मॉडल के तहत तैयार की है। जल्द ही इसे लाेगाें के लिए खोल दिया जाएगा। ग्राउंड फ्लाेर पर मेडिकल दुकानें भी बनाई जाएंगी।

1 लाख ली. का टैंक, स्प्रिंकलर से आग बुझाई जा सकेगी

आग लगने पर स्प्रिंकलर से बुझाई जाएगी। इसमें जगह-जगह सेंसर लगाए गए हैं। पार्किंग की छत पर 1 लाख लीटर पानी का टैंक है। जैसे ही पार्किंग में आग या धुंआ उठता है तो ये सेंसर एक्टिव हो जाएंगे। सायरन बजना शुरू हो जाएगा। दूसरी ओर, पार्किंग शुरू होने से सड़कों पर जाम नहीं लगेगा। शुरूआत में पार्किंग 25 साल के लिए दी जाएगी। जयपुरिया के अधीक्षक डॉ. महेश मंगल का कहना है कि अस्पताल में स्मार्ट पार्किंग बन कर तैयार हाे गई है। जल्द ही इसे लाेगाें के लिए शुरू की जाएगी।

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Jaipuriya hospital superintendent filled a case against a clerk

Dr. Sunit Singh Ranawat, former superintendent of Jaipuria Hospital in Jaipur filed a case of assault

09.07.2022
जयपुरिया अस्पताल के पूर्व अधीक्षक डॉ. सुनीत सिंह राणावत ने महिला एलडीसी के पति के खिलाफ बजाज नगर थाने में मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया है। घटना एक अक्टूबर 2021 की बताई है। इस्तगासे से दर्ज मामले में बताया कि महिला कर्मचारी अक्सर कार्यालय में देरी से आती थी। नोटिस देकर देरी से आने का कारण पूछा गया तो उसने पति द्वारा मारपीट करने की बात कही। अधीक्षक ने इसकी शिकायत पुलिस को करने के लिए कहा। अगले दिन महिला का पति डॉ. राणावत के ऑफिस पहुंचा और उनके साथ मारपीट की। गौरतलब है कि उक्त मामले में महिला ने डॉ.राणावत पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने राणावत को अस्पताल अधीक्षक पद सहित राजस्थान मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार पद से भी हटा दिया था। मामले में गठित जांच कमेटी ने भी डॉ.राणावत को दोषी माना था।

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Facilities are not well in bhopal’ Hamidia hospital

Every day three patients are missing from Bhopal’s Hamidia Hospital, angry with the arrangements, patients leave without informing the doctor

09.07.2022
एक महिला वार्ड में भर्ती अपने बच्चे को लेकर परेशान है। महिला बच्चे को घर ले जाना चाहती है, पर अस्पताल के गार्ड उसे बिना डॉक्टर की इजाजत के बाहर नहीं जाने देते। महिला का आरोप था कि बच्चे की तबीयत खराब है। दिनभर कोई डॉक्टर उसे देखने नहीं आया। वो गार्ड से लगातार अस्पताल छोड़ने की जिद करती रही।हमीदिया अस्पताल में लगभग हर रोज दो से तीन मामले ऐसे आते हैं,जब मरीज डॉक्टर को बिना बताए ही अस्पताल छोड़कर चलते जाते हैं। दरअसल, हमीदिया अस्पताल की अव्यवस्थाएं, उपकरणों की कमी यहां तक कि जूडा सहित कर्मचारियों के व्यवहार के चलते कई मरीज अस्पताल छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। अस्पताल रिकॉर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक हर साल 1200 से ज्यादा यानी हर दिन करीब तीन मरीज अस्पताल से गायब हो रहे हैं। चिकित्सीय भाषा में इसे लामा (लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) कहा जाता है। लामा के मामलों में 60 फीसदी पीडियाट्रिक विभाग से होते हैं। बीते साल यहां से 645 बच्चे इलाज के दौरान गायब या लामा हो गए। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के गायब होने से अस्पताल के आला अधिकारी भी चिंतित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह से इलाज अधूरा छोड़ने से मरीजों को खासकर शिशुओं को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

शिशुओं को हो सकती है गंभीर परेशानी
विशेषज्ञों का कहना है अधूरे इलाज से शिशुओं को जानलेवा खतरा हो सकता है। एसएनसीयू में गंभीर मरीजों को रखा जाता है। इसमें अधिकतर बच्चे प्री मेच्योर होते हैं। संक्रमण से बचाने इन बच्चों को एंटीबायोटिक डोज देने होते हैं, जो कम से कम 21 दिन तक चलते हैं। अन्य बीमारियों में भी बच्चों का लंबा इलाज चलता है। कई बार परिजन थोड़ा वजन बढ़ने पर बच्चों को ले जाते हैं। एंटीबायोटिक डोज भी पूरा नहीं हो पाता। ऐसे में बच्चों का संक्रमण तेजी से बढ़ता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।

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Corona positive mother give birth normal child in bilaspur

In Bilaspur’s Maternal Child Hospital, Corona positive mother gave birth to a negative newborn

09.07.2022
मातृशिशु अस्पताल में प्रसव पीड़ा से पहुंची महिला का कोरोना टेस्ट हुआ तो वो पॉजिटिव निकली। स्टॉफ ने पीपीई किट पहनकर उसकी नार्मल डिलीवरी कराई। मां पॉजिटिव होने के बाद भी शिशु निगेटिव है। दोनो को जिला अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती किया गया है। डॉक्टरों ने मां और बच्चे दोनों को स्वस्थ बताया है।गनियारी निवासी कल्याणी साहू 32 वर्षी शु₹वार की सुबह प्रसव पीड़ा के साथ मातृशिशु अस्पताल पहुंची। दर्द अधिक होने के कारण पर्ची काउंटर में ही लेट गई। आनन-फानन स्टाफ द्वारा वार्ड के बिस्तर में भर्ती किया गया। एमएलसी केस होने के कारण तुरंत एंटीजन किट से उसकी कोरोना जांच हुई।प्रसूता का रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव निकला। इसके बाद महिला को आपरेशन थियेटर ले गए इस दौरान दर्द और बढ़ने लगा तब स्टॉफ ने पीपीई किट पहनकर प्रसुता का नॉर्मल डिलीवरी कराई। डिलीवरी के बाद नवजात की कोरोना टेस्ट किया गया तब निगेटीव निकला। जच्चा और बच्चा को मातृशिशु अस्पताल से दोनो को जिला अस्पताल के कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया है। मरीज के साथ उसके एक परिजन को भी कोविड वार्ड में रहने के लिए प्राइवेट वार्ड दिया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ है।

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Lift closed in hospital in Ujjain for two years

Lift closed in hospital in Ujjain for two years, new work is also going on at a slow pace

08.07.2022

जिला चिकित्सालय की लिफ्ट दो वर्षों से बंद है। बार-बार लिफ्ट खराब होने के बाद अब नई लिफ्ट लगाने का काम भी धीमी गति से चल रहा है। जिला चिकित्सालय में ऑपरेशन थियेटर (ओटी) फर्स्ट फ्लोर पर है। लिफ्ट चालू नहीं होने की स्थिति में मरीजों को स्ट्रेचर पर डालकर ओटी में ले जाना पड़ता है। उज्जैन जिला चिकित्सालय संभाग का सबसे बड़ा चिकित्सालय है।इसलिए यहां आसपास के अन्य गांवों और शहरों के मरीज भी उपचार के लिए आते हैं। जिले की लगभग सभी तहसीलों से गंभीर मरीजों को भी इसी अस्पताल में रैफर किया जाता है। इसके बावजूद अस्पताल की पुरानी लिफ्ट दो साल से बंद पड़ी है। नई लिफ्ट का काम भी अब तक पूरा नहीं हुआ है। अस्पताल प्रशासन ने हड्डी वार्ड को ग्राउंड फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया है लेकिन गंभीर घायलों को फर्स्ट फ्लोर पर संचालित होने वाले ऑपरेशन थियेटर तक ले जाने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। नई लिफ्ट लगाने का काम शुरू हुआ है लेकिन अब तक इसका भी केवल ढांचा ही बनकर तैयार हुआ है। ऐसी स्थिति में लिफ्ट को शुरू होने में अभी भी कम से कम दो से तीन माह का समय लग सकता है।

स्ट्रेचर से मरीज के गिरने की हो चुकी घटनाएं

लिफ्ट बंद होने से मरीज को ओटी तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर का सहारा लेना पड़ता है। ऐसी स्थिति में स्ट्रेचर से गिरने की घटनाएं भी हो चुकी हैं। ढाई माह पहले एक युवक आगर रोड पर बाइक से गिरकर घायल हो गया था। उसे 100 डायल जिला अस्पताल लेकर पहुंची थी। डॉक्टर ने उसे बी-वार्ड में शिफ्ट करने के लिए कहा। लिफ्ट बंद होने से कर्मचारी घायल को स्ट्रेचर पर डालकर वार्ड तक ले जा रहे थे। इसी बीच घायल सीढ़ी पर गिर गया था। उस समय जिला अस्पताल ने दावा किया था कि नई लिफ्ट का टेंडर होने के बाद दो माह के भीतर संचालन शुरू कर दिया जाएगा लेकिन काम ही पूरा नहीं हो सका है।

लिफ्ट का काम जल्द पूरा होगा

अस्पताल में लिफ्ट का कार्य चल रहा है। जल्द से जल्द लिफ्ट का कार्य पूरा होगा। जिससे मरीजों को लिफ्ट की सुविधा मिल सकेगी।

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A surprise inspection of DB hospital

In Churu Assembly, Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathod did a surprise inspection of DB Hospital, annoyed and said the doctor himself, not in the aprine, hangs glucose on the oxygen point

08.07.2022

विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने गुरुवार सुबह डीबी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने अस्पताल की सफाई व्यवस्था को देखकर नाराजगी जताते हुए कहा कि अस्पताल खुद बीमार है। इसमें दूसरों का ईलाज कैसे होता होगा। इस दौरान डॉक्टर ओर नर्सिंग स्टाफ भी ड्रेस कोड में नहीं थे, जिस पर राठौड़ ने कहा कि डॉक्टर खुद एप्रीन में नहीं हैं खालाजी का बाड़ा है क्या अस्पताल।राठौड़ ने कहा कि फिजीशियन ओपीडी में नहीं बैठते हैं। इसलिए उनको समयानुसार ओपीडी में बैठने के लिए पाबंद करें अन्यथा उन पर कार्रवाई करें। अस्पताल के हर कोने में लगे मकड़ी के जालों को देखकर राठौड़ ने हॉस्पिटल सुप्रीडेंट डॉ. हनुमान जयपाल से कहा कि सफाईकर्मी अगर काम नहीं करते हैं तो उनको हटाकर दूसरे लगाओ। एक्स-रे रूम का निरीक्षण करते हुए रेडियोग्राफर को फटकार लगाते हुए कहा कि जहां बैठते हो वहां की व्यवस्था में सुधार करो। अस्पताल परिसर के बाहर लगे घास-फूस को देखते हुए कहा कि हम तो यहां खुद मलेरिया और डेंगू को आने का न्यौता दे रहे हैं। हम कैसे ईलाज करेंगे। इस मौके पर पूर्व जिला प्रमुख हरलाल सहारण, चन्द्राराम गुरी, सुशील लाटा, दीनदयाल सैनी, सुरेश सारस्वत, एमगोपाल बालाण, भंवर गुर्जर, डॉ. साजीद चौहान, नर्सिंग अधीक्षक रमेश कुमारी, उषा, मंगल सिंह आदि मौजूद थे।

1100 रुपए बधाई के लेने पर शिकायत

निरीक्षण के दौरान सामने आया कि एमसीएच के एक वार्ड में ऑक्सीजन पॉइंट पर ग्लूकोज की बोतल लटका कर लगा रखी थी। इस पर भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने काफी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अस्पताल में व्यवस्थाएं राम भरोसे ही है। एमसीएच की एसी बंद हैं। मातृ शिशु अस्पताल में निरीक्षण के दौरान राठौड़ ने कहा कि एमसीएच की एसी डक्ट बंद पड़ा है। इतनी गर्मी में प्रसूता व नवजात को होने वाली परेशानी का थोड़ा तो ध्यान रखो। एमसीएच के वार्डों में बने बाथरूम में गंदगी देखकर राठौड़ ने कहा कि इसमें एक स्वस्थ व्यक्ति कैसे जा सकता है। सुप्रीडेंट साहब अगर सफाई व्यवस्था में सुधार नहीं करवा सकते तो सफाईकर्मियों की छुट्टी कर दो। निरीक्षण के दौरान एक वार्ड में गाजुवास निवासी प्रसूता मनोज ने बताया कि बुधवार देर रात प्रसव से लड़का हुआ था जिस पर लेबर रूम स्टाफ ने उससे 1100 रुपए बधाई के रूप में लिए हैं। इस पर राठौड़ ने मेडिकल सुप्रीडेंट से मामले की जांच करवाने की बात कही।

डॉक्टर का ऑफ तो सोनोग्राफी भी बंद

निरीक्षण के दौरान सामने आया कि रेडियोलॉजिस्ट डॉ. बीएल नायक गुरुवार को विकली ऑफ पर थे। इस पर राठौड़ ने अधीक्षक से कहा कि अगर डॉ. नायक विकली ऑफ पर है तो क्या अस्पताल में आज सोनोग्राफी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आप मुझे लिखकर दो मैं चिकित्सा विभाग के प्रिंसिपल सेकेट्री से आज ही इस संबंध में बात करूंगा।

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First knee transplant successful in Neemkathana

First knee transplant successful in Neemkathana district hospital, free treatment under Chiranjeevi scheme, patient started walking after two days

08.07.2022

घुटने के दर्द से पीड़ित उपखंड क्षेत्र के लोगों के लिए राहत भरी खबर राजकीय कपिल जिला अस्पताल से आई है। यहां पहली बार एक वृद्ध के घुटने का सफल प्रत्यारोपण किया गया। प्रत्यारोपण के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ महसूस कर रहा है। सर्जरी करने वाली टीम में ऑर्थोपेडिक विभाग के डॉ.अरविंद जांगिड़, डॉ. योगेश शर्मा, डॉ.सत्यवीर, नर्सिंग स्टाफ के सुरेश यादव, गौरी शंकर, गरीबनाथ व अन्य शामिल थे। जिला अस्पताल की स्थानीय टीम ने ही सफल घुटना प्रत्यारोपण किया है।

दो दिन बाद चलने लगा मरीज

नीम का थाना के छावनी निवासी गुलाबचंद सैनी (65) पिछले पांच सालों से घुटने के दर्द से पीड़ित थे। कई जगह इलाज कराने के बाद सैनी राजकीय कपिल जिला अस्पताल के आर्थो सर्जन अरविंद जांगिड़ के संपर्क में आए। जिला अस्पताल के आर्थोपेडिक विभाग ने परीक्षण के बाद दवा शुरु की और घुटने के प्रत्यारोपण की जरूरत बताई। मरीज की सहमति के बाद बाएं घुटने का ऑपरेशन किया गया। इसके दो दिन बाद मरीज को चलाया गया। अभी मरीज के दाएं पैर की सर्जरी होनी बाकी है।

करीब दो लाख रुपए का इलाज हुआ फ्री में

आर्थोपेडिक डॉ. जांगिड़ ने बताया कि मरीज के घुटने का प्रत्यारोपण चिरंजीवी योजना के अंतर्गत किया गया है। जिससे लाभान्वित मरीज के घुटने के प्रत्यारोपण में ना के बराबर खर्चा आया है। निजी अस्पताल में घुटना प्रत्यारोपण के लिए डेढ़ से दो लाख रुपए का खर्च आता है। मरीज प्रत्यारोपण से पूर्व चल फिर नही पा रहा था। मरीज अब पूर्ण रूप से स्वस्थ है।इस सर्जरी में करीब दो घंटे का समय लगा।

जरूरतमंद लोगों की समस्या होगी दूर

ऑर्थोपेडिक डॉ. सत्यवीर ने बताया कि नीम का थाना क्षेत्र में घुटने के दर्द से पीड़ित गरीब और मध्यमवर्गीय जरूरतमंद को परेशानी का सामना करना पड़ता था। अब वह समस्या दूर हो जाएगी।

कंप्यूटराइज्ड एसिस्टेड सर्जरी से किया गया प्रत्यारोपण

आर्थोपेडिक डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि आर्थो एलाइन की सहायता से कंप्यूटराइज्ड एसिस्टेड सर्जरी के दौरान एकदम सटीक कोणों पर हड्डी को काटकर उसके चारों तरफ ऊतकों को सुरक्षित किया जाता है। घुटने के इंपलांट की आयु भी इसी बात पर निर्भर करती है कि इंपलांट को कितनी अच्छी तरह से प्रत्यारोपित किया गया है।

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Sonography machine wil be give to chaksu hospital

Sonography machine will be given to the sub-district hospital of Chaksu

07.07.2022
चाकसू उपजिला अस्पताल मे सोनोग्राफी की सुविधा को लेकर स्थानीय लोगो द्वारा की जा रही मांग को देखते हुए विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने विधायक कोष से 24 लाख रूपये की अनुशंसा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को भेजी है।

रियायती दरों में हो सकेगी सोनोग्राफी
गौरतलब है कि चाकसू उपजिला अस्पताल मे सोनोग्राफी की मशीन नही होने के कारण प्रतिदिन 70 -80 मरीजो को बाहर निजी सेटरो से महंगी दरो पर सोनोग्राफी करवानी पड़ रही है। ऐसे मे अब आगामी समय मे अस्पताल मे रियायती दर पर मरीजो को सोनोग्राफी की सुविधा मिल सकेगी। जिससे मरीजो को बड़ी राहत मिल सकेगी।

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More patients admitted in 150 beds sims hospital,Chattisgarh

In the Medicine Department of Chhattisgarh Institute of Medical Sciences (SIMS), the capacity to admit patients is 150 beds, but 225 patients are admitted.

07.07.2022
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान यानी सिम्स के मेडिसिन डिपार्टमेंट के पास मरीजों को भर्ती करने की क्षमता 150 बेड की है, लेकिन यहां फिलहाल 225 मरीज भर्ती हैं। इनमें सिर्फ सर्दी या बुखार के ही नहीं निमोनिया, पीलिया, लीवर, ब्लड प्रेशर और शुगर के भी मरीज शामिल हैं। डॉक्टर और स्टाफ की कमी के चलते यहां ऐसे हालात बन गए हैं कि मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। एक नर्स 30 पेशेंट को संभाल रही है। इसके बावजूद बड़े अधिकारी यहां व्यवस्था बनाने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।मेडिसिन की ओपीडी में हर दिन बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे। रोज 15 से 20 मरीज सर्दी खांसी के और बाकी अन्य समस्या लेकर यहां आते हैं। अब दिक्कत यह आने लगी है कि मरीजों को भर्ती कहां करें? क्योंकि इस डिपार्टमेंट में ना तो उस तरह से बिस्तरों की सुविधा है और ना ही डॉक्टर व स्टाफ की। यही कारण है कि किसी को दूसरे विभाग के बेड पर रखकर इलाज करना पड़ रहा है।डॉक्टरों का कहना है कि वे मरीजों को लौटा नहीं सकते, इसलिए इस कंडीशन में इलाज करना उनकी मजबूरी है। सिम्स प्रबंधन ने शासन को स्टाफ बढ़ाने और सुविधाएं देने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन अभी तक वहां से ना तो डॉक्टर और ना स्टाफ नर्स के अलावा अन्य पदों पर भर्ती की मंजूरी मिली है। जिसके कारण सिम्स में मरीजों को उचित तरह से इलाज नहीं मिल पा रहा है। इसलिए मरीजों को ऑर्थोपेडिक वार्ड और दूसरी जगह भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।

एक नर्स 30 को इंजेक्शन लगा रही
सिम्स में मरीजों की संख्या जिस तेजी से बढ़ती चली जा रही है उस तेजी से सुविधा नहीं मिल रही। एक स्टाफ नर्स दिनभर में रोजाना 30 लोगों को इंजेक्शन लगाती हैं। इससे ही उनके कमर में दर्द उठने लगा है। डॉक्टर और पूरा स्टाफ जिस हालात में यहां काम कर रहे हैं उससे उन्हें ही समस्याएं शुरू हो रही है। फिर भी नए डॉक्टर और नर्स सहित अन्य स्टाफ की भर्तियां नहीं हो रही है।

हमने स्टाफ बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है
सिम्स में जिस तरह से मरीजों की भीड़ आ रही है उसके हिसाब से नर्सिंग स्टाफ कम है। हमने नई भर्तियों के लिए प्रस्ताव भेजा है। जैसे ही शासन से मंजूरी मिलेगी, प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जहां जिस वार्ड में अव्यवस्था है, दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। -डॉ. नीरज शेंडे, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, सिम्स

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Fake employees treat injured in hospital of pokran

Outsiders treating the injured as a fake employee without taking any training in the government hospital of Pokaran

06.07.2022
पोकरण के सबसे बड़े अस्पताल में खुद को नर्सिंगकर्मी बता घायलों से वसूले जा रहे हैं पैसे
उपखंड के सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों व अधिकारियों की उदासीनता ने चिकित्सा विभाग के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है। अस्पताल में कार्यरत कार्मिकों और अधिकारियों की लापरवाही का यह आलम है कि किसी दुर्घटना के दौरान बाहरी व्यक्तियों द्वारा आपातकालीन कक्ष में घायलों का उपचार किया जा रहा है। एक तरफ चिकित्सा विभाग झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पताल में ही बिना कोई प्रशिक्षण लिए फर्जी कर्मचारी बन घायलों का उपचार कर रहे है।लेकिन पोकरण अस्पताल प्रबंधन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इन अप्रशिक्षित युवकों द्वारा घायलों के घाव की सफाई, तो कभी घायलों के घावों पर पटि्टयां देने के साथ-साथ टांके देने जैसा महत्वपूर्ण काम भी किया जा रहा है। सरकारी अस्पताल में आने वाले घायलों के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ भी अस्पताल प्रबंधन उन्हें रोकने तक की जहमत नहीं उठा रहा है।इतना ही नहीं यह लोग अपने आप को नर्सिंग कर्मचारी बताकर घायलों से रुपए ऐंठने का भी काम कर रहे है। इस संबंध में पूर्व में कुछ लोगों द्वारा शिकायत करने पर जिम्मेदारों द्वारा बिना कार्मिक आपातकालीन कक्ष में उपचार करने वाले इन युवकों को बाहर का रास्ता तक बता दिया था। लेकिन अधिकारियों के जाने के बाद ऐसे लोग फिर से आपातकालीन कक्ष और उसके आस-पास भटकते रहते हैं।
गंभीर लापरवाही;

इमरजेंसी वार्ड में गंभीर घायलों का इलाज कर रहे फर्जी नर्सिंगकर्मीअस्पताल परिसर में घूम रहे इस तरह के युवक जो न तो कार्मिक है और न ही स्टाफ का हिस्सा है। वह दुर्घटना के साथ ही अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहले तो परिजन बनकर प्रवेश करते हैं और फिर स्टाफ का हिस्सा बन घायलों के घावों की सफाई से लेकर उन्हें ग्लूकोज की बोतल तक चढ़ाने का काम करने लग जाते हैं। इस तरह से बिना किसी ट्रेनिंग और डिग्री के घायल मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कभी भी भारी पड़ सकता है।लेकिन इस संबंध में विभागीय अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अपने आप को अस्पताल का कार्मिक बताने वाले यह युवक न सिर्फ कार्मिकों की उपस्थिति में घायलों का उपचार तक करना शुरू कर देते हैं। वहीं आपातकालीन कक्ष में मरीजों के परिजनों से चिकित्साकर्मी बनकर रुपए भी वसूल रहे है। ऐसे में जहां घायल व्यक्ति के परिजनों के सामने नर्सिंग कार्मिकों की छवि खराब हो रही है। वहीं दूसरी ओर फर्जी कार्मिक बनकर यह व्यक्ति अपनी जेब गर्म करने में जुटे हुए हैं।अस्पताल में ऐसे व्यक्ति जो स्टाफ का हिस्सा नहीं है और आपातकालीन कक्ष में प्रवेश कर उपचार करने लगते हैं उनके बारे में सभी कार्मिकों को नोटिस दिया जा चुका है। इसके साथ ही सभी स्टाफ को पाबंद भी कर दिया गया है। ऐसे लोगों की सूची बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। -डॉ. कामिनी गुप्ता, चिकित्सा प्रभारी, उप जिला अस्पताल पोकरण

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