Every day three patients are missing from Bhopal’s Hamidia Hospital, angry with the arrangements, patients leave without informing the doctor

09.07.2022
एक महिला वार्ड में भर्ती अपने बच्चे को लेकर परेशान है। महिला बच्चे को घर ले जाना चाहती है, पर अस्पताल के गार्ड उसे बिना डॉक्टर की इजाजत के बाहर नहीं जाने देते। महिला का आरोप था कि बच्चे की तबीयत खराब है। दिनभर कोई डॉक्टर उसे देखने नहीं आया। वो गार्ड से लगातार अस्पताल छोड़ने की जिद करती रही।हमीदिया अस्पताल में लगभग हर रोज दो से तीन मामले ऐसे आते हैं,जब मरीज डॉक्टर को बिना बताए ही अस्पताल छोड़कर चलते जाते हैं। दरअसल, हमीदिया अस्पताल की अव्यवस्थाएं, उपकरणों की कमी यहां तक कि जूडा सहित कर्मचारियों के व्यवहार के चलते कई मरीज अस्पताल छोड़ने पर मजबूर हो जाते हैं। अस्पताल रिकॉर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक हर साल 1200 से ज्यादा यानी हर दिन करीब तीन मरीज अस्पताल से गायब हो रहे हैं। चिकित्सीय भाषा में इसे लामा (लीव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस) कहा जाता है। लामा के मामलों में 60 फीसदी पीडियाट्रिक विभाग से होते हैं। बीते साल यहां से 645 बच्चे इलाज के दौरान गायब या लामा हो गए। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के गायब होने से अस्पताल के आला अधिकारी भी चिंतित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह से इलाज अधूरा छोड़ने से मरीजों को खासकर शिशुओं को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

शिशुओं को हो सकती है गंभीर परेशानी
विशेषज्ञों का कहना है अधूरे इलाज से शिशुओं को जानलेवा खतरा हो सकता है। एसएनसीयू में गंभीर मरीजों को रखा जाता है। इसमें अधिकतर बच्चे प्री मेच्योर होते हैं। संक्रमण से बचाने इन बच्चों को एंटीबायोटिक डोज देने होते हैं, जो कम से कम 21 दिन तक चलते हैं। अन्य बीमारियों में भी बच्चों का लंबा इलाज चलता है। कई बार परिजन थोड़ा वजन बढ़ने पर बच्चों को ले जाते हैं। एंटीबायोटिक डोज भी पूरा नहीं हो पाता। ऐसे में बच्चों का संक्रमण तेजी से बढ़ता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।

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