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Operation theatre again started in bhopal ,JP hospital

OT resumed in Bhopal’s Jaiprakash Hospital (JP), four operations on the first day

13.07.2022
जेपी अस्पताल का आई ओटी सप्ताह भर बाद फिर शुरू हो गया। पहले दिन चार मरीजों का मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी किया गया है। मालूम हो कि इसमें नल टूटने के चलते पानी भर गया था जिससे सावधानीवश ऑपरेशन बंद कर कल्चर टेस्ट कराए गए थे। टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ओटी फिर शुरू कर दी गई है। जेपी अस्पताल के नेत्र विभाग की ओटी के टॉयलेट में निर्माण सामग्री रखने के दौरान नल टूट गया था। उस दौरान टंकी में पानी नहीं था। इस कारण पानी नहीं बहा। दूसरे दिन जब टंकी भरी गई तो रात में टूटे नल से पानी निकलकर टायलेट से होते हुए पूरे ओटी में भर गया था। पानी भरने से ओटी में संक्रमण फैलने का खतरा था। इस कारण इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद पानी निकालकर ओटी को हाइपोक्लोराइड से संक्रमणमुक्त कर दिया गया। सावधानी के लिए ओटी से कुछ जगह से स्वाब के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। ओटी शुरू होने के बाद अब यहां मोतियाबिंद के आपरेशन, आंख में चोट लगने पर होने वाले आकस्मिक आपरेशन व अन्य तरह की सर्जरी हो सकेंगी।

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Money invest in the name of software in gov.hospital ,Bhopal

Government hospitals of Bhopal spent about Rs 6 crore in the name of their own software citing the convenience of patients

13.07.2022
शहर के सरकारी अस्पताल मुफ्त की कोई भी चीज पसंद नहीं करते। यही वजह है कि अस्पतालों का कामकाज निर्धारित करने के लिए केन्द्र के मुफ्त के पोर्टल का उपयोग नहीं करना चाहते। शहर के सरकारी अस्पतालों ने मरीजों की सुविधा का हवाला देकर खुद के सॉफ्टवेयर के नाम पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। हमीदिया से लेकर एम्स और अन्य सरकारी अस्पतालों ने राशि तो खर्च कर दी, लेकिन अपने स्तर पर जो पोर्टल तैयार कराए वे फिलहाल तो काम नहीं कर रहे।

हमीदिया अस्पताल: खर्च किए 2.5 करोड़ रुपए:
हमीदिया में तीन साल पहले हेल्थ इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया था। दावे हुए थे कि पूरे काम ऑनलाइन होंगे। यही नहीं इस सॉफ्टवेयर को सरकारी एजेंसी 25 लाख में तैयार कर रही थी, लेकिन प्रबंधन ने निजी एजेंसी को 2.5 करोड़ रुपए दे दिए। इसके बावजूद अब तक सॉफ्टवेयर तैयार नहीं है।

एम्स:फर्जीवाड़ा ऐसा कि हो गई जांच
एम्स भोपाल में भी सॉफ्टवेयर के निर्माण के दौरान फर्जीवाड़ा हुआ। एम्स प्रबंधन ने अपने सॉफ्टवेयर निर्माण के लिए सरकारी एजेंसी को 86 लाख रुपए जारी किए, लेकिन चार साल तक सॉफ्टवेयर का निर्माण नहीं हो पाया। इसके बाद एम्स मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने निजी एजेंसी को सॉफ्टवेयर का ठेका दे दिया।

अन्य अस्पतालों में भी खुद के सॉफ्टवेयर फेल:
जेपी अस्पताल में भी सॉफ्टवेयर तैयार किए गए। उस दौरान यह प्रचारित किया गया कि प्रदेश का पहला अस्पताल जहां मिलेगी कतारों से आजादी, लेकिन स्थिति अब भी वैसी ही है। वहीं गैस राहत विभाग के सभी अस्पतालों और बीएमएचआरसी में भी सॉफ्टवेयर तैयार किए गए, जो अब तक अधूरे ही हैं।

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Patients are not satisfied with cleaning process of sms hospital ICU.

Due to lack of cleanliness of state-of-the-art ICU in Sawai Mansingh Hospital (SMS), Jaipur, flies are buzzing on the patient admitted on ventilator, video viral

12.07.2022
राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ICU की शर्मसार करती तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर में ICU के वेंटीलेटर पर भर्ती मरीज के ऊपर मक्खियां भिनभिनाती दिखाई दे रही है! जानकारी के मुताबिक ब्रेन स्ट्रोक ICU में गंभीर मरीजों पर मक्खियां भिनभिनाती रहती है. वेंटीलेटर पर जिन्दगी से जूझते मरीजों पर इंफेक्शन का खतरा मंडरा रहा है. साफ-सफाई के अभाव में ट्रीटमेंट एरिया से लेकर बाथरूम के हालात खस्ता है.ICU में इस तरह की अनदेखी से मरीज और तीमारदार खासे परेशान है।अस्पताल में उच्च स्तर पर शिकायत के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आश्चर्य यह कि पिछले दिनों ही लाखों रुपए की लागत से स्ट्रोक ICU बनाया गया। ब्रेन हेमरेज के गंभीर मरीजों के डेडिकेटेड इलाज के लिए ICU बनाया गया। ऐसे में सवाल यह कि आखिर जिम्मेदारों को क्यों नहीं गंभीर मरीजों के जीवन की चिंता?

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NO facilities of rain water accumulation in bikaner PBM hospital

Patients and their families are upset due to accumulation of rain and sewerage water in an area of about 500 meters in the PBM Hospital premises of Bikaner.

12.07.2022

परिसर में करीब 500 मीटर का क्षेत्र चार दिनों से बारिश और सीवेज से घिरा हुआ है। इस गंदे पानी से मरीजों को गुजरना पड़ रहा है। व्यवस्था की नाकामी को देखिए प्रशासन इतनी गंभीर समस्या का इलाज आज तक नहीं कर पाया है। पीबीएम और जिला प्रशासन की नाकामी के कारण इस अस्पताल के तीन अस्पताल और एक ब्लड बैंक, जिसमें रोजाना 6,000 बाहरी सुविधाएं हैं, बारिश के पानी से घिरे हैं। स्थिति यह है कि पीबीएम के ट्रॉमा सेंटर, हार्ट हॉस्पिटल, ब्लड बैंक और चुन्नीलाल सोमानी अस्पताल में आने वाले सैकड़ों मरीजों को अपने पैर गंदे पानी में डुबाना पड़ रहा है. तीन अस्पतालों के सामने और एक ब्लड बैंक के पानी से सड़क पर गहरे गड्ढे हो गए हैं।जिसमें रोजाना करीब बीस मरीज व उनके परिजन बाइक से सोने के कारण गिर रहे हैं। इतना ही नहीं अस्पताल के मुर्दाघर के सामने पानी भर जाने से एंबुलेंस चालकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एंबुलेंस के चालक रमेश चौधरी ने कहा कि कई बार वाहन सड़क पर गहरे गड्ढे में फंस गया और उसे बाहर निकालना पड़ा।समाजसेवी और पार्षद आदर्श शर्मा ने कहा कि संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल का ऐसा नजारा प्रशासन की नाकामी को दिखाने के लिए काफी है। उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में सीवरेज के पानी के कारण परेशानी का सामना कर रहे मरीजों और उनके परिवारों की परेशानी और भी बढ़ जाती है। सोमवार को बाइक सवार महिलाएं व पुरुष बारिश के पानी में डूबते दिखे।

सीवर सिस्टम फेल
अस्पताल का सीवर सिस्टम फेल हो गया है। हालांकि अस्पताल प्रशासन सीवर की सफाई के नाम पर सालाना करीब दो करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। अस्पताल की सीवर लाइन में खामी के कारण छत से बारिश का पानी भी नाले में नहीं पहुंच रहा है. कई जगहों पर गड्ढों का ढलान भी उल्टा है। सोमवार को हार्ट अस्पताल में अपने पिता से मिलने पहुंचे सूरज पारिख ने कहा कि बाइक में असंतुलन के कारण वह अपने पिता के साथ गंदे पानी में गिर गया। वह भाग्यशाली था कि उसे और उसके पिता को चोट नहीं आई।
हम पम्प लगाकर बारिश का पानी निकालेंगे
पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण ट्रामा, हार्ट, शबघर, चुनीलाल समेत जनाना व मरदाना अस्पतालों में पानी भर गया है। मरीजों व उनके परिजनों को हो रही परेशानी को देखते हुए वाटर पंप लगाकर बारिश के पानी को सड़कों से हटाने का प्रयास किया जाएगा। -चिकित्सक प्रमोद कुमार सैनी, अधीक्षक, पीबीएम अस्पताल

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Corona in patna

All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) Patna and Patna Medical College Hospital (PMCH) in the case of two corona patients, 167 new cases were found in Patna.

12.07.2022
राज्य में साेमवार काे कोरोना के 344 और पटना में 167 मरीज मिले। बांका में 45, गया में 21, बांका में 19, मुजफ्फरपुर में 17 और रोहतास में 10 नए संक्रमित मिले हैं। साथ ही पटना एम्स और पीएमसीएच में एक-एक संक्रमित की मौत हाे गई।एम्स में अरवल के 55 साल के विजय सिंह की मौत हुई है। उन्हें रविवार को भर्ती कराया गया था। इससे पहले एम्स में 20 साल की युवती और चार साल के बच्चे की भी मौत हो चुकी है। पीएमसीएच में ब्रेन हेमरेज और काेराेना पीड़ित बेगूसराय की 80 साल की शारदा देवी की मौत हाे गई। एम्स में सोमवार को तीन मरीज भर्ती हुए हैं। यहां 14 मरीजों का इलाज चल रहा है।पीएमसीएच और आईजीआईएमएस में दाे-दो नए मरीज भर्ती हुए हैं। एनएमसीएच में एक नया मरीज भर्ती हुआ है। यहां चार मरीजों का इलाज चल रहा है। राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या 2270 और पटना में 1280 हो गई है। पटना की पॉजिटिविटी रेट 2.85 फीसदी और राज्य की 0.459 फीसदी हो गई है।

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Firing in private hospital of gurdaspur,PUNJAB

Gangsters in Punjab’s Gurdaspur demanded a ransom of 5 lakhs from the doctor of a private hospital, fired upon refusal; child care doctor

12.07.2022

डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर)। गांव तलवंडी रामा में रविवार देर रात एक निजी अस्पताल में अज्ञात व्यक्तियों की ओर से गोलियां चलाने का मामला सामने आया है। अस्पताल के मालिक व मौजूदा सरपंच डा. पलविंदर सिंह ने बताया कि वह गत रात करीब 8 बजे छुट्टी करके वापस अपने गांव पखोके महमारा आ गए। उन्हें रात करीब 9 बजे अस्पताल में डयूटी कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि अस्पताल के बाहर गोली चली है। जिसके बाद उन्होंने तुरंत घटना संबंधी पुलिस को सूचित किया और पुलिस चौकी मालेवाल के एसएचओ डेरा बाबा नानक मौके पर पहुंचे और घटना का जायजा लिया।पलविंदर सिंह ने बताया कि 1 जुलाई को मलेशिया से तूफान नामक गैंगस्टर की काल आई थी और उसने पांच लाख रुपये की फिरौती की मांग की थी। साथ में उसने धमकी भी थी कि यदि उसने पांच लाख रुपये नहीं दिए तो उसे जान से मार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके बाद भी उसे फोन आते रहे, लेकिन उन्होंने बाद में फोन रिसीव नहीं किया। अस्पताल पर गोलियां चलाने के बाद उसके वाट्सएप पर मैसेज आया कि यह सिर्फ ट्रेलर है।

एसएसपी बटाला को फिरौती मांगने संबंधी दी थी शिकायत

डाक्टर ने बताया कि फिरौती मांगने संबंधी सूचना एसएसपी बटाला को दे दी गई थी। उन्होंने संबंधित डीएसपी की डयूटी लगाई थी लेकिन इसके बावजूद भी उनके अस्पताल पर गोलियां चलाई गई है। उन्होंने पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारियों से मांग की है कि आरोपितों को तुरंत काबू किया जाए।इस मामले संबंधी एसएचओ डेरा बाबा नानक जसविंदर सिंह का कहना है कि उन्होंने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और कार्रवाई की जा रही है। गाैरतलब है कि पंजाब में सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद फायरिंग की घटनाएं लगातार बढ़ रही है।

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Orthopedic doctors not available in kalka sub-divisional hospital

There is no bone doctor in Kalka’s sub-divisional hospital, 15% patients return

12.07.2022
कालका के सबडिवीजन अस्पताल में पूरे डॉ ना होने की वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि उन्हें मजबूरन निजी अस्पतालों में या पंचकूला स्थित नगरी अस्पताल में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्योंकि हफ्ते में यहां 3 दिन ही बच्चों के डॉक्टर आते हैं। डॉक्टरों की कमी के चलते अन्य अस्पताल में जाने से आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। हड्डियों के डॉक्टर व अन्य डॉक्टर ना होने की वजह से उन्हें पंचकूला जाकर इलाज कराना पड़ रहा है जहां उनका खर्चा भी ज्यादा हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल को अपग्रेड तो कर दिया गया है परंतु कई वर्षों से यहां ना डॉक्टर की पोस्टिंग हुई है ना ही वैसी स्वास्थ्य सेवाएं

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MCD,hospitals buildings damage in delhi

The dilapidated buildings of MCD hospitals in Delhi will be investigated, committee constituted

12.07.2022
दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों का बदहाल इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार पिछले कुछ महीनों से सुर्खियां बना हुआ है। इस बीच दिल्ली की एकीकृत नगर निगम के द्वारा अपने अंतर्गत आने वाले सभी अस्पतालों की जो इमारतों है उनकी जांच के मद्देनजर एक विशेष कमेटी का गठन कर दिया गया है, जिसमें निगम के वरिष्ठ अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई। यह पूरी कमेटी अगले एक महीने में जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।बता दें कि बीते दिनों निगम के सबसे बड़े मेटरनिटी अस्पताल कस्तूरबा में ऊपरी मंजिल के पिछले हिस्से का छज्जा गिर जाने की वजह से बड़ा विवाद हुआ था।इस घटना से पहले भी इस तरह के हादसे निगम के अस्पतालों में होते रहे हैं, चाहे निगम के अंतर्गत आने वाला राजन बाबू टीबी अस्पताल हो या फिर हिंदू राव अस्पताल या फिर मेटरनिटी अस्पताल कस्तूरबा अस्पताल तीनों ही अस्पतालों में लगातार एक के बाद एक खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के बदहाल हालत को लेकर खबर सामने आ रही हैं। हालातों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते कुछ महीनों में लगभग तीन बार कस्तूरबा अस्पताल में छज्जे नीचे गिरने की खबर अखबारों की सुर्खियां बन चुकी हैं।जिसे देखते हुए निगम के विशेष अधिकारी और कमिश्नर के द्वारा विशेष कमेटी का गठन कर एमसीडी के सभी अस्पतालों की इमारतों की जांच के निर्देश दे दिए गए हैं।

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Facilities not available in district hospital ,ujjain

In the rain, patients and relatives have to stand in the open to take medicines in the district hospital of Ujjain.

12.07.2022
मानसून की शुरुआत के बावजूद एक सप्ताह से बारिश इंतजार करवा रही है। हालांकि इस दौरान दो-तीन दिन रिमझिम चलती रही, लेकिन मौसम विभाग मंगलवार से एक सप्ताह के लिए जोरदार बारिश बता रहा है। विभाग का कहना है कि अरब सागर में सिस्टम बना है, वहीं बंगाल की खाड़ी से मानसून उज्जैन की ओर तेजी से बढ़ गया है, जो 12 जुलाई की दोपहर से जोरदार बारिश के रूप में दस्तक देगा।बता दें सोमवार को भी सुबह घंटेभर रिमझिम रही, जबकि दिनभर बादलों के साथ छिटपुट बारिश हुई। जीवाजी वेधशाला के अनुसार रविवार रात 7 तथा सोमवार दिन भर में 1.4 एमएम बारिश दर्ज की गई। इस मौसम में अब तक उज्जैन शहर में 241 एमएम बारिश हो चुकी है, जबकि जिले की औसत बारिश 263.3 मिमी दर्ज हो चुकी है। भू-अभिलेख कार्यालय के अनुसार 24 घंटों में जिले में सभी ओर बारिश हुई, जिसमें सबसे अधिक वर्षा झार्डा तहसील में 37 मिमी दर्ज की गई। उज्जैन तहसील में भी अब तक 320 मिमी वर्षा हो चुकी है। रविवार रात और सोमवार दिन का पारा भी गिरकर 23.2 व 29 डिग्री रह गया। इससे मौसम में ठंडक महसूस की जाने लगी है।बारिश के मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। रोज औसत 600 से अधिक मरीज उपचार करवाने पहुंच रहे हैं। अस्पताल की व्यवस्थाएं मरीजों की तुलना में नाकाफी पड़ रही हैं। सोमवार को हल्की बूंदाबांदी के बीच दवा लेने आए लोगों की कतार काउंटर के शेड के बाहर तक लगी रही। कतार में लगे मरीज या परिजन को अपनी बारी के लिए 10 से 15 मिनट इंतजार करना पड़ा।ओपीडी के दौरान दवा काउंटर पर मरीज व परिजनों की भीड़ बढ़ रही है। दवा देने के लिए दो विंडो ही खुले रहते हैं। इनमें से एक विंडो काउंटर महिला तो दूसरा पुरुष के लिए रहता है। कम काउंटर के पीछे स्टाफ की कमी बताइ जा रही है। एक समय में दो ही फॉर्मासिस्ट उपलब्ध होने से काउंटर की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है जबकि यहां तीन काउंटर संचालित किए जा सकते हैं।

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Doctors not available in gwalior district hospital

Due to the duty of the doctors of Gwalior District Hospital and Civil Hospital in checking the Amarnath pilgrims, the OT of surgery in the district hospital closed

12.07.2022
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल और सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की ड्यूटी अमरनाथ यात्रियों के चैकअप करने में लगा दी गई है। इसके चलते जिला अस्पताल में सर्जरी की ओटी बंद हो गई है। यहां से सर्जन डॉ. नीरज बंसल और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपक वर्मा को जम्मू भेजा गया है। वहीं सिविल अस्पताल हजीरा में पदस्थ मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. गिरीश शर्मा को भी ड्यूटी लगाई गई है। इसके चलते अब जिला अस्पताल में सर्जरी बंद हो गई है। जिला अस्पताल में एक मात्र सर्जरी के डॉक्टर नीरज बंसल है। उनके न होने से अब 31 जुलाई तक कोई भी सर्जरी यहां पर नहीं होगी। इसके साथ ही सिविल अस्पताल में मेडिसिन का भी एक ही डॉक्टर है। लेकिन अब यहां पर मेडिसिन के मरीजों को इलाज के लिए बाहर ही भेजा जा रहा है। ऐसे में बारिश के मौसम में मेडिसिन के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती है।बाबा अमरनाथ की गुफा से लेकर काली माता मंदिर के बीच शुक्रवार को बादल फटने की घटना हुई थी। इसके बाद बाबा बर्फानी की यात्रा को रोक दिया गया था। ग्वालियर से भी कई श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए गए हुए हैं। श्री बाबा बर्फानी हर-हर महादेव समिति के सचिव पन्नालाल गौड़ ने फोन पर बताया कि उनके जत्थे के साथ गए 51 लोग शेषनाग बैस कैंप में रुके हुए थे। सोमवार को सुबह 5 बजे यात्रा शुरू हुई, यहां से हमारा जत्था भी रवाना हुआ। बाबा की गुफा में दोपहर दो बजे पहुंचे और दोपहर 3 बजे तक दर्शन कर लिए थे। दर्शन कर सीधे बालटाल उतर आए थे, रात में यहीं रुकेंगे और सुबह मणिग्राम बेस कैंप में ग्वालियर के लंगर में सेवा देंगे। उन्होंने बताया कि पानी लगातार बरसने के कारण गुफा के बाहर का मौसम खराब बना हुआ है, इसलिए गुफा के बाहर किसी को भी रुकने से मना किया जा रहा है। यहां पहुंचे सभी श्रद्धालुओं से कहा जा रहा है या तो बालटाल जाएं या फिर चंदनवाड़ी।

सिविल अस्पताल में तीन सर्जन

सिविल अस्पताल हजीरा में तीन सर्जन है। अगर इसमें से एक डॉक्टर जिला अस्पताल में आ जाता है तो मरीजों को इलाज मिलने लगेगा। अगर किसी डॉक्टर की व्यवस्था नहीं होती है तो मरीजों को परेशान ही होना पड़ेगा।

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