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A Psychopath jumped from hospital in raipur

Psychopath jumped from the third floor of Ambedkar Hospital in Raipur, broke his leg

18.07.2022
रविवार दोपहर आंबेडकर अस्पताल की तीसरी मंजिल से एक मनोरोगी ने छलांग लगा दी। घटना के बाद अस्पताल में हड़ंकप मच गया। इस हादसे में मनोरोगी के पैर में फ्रैक्चर आया है। इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक को शाम तक जानकारी नहीं थी। जानकारी के मुताबिक, धमतरी निवासी जय कुमार (38) का इलाज आंबेडकर अस्पताल के मनोरोग विभाग में चल रहा है। रविवार दोपहर जब तेज बारिश हो रह थी। उसी दौरान मरीज अपने परिजनों से बाहर घूमने की बात को लेकर जिद करने लगा। मना करने पर वह परिजनों से नजर बचाकर वार्ड के बाहर आया और तीसरी मंजिल से नीचे कूद गया। इस घटना से अस्पताल में हड़कंप मच गया। मरीज को आनन-फानन में इलाज के लिए ले जाया गया। जांच में उसकी पैर की एड़ी की हड्डी टूट गई थी। इस घटना से अस्पताल में एक बड़ी चूक सामने आई है।

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Radiologist suicide

Radiologist of Patiala’s Rajindra Hospital commits suicide, divorce case was going on in court

16.07.2022
सरकारी राजिंदरा अस्पताल के होस्टल में एक महिला ने संदिग्ध अवस्था में चुन्नी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। मरने वाली युवती की पहचान आरती (30 वर्ष) निवासी गुरदासपुर के तौर पर हुई है। वह राजिंदरा अस्पताल में रेडियोलाजिस्ट के तौर पर तैनात है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए राजिंदरा अस्पताल की मार्चरी में रखवा कर परिवार को सूचना दे दी है।
आरती वीरवार रात ही आपने घर से वापस होस्टल आई थी। शुक्रवार सुबह वह ड्यूटी पर नहीं पहुंची तो सहकर्मी चेक करने होस्टल आए, लेकिन होस्टल का कमरा अंदर से लाक था। इसके बाद उन्होंने होस्टल का दरवाजा खटखटाया लेकिन काफी देर तक कमरे से न काई आवाज आई। लंबा समय इंतजार करने के बाद भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद अस्पताल के अन्य स्टाफ की सहायता से दरवाजा तोड़कर चेक किया गया तो आरती का शव कमरे के अंदर लगे पंखे से लटक रहा था। इसके बाद मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम ने शव को उतारकर अस्पताल के मोर्चरी में रखवा दिया है। वहीं मौके पर फाेरेंसिक टीम ने भी पहुंचकर अपनी जांच शुरू कर दी है।

तलाक के केस में पेशी से लौटी थी आरती

थाना सिविल लाइन के एसएचओ इंस्पेक्टर विजयपाल ने बताया कि अस्पताल में रेडियोग्राफर के तौर पर सेवा निभाने वाली आरती का तलाक संबंधी केस चल रहा है। वीरवार को भी वह पेशी से वापस होस्टल पहुंची थी। जिसके बाद से वह कमरे से बाहर नहीं निकली। शुक्रवार सुबह आरती अपनी ड्यूटी पर न पहुंची तो घटना के बारे में पता चला। इसके बाद पुलिस ने शव को माेर्चरी में रखवाकर परिवार को सूचना दे दी गई है। परिवार के आने के बाद उनके बयानों के आधार पर अगल कार्रवाई की जाएगी।

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Communicable disease in Barmer

Increasingly ill in Barmer, suffering from fever and sore throat are reaching the hospital

15.07.2022
थार में कुछ दिनों से मौसमी बीमारियां कहर बनकर टूट रही है। घर-घर लोग बीमार हो रहे है। खासकर बुखार और गले की तकलीफ के पीड़ित अस्पताल पहुंच रहे है। सुबह से लगने वाली मरीजों की लाइनें दोपहर तक ओपीडी समय खत्म होने के बाद भी पूरी नहीं हो रही है।बाड़मेर जिला अस्पताल में ओपीडी का आंकड़ा 2700 के ऊपर जा रहा है। अवकाश के दूसरे दिन यह आंकड़ा और भी अधिक रहता है। सुबह 7 बजे से ही मरीज अस्पताल आने शुरू हो जाते हैं, जबकि ओपीडी का समय 8 बजे शुरू होता है। मरीजों की बढ़ती भीड़ के चलते परिसर में गुरुवार को भी पैर रखने की जगह तक नहीं थी। पर्ची काउंटर और आसपास के चिकित्सकों के कक्षों के आगे मरीजों की कतारें दिखी।

इमरजेंसी में सामान्य बीमारियों के सैकड़ों मरीज : अस्पताल की ओपीडी का समय खत्म हो जाता है तो यहां इमरजेंसी में सामान्य मरीजों की लाइनें लग जाती है। जबकि इमरजेंसी में गंभीर बीमार और दुर्घटनाग्रस्त मरीजों का ेही देखा जाता है। लेकिन यहां पर सामान्य मरीजों की सुविधा को देखते हुए जनरल ओपीडी की तरह इमरजेंसी में देखा जा रहा है। जानकारी में आया कि बुधवार को इमरजेंसी में करीब 400 मरीजों की जांच की गई, जो सामान्य बीमारियों से पीड़ित थे।मौसमी बीमारियों की मरीज काफी बढ़े है। सामान्य ओपीडी में बुखार और गले की तकलीफ के पीड़ित बीमार ज्यादा आ रहे है। इनमें युवा अधिक है। मौसम में बदलाव के चलते खान-पान का ध्यान रखकर बीमारियों से बचा जा सकता है। डॉ. थानसिंह (मेडिसिन) राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर

युवा ज्यादा आ रहे चपेट में
ओपीडी के चिकित्सकों के अनुसार युवा मौसमी बीमारियों की चपेट में ज्यादा आ रहे है। करीब 60 फीसदी से अधिक रोजाना युवा मरीज ही आ रहे हैं जो 18-30 साल के बीच है। इसमें भी पुरुष अधिक है। अधिकांश मरीज बुखार और गले की खराब से पीड़ित है।

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Bribe of rs 5000 got by eye assistant in bilaspur district hospital

The eye assistant from the patient who came for cataract treatment in Bilaspur district hospital, citing the bad government lens, got 5 thousand rupees

14.07.2022
जिला अस्पताल में मोतियाबिंद का इलाज कराने पहुंचे मरीज से नेत्र सहायक ने सरकारी लैंस खराब होने का हवाला देकर 5 हजार रुपए ऐंठ लिए। इसकी जानकारी होने पर मितानिन व परिजन जब सिविल सर्जन से शिकायत करने गए तो अस्पताल के डॉक्टर ने मीटिंग का हवाला देकर भगा दिया।दो मुहानी बूटापारा निवासी राजकुमार मरावी पिता राम सिंह 28 वर्ष ने बताया कि वे मोतियाबिंद का इलाज कराने 11 जुलाई को जिला अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें भर्ती कर लिया गया और 12 जुलाई को आपरेशन करने की बात कही गई। अस्पताल की नेत्र सहायक दीपिका रजक ने राजकुमार को सरकारी लैंस ठीक से काम नहीं करने की बात कही। साथ ही कहा कि उसकी उम्र कम है इसके सरकारी लैंस और काम नहीं करेगा। इसकी गारंटी भी नहीं है। अच्छा लेंस लगाने के लिए 5 हजार रुपए की मांग की। इस पर राजकुमार ने परिजनों से 5 हजार रुपए मंगवाकर दीपिका को दे दिए। बाद में उसे पता चला कि ऑपरेशन कर उन्हें सरकारी लैंस ही लगाई गई है, तो उन्होंने इसकी जानकारी परिजनों और मितानिनों को दी। वे इसकी शिकायत लेकर सिविल सर्जन डॉ.अनिल गुप्ता के पाए पहुंचे, लेकिन हॉस्पिटल कंसलटेंट शेफाली कुमावत ने उनके मीटिंग में होने और मामला नेत्र विभाग का होने का हवाला देकर भगा दिया।
रिलीव आदेश के बाद भी नहीं हटा रहे अधिकारी
नेत्र सहायिका दीपिका रजक की मूल पदस्थापना कोटा ब्लाक के ग्राम पोंड़ी में है। वो कई साल से जिला अस्पताल में अटैच हैं। सीएमएचओ कार्यालय से उन्हें रिलीव करने के लिए 3 बार आदेश जारी हो चुका है, लेकिन उन्हें अधिकारी रिलीव ही नहीं कर रहे हैं।यदि कोई स्टॉफ किसी मरीज से पैसा लेकर इलाज करता है तो ये गलत है। इस संबंध में जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. अनिल गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल।

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NO service available in Panchkaram hospital,bhopal

Superspeciality Panchakarma Hospital built in Bhopal’s Pt Khushilal Ayurved College campus, waiting for machine and staff for two years

14.07.2022
प्रदेश में वैलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से भोपाल के पं. खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज में 50 बिस्तरों का सुपरस्पेशिलिटी पंचकर्म अस्पताल तैयार किया गया है। भवन भी करीब दो महीने से बनकर तैयार है, लेकिन इसे शुरू नहीं किया जा सका। दरअसल इस सेंटर में स्टाफ, डॉक्टर और उपकरणों की पूर्ति के लिए दो साल से कवायद चल रही है, लेकिन अब तक यहां न डॉक्टर मिले हैं न अन्य संसाधन। ऐसे में इस सेंटर को शुरू करने की डेडलाइन एक बार फिर अगस्त तक बढ़ा दी है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में अपनी तरह का पहला अस्पताल होगा जहां मरीजों का निजी स्पा की तर्ज पर पंचकर्म किया जाएगा।
पंचकर्म से होगा मिर्गी का इलाज
यह देश का पहला एक्सीलेंस सेंटर होगा, जहां पंचकर्म अस्पताल के साथ न्यूरो स्पाइनल सेंटर भी बन रहा है। मिर्गी, लकवा और सुन्नपन जैसी बीमारियों का इलाज होगा। मालूम हो कि शहर में पंचकर्म की मांग बढ़ रही है। औसतन रोज 600 लोग ओपीडी में आते हैं। कॉलेज के पंचकर्म वार्ड के 150 बेड में से ज्यादातर फुल रहते हैं।
सरकार ने वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के मकसद से यह हॉस्पिटल बनाया है। फिलहाल कुछ उपकरण और स्टाफ की कमी है। इसके लिए डिमांड भेजे गए हैं। जुलाई के अंत तक या अगस्त तक इसे शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ. उमेश शुक्ला, प्राचार्य, खुशीलाल आयुर्वेद कॉलेज

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Pharmacy closed too early in bikaner pbm hospital

Patients and their families are upset due to the closure of the free medicine distribution center operated at Prince Bijay Memorial Hospital (PBM), Bikaner at 2 pm.

14.07.2022
पीबीएम अस्पताल से संबद्ध सुपर स्पेशियलिटी यूनिट को जैसे-तैसे शुरू तो कर दिया है, लेकिन अभी तक कुछ बुनियादी सुविधाएं जुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस भवन में गत सोमवार से मरीजों को भर्ती करना प्रारंभ कर दिया है।साथ ही ऑपरेशन थियेटर भी शुरू कर दिया है। लेकिन यहां पर संचालित निशुल्क दवा वितरण केन्द्र दोपहर दो बजे बाद बंद कर दिया जाता है। ऐसे में अस्पताल के स्टाफ को ट्रोमा सेंटर अथवा पीबीएम अस्पताल स्थित दवा केन्द्रों पर जाना पड़ता है। पूर्व में इस भवन में चार तरह के आउटडोर संचालित होते थे।ये आउटडोर दोपहर में दो बजे बंद हो जाते थे। इस वजह से दवा केन्द्र भी बंद कर दिए जाते थे। लेकिन अब इस भवन में चार वार्ड में मरीजों को भर्ती करना प्रारंभ कर दिया है। साथ ही ऑपरेशन भी शुरू हो गए हैं। ऐसे में दवा केन्द्र चौबीस घंटे खुले रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। साथ ही सर्जिकल उपकरणों की भी व्यवस्था करनी होगी। जबकि पूर्व में यहां पर आउटडोर आने वाले मरीजों के लिए ही दवा की सुविधा उपलब्ध थी। इसके अलावा भवन में सफाई कर्मियों की कमी भी महसूस की जा रही है। पांच मंजिला इस भवन में सफाई कर्मियों की भी कमी खल रही है। नियमित रूप से शौचालयों की सफाई नहीं हो पा रही है। हालांकि कोविड के दौरान इस भवन में कोरोना मरीजों को भर्ती करना शुरू किया था। उस वक्त इस भवन में भारी भीड़ हो गई थी और कई जगह टोंटियां टूट गई थी और पीक आदि से शौचालय भी खराब कर दिए गए थे। लेकिन बाद में कोविड मरीजों को एमसीएच विंग में भर्ती करना प्रारंभ कर दिया था। इस वजह इस भवन में अन्य आउटडोर शुरू कर दिए गए थे।

प्राचार्य को केन्द्र के लिए लिखा पत्र

इस भवन में मरीजों को भर्ती करने तथा ऑपरेशन थियेटर शुरू करने के कारण अब चौबीस घंटे दवा केन्द्र खोलने की दरकार है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को पत्र लिखा गया है। साथ ही सफाई पर भी जोर दिया जाएगा।डॉ. गिरीश प्रभाकर, अधीक्षक सुपर स्पेशियलिटी यूनिट
वार्ड में भर्ती मरीज को नहीं लानी पड़ती दवा
इस भवन में भर्ती होने वाले मरीजों को दवा की पर्ची नहीं थमाई जाती है। आउटडोर में आने वाले मरीज को लाइन में खड़े होकर दवा लेते हैं। लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों को दवा के लिए किसी भी केन्द्र पर जाना नहीं पड़ता है। वार्ड में तैनात नर्सिंग कर्मचारी अथवा वार्ड ब्वाय ही मरीज के लिए ट्रोमा सेंटर अथवा पीबीएम अस्पताल स्थित दवा केन्द्र से दवा लाते हैं

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Doctor saved life a patient in Raipur ambedkar college

Doctors saved life by performing emergency angioplasty of a 30-year-old youth who had reached the condition of heart attack at the Advance Cardiac Institute (ACI) of Raipur Ambedkar Hospital.

13.07.2022
आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में हार्टअटैक की स्थिति में पहुंचे एक 30 साल के युवक की इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी कर जान बचाई गई। हार्ट अटैक की स्थिति में लेजर द्वारा हार्ट की नली के थक्के को भाप बनाकर निकाला गया। हार्टअटैक के बीच लेजर के माध्यम से खून के थक्के को भाप बनाकर निकालना संभवत: देश की इस तरह की यह पहली प्रक्रिया है। मंगलवार सुबह करीब 9 युवक हार्टअटैक की स्थिति में एसीआई पहुंचा। उसकी तुरंत एंजियोग्राफी करने पर पता चला कि बहुत सारा खून का थक्का उसके हाथ की एक प्रमुख नली को पूरी तरह से बंद कर दिया है। आईवीयूएस यानी हार्ट के नस के अंदर की सोनोग्राफी करने पर पता चला कि यह रुकावट सिर्फ खून के थक्के के कारण हुआ है और इसमें नस का कोई ब्लाकेज नहीं है। ऐसे में युवक की कम उम्र को देखते हुए उसे खून के थक्के को लेजर द्वारा भाप बनाने का निर्णय लिया गया और यह प्रक्रिया मात्र आधे घंटे के समय में पूरी की गई। युवक की बंद नली पूरी तरह खुल गई

खून क्यों ब्लॉक हुआ, कारण का पता नहीं

काडियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं, युवक के शरीर में खून क्यों ब्लॉक हुआ। इसके कारण का पता नहीं चल पाया, क्योंकि युवक किसी प्रकार से नशे का सेवन नहीं करता। लेजर के माध्यम से भाप बनाकर खून का थक्का निकालने का केस दस से अधिक हो चुका है, लेकिन आर्टअटैक के बीच ऐसा करना देश में पहली बार है। युवकों में हार्टअटैक का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्चा है, जिसमें ध्यान देने की जरूरत है।

हार्ट को नहीं पहुंचा नुकसान

हार्ट अटैक के कारण ईसीजी में आया परिवर्तन भी एंजियोप्लास्टी के बाद ठीक हो गया, जो इस बात का साक्ष्य हैं कि यह प्रक्रिया सफल हुई और युवक हार्ट को और जीवन को नुकसान होने से बचा लिया गया। इस इमरजेंसी लेजर एनजियोप्लास्टी में प्रोफेसर डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ डॉ. जोगेश, डॉ. आनंद, डॉ. गोपेश, डॉ. प्रतीक, नर्सेज बुद्धेश्वर और पूर्णिमा, टेक्नीशियन आईपी वर्मा, खेम सिंह, महेंद्र साहू, अश्वितिन साहू और जितेंद्र चलकर शामिल थे।

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Force patients to purchase medicenes from hospital pharmacy in indore

Action on Apple Hospital located at Bhanwarkuan for forcing you to buy medicine from medical store in Indore

13.07.2022
हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से ही दवाई खरीदने के लिए बाध्य करने पर भंवरकुआं स्थित एपल हॉस्पिटल पर कार्रवाई हुई है। मंगलवार को कलेक्टर मनीष सिंह ने कार्रवाई के आदेश दिए। मेडिकल स्टोर का लाइसेंस निलंबित कर मेडिकल कचरा निपटान में लापरवाही पर एक लाख रुपए का जुर्माना किया गया। निर्धारित मानकों पर चिकित्सक उपलब्ध नहीं होने तक 200 में से सिर्फ 100 बेड क्षमता का ही उपयोग करने को कहा गया है। प्रकाश पारवानी ने लिखित शिकायत की थी कि प्रबंधन दवाइयां वहीं के मेडिकल स्टोर से लेने व जांच भी हॉस्पिटल से कराने मजबूर कर रहा है। पर्ची में इस अनिवार्यता का उल्लेख किया है। जब शर्तों का विरोध किया तो प्रबंधन ने उपचार में असमर्थता व्यक्त की, जिसके बाद मैं मां पुष्पा पारवानी को घर ले आया। कलेक्टर ने अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर व सीएमएचओ बीएस सत्या को जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा। जांच में मिला हॉस्पिटल से ही दवाइयां और जांच की अनिवार्यता के बाद ही इलाज किया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के आदेश दिए गए।

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Facilities are not available in district hospital,gwalior

Gwalior Commissioner Health Sudam P. Khande and NHM Director Priyanka Das reached District Hospital, patients found lying in the gallery, doctors came forty minutes late even after calling

13.07.2022
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल देखने के लिए मंगलवार को आयुक्त स्वास्थ्य सुदाम पी. खांडे और एनएचएम की संचालक प्रियंका दास जिला अस्पताल पहुंचीं। इन अधिकारियों के आने की सूचना सुबह मिलते ही जिला अस्पताल में साफ-सफाई की गई। जिससे कोई कमी न रह जाए। अस्पताल में अधिकारियों के आते ही डॉक्टरों ने मरीजों को छोड़कर जोरदार स्वागत में बुके और मालाओं से लाद दिया।इसके बाद इन अधिकारियों को वहीं ले जाया गया, जहां पर व्यवस्थाएं ठीक मिलीं, लेकिन उसके बाद भी आयुक्त के सामने कमियां छिप न सकीं। आयुक्त के सामने गैलरी में मरीज गर्मी में बेहाल थे। इन मरीजों को देखकर आयुक्त ने पूछ ही लिया कि इनको गैलरी में क्यों लेटा रखा है। वहीं सीटी स्कैन कक्ष में जब बारिकी से मरीजों से लेने वाला पेमेंट के साथ जांच किस तरह से की जा रही है, इसके बारे में पूछा गया। इसके बारे में वहां तैनात कर्मचारी नहीं बता पाया तो सीटी स्कैन के प्रभारी को घर से बुलाया गया। दोनों ही अधिकारियों ने चालीस मिनट तक डॉक्टर का इंतजार सीटी स्कैन कक्ष में ही किया।उसके बाद इंचार्ज डॉक्टर सुनील शर्मा घर से आए और उन्होंने बंद कमरे में दोनों अधिकारियों से कह दिया कि मुझे कोई लिखित में सीटी स्कैन के प्रभारी का चार्ज नहीं मिला है। मुझे तो ड्यूटी के साथ यह देखना पड़ रहा।

पर्चे पर डॉक्टर का नाम और सील होना चाहिए
सीटी स्कैन कक्ष में जब मरीजों के पर्चे एनएचएम की संचालक प्रियंका दास ने देखे तो उन पर्चो पर डॉक्टर का नाम तो दूर उनकी सील तक नहीं थी। जिस पर उन्होंने वहां तैनात कर्मचारी से पूछा कि किस डॉक्टर ने सीटी स्कैन के लिए लिखा है। इस पर वह जबाव नहीं दे सकीं। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. राजेश शर्मा से प्रियंका दास ने कहा कि आगे से डॉक्टर का नाम और सील पर्चे पर जरूर होना चाहिए।

डायलिसिस के लिए फोन लगाकर बुलाओ मरीज

एनएचएम की संचालक को डायलिसिस के बारे में बताया गया कि आज एक ही मरीज की हुई है। इस पर उन्होंने सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा से कहा कि अगर यहां पर अगर मरीज कम हैं तो फोन करके दूसरी जगह से मरीजों को बुलाओ।

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4.5 crore claimed from ayushman scheme on the basis of fake patient in bhopal

Guruashish Hospital located in DIG Bungalow area of Bhopal claimed about 4.5 crores from Ayushman Yojana on the basis of fake patients, FIR registered

13.07.2022
आयुष्मान योजना में निजी अस्पतालों द्वारा किया जा रहा एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है। शहर के डीआईजी बंगला क्षेत्र में स्थित गुरुआशीष अस्पताल ने फर्जी मरीजों के आधार पर आयुष्मान योजना से करीब 4.5 करोड़ का क्लेम ले लिया। यह वे मरीज थे जो अस्पताल में भर्ती ही नहीं हुए। पिछले महीने योजना का संचालन करने वाली स्टेट हेल्थ एजेंसी (एसएचए) की तरफ से चिकित्सकों की टीम भेजकर प्रदेश भर के कुछ अस्पतालों की जांच की गई थी। इसमें यह अस्पताल भी शामिल था। मंगलवार को एसएचए ने अस्पताल पर धोखाधड़ी करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। इसके साथ ही सीएमएचओ द्वारा अस्पताल को नोटिस जारी कर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन निरस्त करने की प्रक्रिया की जाएगी।
सिर्फ सात अस्पतालों ने दिया जवाब

आयुष्मान भारत योजना के सीईओ अनुराग चौधरी ने बताया कि एसएचए ने गड़बड़ी करने वाले प्रदेश के सभी 28 अस्पतालों को 15 जून को नोटिस जारी किया था। इनमें अभी तक सिर्फ सात अस्पतालों ने ही जवाब दिया है। सभी का जवाब आने के बाद योजना से निलंबित कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

एक और अस्पताल पर भी हो चुकी है कार्रवाई

महीने भर पहले वैष्णव अस्पताल में भी बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था। इस पर एफआइआर के बाद अस्पताल के संचालक डा. विवेक परिहार को गिरफ्तार किया गया था। यह गड़बड़ी उजागर होने के बाद ही प्रदेश के विभिन्न जिलों के 47 निजी चिकित्सालयों की जांच चिकित्सकों के 20 दल बनाकर की गई थी। इनमें 28 अस्पतालों में गड़बड़ी मिली थी। बड़ी बात यह है कि इनमें भोपाल के 15 अस्पताल शामिल हैं।
मरीजों के नाम पर बनाए फेंटम बिल

अस्पताल ने बीते कुछ महीनों में ऐसे मरीजों के क्लेम प्रस्तुत किए जो अस्पताल में भर्ती ही नहीं हुए। अस्पताल द्वारा इन क्लेम को फेंटम बिल नाम दिया गया था। जांच के बाद सामने आया कि अस्पताल प्रबंधन ने कुल 1655 फर्जी मरीजों के फर्जी दस्तावेज जमा कर आयुष्मान योजना से 45195565 रुपए का क्लेम ले लिया। एसएचए ने इसे धोखाधड़ी मानते हुए अस्पताल संचालक डॉ. संदीप दुबे पर एफआईआर दर्ज कराई गई।

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