Medical Council of India Gazette notification for Rural area

Medical Council of India Gazette notification for Rural area

नीट पीजी में प्रवेश हेतु सेवारत चिकित्सकों को बोनस अंकों का प्रावधान एमसीआई द्वारा किया गया है, संशय यह था कि किन इलाकों में कार्यरत चिकित्सकों को यह लाभ दिया जाए ? चूँकि संविधान के अनुसार हेल्थ एक स्टेट सब्जेक्ट है यानि सभी पालिसी स्टेट को बनानी होती हैं | हर स्टेट के अपने अलग क्राइटेरिया हैं | ज्यादातर जगहों को ग्रामीण, दुर्गम, दूरस्थ, पहाड़ी, ट्राइबल, रेगिस्तानी आदि इलाकों में विभाजित किया गया है | 2018 से पूर्व में एमसीआई ने केवल दुर्गम अथवा दूरस्थ इलाकों को ही बोनस अंक के योग्य माना था लेकिन 05.04.2018 के गैजेट नोटिफिकेशन में इसे ग्रामीण अथवा दुर्गम अथवा दूरस्थ कर दिया गया है | यानि जो भी ग्रामीण भत्ते के हक़दार हैं वे बोनस अंको के भी हक़दार हैं | ग्रामीण क्षेत्रों को परिभाषा राज्य के अधीन आती है जिसके अन्तर्गत आने वाले संस्थाओं को हर वर्ष नोटिफाई किया जाना होता है क्यूंकि कई जगह नए संस्थान खुल जाते हैं तथा कुछ संस्थान ग्रामीण की परिभाषा से बाहर भी हो सकते हैं |

What is Rural Area & Allowance in Rajasthan ?

MCI Rural Gazette notification attached below –

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30 Medical Teachers terminated

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उत्तरप्रदेश के विभिन्‍न…

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नीट पीजी काउंसलिंग और वकीलों की चांदी

नीट पीजी काउंसलिंग और वकीलों की चांदी

मेडिकल पीजी की एक सीट करोड़ रुपये की मानी जाती है, सो साफ़ है कि हर सीट के लिए घमासान होता है, ब्रांच का लालच हो या पीजी का तमगा, ख़ास तो होता ही है, अगर इसके लिए पढाई के साथ कुछ क़ानूनी लड़ाई में पैसे खर्च हो जाएँ तो भी कम ही हैं | लगभग हर साल ही काउंसलिंग कोर्ट में घसीटी ही जाती है, कोर्ट यानी वकील, वकील यानि मोटी फीस, वो भी नकद में | हर वकील सोचता है कि डॉक्टरों के पास पैसों की क्या कमी ? सो तैयार रहते हैं, हालांकि सरकारी ग्रामीण भत्ताधारी चिकित्सकों के पास कहाँ पैसा है लेकिन वकील उनकी तुलना जयपुर के एसएमएस वाले मोटे डॉक्टरों से करते हैं, सो बेचारे सरकारी डॉक्टर चंदा चपाटी करके ये फीस चुकाते हैं | पिछले तीन साल में केस जयपुर से दिल्ली तक गए और फीस लाखों से करोड़ों तक गयी | इसी बीच जयपुर में कुछ युवा वकीलों ने मेडिकल लाइन में ही कैरियर बनाने कि ठानी और वे दिल्ली की सभी सुनवाइयों में खुद के खर्चे पर जाने लगे, मकसद यह दिखाना कि हम मेडिकल के केसों के जानकार हैं, पधारो म्हारे ऑफिस, कई कॉलेज वाले छात्र उनके यहाँ पधारने लगे | एक युवा वकीलन ने तो मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के आस पास फ्रेशर ढूंढने कि कोशिश करी ताकि एक बार कैसे भी मामले को खुद के पैसे खर्च करके भी कोर्ट में पटक दिया जाए ताकि फिर एक बार माहौल बन जाए तो वो दिल्ली तक जाए, कैरियर भी बने और कैशियर भी | यानि जबरदस्ती शुरुआत की कोशिश की जा रही है जबकि राजस्थान में कोई किसी भी तरह का केस बनता ही नहीं, गिने चुने सेवारतों के काम चलाऊ नंबर आये हैं, फील्ड से ज्यादातर लोग कॉलेजों में जा चुके हैं, अब बचे ही बहुत कम हैं, जो हैं वे भी एक दो साल में ही आये हैं | अतः सावधान रहें, चांदी बचा कर रखें |

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जहर खरीदने के लिए पैसे नहीं, कैसे दूं वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में उपस्थिति ?

जहर खरीदने के लिए पैसे नहीं, कैसे दूं वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में उपस्थिति ? सरकारी डॉक्टर !

जहर खरीदने के लिए पैसे नहीं, कैसे दूं वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में उपस्थिति…. ये शब्द किसी आम इंसान के नहीं बल्कि एक चिकित्सा अधिकारी के हैं। जो जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में उपस्थिति को लेकर आर्थिक समस्या का हवाला देते है।….जी हां जालौर जिले के करडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत चिकित्सक ने एक पत्र के माध्यम से सरकार को यह बात बताइ कि उन्हें पिछले कई महीनों से नहीं मिल रही तनख्वाह ।  जालौर जिले में रानीवाड़ा और भीनमाल ब्लॉक के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महकमे में कार्यरत कर्मचारियों एवं चिकित्सकों को वेतन समय पर नहीं मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि करड़ा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी धनंजय मीणा ने सरकार को पत्र लिखकर अवांछनीय कदम उठाने की चेतावनी दे डाली… मामला जालौर जिले के करडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है जहां के चिकित्सक ने पिछले कई महीने से वेतन नहीं मिलने का हवाला देते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जालौर को पत्र लिखते हुए बताया कि वह जिला मुख्यालय पर होने वाले कार्यक्रमों में भाग नहीं ले सकते इसका कारण आर्थिक परेशानी बताया एवं अपने खाते का बैलेंस एक रूपया 77 पैसे बता रहे हैं और यह भी कह रहे हैं ।साथ में इतने पैसे से जहर भी नहीं खरीदा जा सकता चिकित्सा अधिकारी ने प्रतिलिपि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम भी भेजा है। मामले को लेकर रानीवाड़ा के ब्लॉक सीएमएचओ ने बजट का हवाला देते हुए पत्र का जवाब भी दिया है देखा जाए तो वेतन नहीं मिलने के हालात करडा सीएचसी सहित रानीवाड़ा के व भीनमाल ब्लॉक के अधिकतर चिकित्सकों का वेतन पिछले कई महीने से देय नहीं हो रहा है ऐसे में इन कर्मचारियों एवं अधिकारियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भीनमाल के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुम्बडिया के कर्मचारियों व अधिकारियों के भी ये ही हालात हैं जहां पिछले 3 महीने से उनको वेतन नहीं मिल रहा कर्मचारियों का कहना है कि जब भी भीनमाल ब्लॉक कार्यालय में वेतन संबंधी मांग की जाती है तो बजट का हवाला देकर टरका दिया जाता है… ऐसे ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इन विकट आर्थिक परिस्थितियों से गुज़र रहे डॉक्टरों की माँग को लेकर सरकार कितनी गंभीर होगी और कितने दिनों में इनको सैलरी मिल पाएंगी ये आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी ….! डॉक्टर धनंजय मीणा ने बताया कि उसको सैलरी नहीं मिलने की वजह से कई प्रकार की घरेलु परेशानीयों का सामन करना पड़ रहा है। डॉक्टर ने बताया कि पैसों के अभाव में राशन के सामान के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है… डॉक्टर ने बताया कि मेरे पर्सनल लोन की किस्त भी ओवरडूयू हो चुकी है.. ऐसे में अब भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.. उन्होने बताया कि मैं घर से 500 किलोमीटर दूरी पर यहाँ पर बैठा हूँ ऐसे में मुझे सैलरी नहीं मिलेगी तो मैं खाना कैसे खाऊँगा…. डॉक्टर ने बताया कि उसके साथ साथ उसके अस्पताल में कार्यरत क़रीब स्टाफ़ भी पिछले दो महीने से सैलरी नहीं बन रही है जिसके चलते भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस तरह की गंभीर पीड़ा अगर सोशल मीडिया पर वायरल होती है तो ज़ाहिर सी बात है कि विभाग के आलाधिकारियों पर सवाल खड़े होना लाज़मी है… ।

# डॉ. धनंजय मीणा, कॉलेज के ज़माने से ही बेबाक और दबंग स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, ये जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस हैं |

हम सब अधिकारियों और कर्मचारियों के हक की लड़ाई है ये कोई व्यक्तिगत दुश्मनी या बैर नही है ।हमारी लड़ाई राज से है अधिकारी और राज के प्रितिनिधि से है अतः इसे कोई व्यक्तिगत न ले।
जब पुलिस में वेतन महीने की अंतिम तारीख को मिल जाता है तो हमको क्यों नही क्या राज्य को हमारी जरूरत का पता नही है
हम भी आपातकालीन सेवा में है तो हमको सुविधा भी तो हो ,ओर कुछ नही तो वेतन तो समय पर मिले।
अगर सरकार के पास पैसा नही है तो फिर पुलिस और सेक्रेतिरेट में ओर मंत्रालयों में वेतन समय पर क्यों।
ऐसा नियम क्यों नही की जिलाधिकारी का वेतन जिले में प्रत्येक कर्मचारी का वेतन मिलने के बाद मिलेगा। ये ही मांग हैं कि वेतन समय पर मिले।
एकता सदा विजेयता। जय हिंद जय संगठन।।।।।।।।।सभी से सहयोग की आशा में।।।।

आपका
डॉ धनंजय मीणा 

Rajasthan : DACP promotion chaos

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सरकारी डॉक्टरों पर बाबूराज…

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Impact of Tamilnadu High Court decision in Rajasthan about NEET PG bonus marks

तमिलनाडु नीट पीजी बोनस अंक डिसीजन और राजस्थान

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के गैजेट नोटिफिकेशन की अनुपालना में सेवारत चिकित्सकों को पीजी कोर्सेज में प्रवेश हेतु लगने वाली नीट परीक्षा में उनके प्राप्तांकों के प्रतिशत के रूप में बोनस अंक दिए जाते हैं | राजस्थान राज्य में कार्यरत सेवारत चिकित्सकों को 1 साल के 10% तथा अधिकतम 3 साल के 30% अंक बोनस के रूप में दिए जाते हैं | पिछले साल के मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के गैजेट नोटिफिकेशन के अनुसार सभी रूरल/ग्रामीण सेवारत चिकित्सकों को बोनस अंक का हक़ है, चूँकि राजस्थान ऐसा राज्य है जिसमें पहले से ही इलाकों को पहाड़ी, दुर्गम, दूरस्थ और ग्रामीण (Hilly/Difficult/Remote/Rural) में बांटने के बजाय केवल ग्रामीण क्षेत्र में ही बांटा गया है जिसका आधार केवल ग्रामीण भत्ते (Rural Allowance) को माना गया है यानी जिसे यह भत्ता देय है वह बोनस अंक का हकदार है |

देखा जाए तो यह एक बड़ी पालिसी है जो एमसीआई के गैजेट और  ग्रामीण भत्ते पर टिकी है, साथ ही पिछले सालों के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में भी इन दोनों को ही सही ठहराया गया है, ऐसी स्थिति में राजस्थान में 10-20-30 बना रहेगा, वो भी हर स्थिति में |

तमिलनाडु हाईकोर्ट की कमेटी ने किया बोनस अंक प्रक्रिया में बदलाव

What is Rural Allowance in Rajasthan ?

MCI “Rural” word Gazette Notification is here

नीट पीजी 2019 के रिजल्ट के बाद सेवारत चिकित्सकों में क्यों है सन्नाटा ?

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New NEET PG bonus marks criteria for Tamilnadu In-Service Doctors

तमिलनाडु हाईकोर्ट की कमेटी ने किया बोनस अंक प्रक्रिया में बदलाव

मद्रास हाई कोर्ट ने इनसर्विस कैंडिडेट को पीजी में दिए जाने वाले बोनस अंकों की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है | हाईकोर्ट ने एक सात सदस्य कमेटी का गठन किया था इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को प्रस्तुत कर दी है | कमेटी ने तमिलनाडु राज्य के सभी इनसर्विस कैंडीडेट्स को चार कैटिगरीज में बांटा है, हर केटेगरी के कैंडिडेट को अलग-अलग बोनस अंक दिए जाएंगे, ये चार केटेगरी निम्न है – पहाड़ी, दुर्गम, दूरस्थ और ग्रामीण | (Hilly/Difficult/Remote/Rural)
पहाड़ी इलाकों में कार्यरत चिकित्सकों को उनके नीट स्कोर का 1 साल का 10% बोनस अंक मिलेगा (Max 30%) तथा इस तरह के पहाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या 119 है, दुर्गम इलाकों में कार्यरत चिकित्सकों को 1 साल के 9% बोनस अंक मिलेंगे (Max 27%) तथा इस तरह की 660 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, दूरस्थ इलाकों में कार्य चिकित्सकों को 1 साल के 8% बोनस अंक दिए जाएंगे (Max 24%), अंतिम केटेगरी है ग्रामीण चिकित्सक जिनको की 1 साल के 5% बोनस अंक तथा 3 साल के अधिकतम 15% बोनस अंक दिए जाएंगे |
साथ ही कुल डिप्लोमा कोर्स की सीटों की 50 फ़ीसदी सीटें केवल सेवारत चिकित्सकों के लिए आरक्षित होंगी |

# Health is a state subject in the Constitution.

Source : Times of India

तमिलनाडु नीट पीजी बोनस अंक डिसीजन और राजस्थान –

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On time salary is right of employee : High Court

समय पर सेलरी कर्मचारी का हक है : हाई कोर्ट

डॉ. दीपक शर्मा का रिट पेटीशन पर राजस्थान हाई कोर्ट ने डिसीजन दिया कि प्रार्थी को उसकी बकाया सेलरी निर्धारित दिवस तक देय हो अथवा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव खुद कोर्ट में उपस्थित हों | तबादले के बाद प्रार्थी को नौ महीने तक तनख्वाह नहीं दी गयी तो पहले तो उन्होंने सभी स्तरों पर संपर्क किया लेकिन कोई समाधान नहीं होने पर मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मिला त्वरित न्याय | यह फैसला बना नजीर | निर्धारित अवधि में सेलरी नहीं दिये जाने पर DDO को जेब से भरना पड़ सकता है उस राशी का ब्याज |

संलग्न – हाईकोर्ट का आदेश

Kidney transplant waitlisting: A potentially better way to optimize the timing

The current kidney transplant waitlisting criterion is based…

Global study finds stable acute kidney injury mortality with shifting age patterns

A five-year study has revealed a stability in global acute kidney…

Conservative care vs. dialysis: Model shows which is better for individual advanced chronic kidney disease patients

It can be challenging to identify which patients with advanced…

Study finds outpatient dialysis program cuts emergency hospital visits in Texas

The cost of emergency dialysis is estimated to be eight times…

Poor olfaction linked to increased risk for coronary heart disease

Poor olfaction is associated with an increased risk for coronary…

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Substandard Thyronorm-75 and Dynapar Gel recall

अबोट की थायरोनॉर्म और ट्रायका की डायनापार जेल मिली स्तरहीन

The Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) ने बताया कि अबोट की थायरोनॉर्म-75 का एक बैच और ट्रायका की डायनापार जेल के तीन बैच स्तरहीन मिले हैं | वहीँ अबोट का कहना है कि उक्त बैच नंबर उन्होंने बनाया ही नहीं है, यह फर्जी दवाई है जो हमारे नाम से बेचीं जा रही है, अबोट थाइरोक्सिन दवाओं में जाना माना नाम है, उधर ट्रायका का कहना है कि विगत वर्षों में उन्होंने लाखों डायनापार जेल बेची हैं ऐसे में ख़राब गुणवत्ता मिलना मुश्किल है, कभी कोई क्वालिटी इस्सू नहीं आया | CDSCO ने उक्त दोनों कम्पनियों के सम्बंधित बैच बाजार से वापस मंगवाने के आदेश जारी किये हैं |

फुल स्टोरी – इंडियन एक्सप्रेस

Kidney transplant waitlisting: A potentially better way to optimize the timing

The current kidney transplant waitlisting criterion is based…

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अस्पताल बना अखाड़ा, भड़के डॉक्टर तो भागे एसडीएम : पूरी कहानी

अस्पताल बना अखाड़ा, भड़के डॉक्टर तो भागे एसडीएम : पूरी कहानी

उत्तराखंड के काशीपुर शहर के राजकीय एलडी भट्ट चिकित्सालय में 6 फरवरी को सुबह एसडीएम हिमांशु खुराना (IAS) ने औचक निरीक्षण किया । बताया जा रहा है कि हड्डी वार्ड में कुछ मरीजों ने शिकायत करी कि उनसे कुछ दवाइयां और रूई बाहर से मंगवाई गयी हैं, एसडीएम खुराना इन मरीजों से जानकारी ले ही रही थे, इसी बीच हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गहलोत भी वहीँ पुरुष वार्ड में पहुँच गए, एसडीएम ने डॉ. विकास को वार्ड से बाहर जाने को बोला तो डॉ. ने मना किया तब एसडीएम ने यह कहते हुए कि यह “चोर” हैं, अपने गार्ड से बाहर निकलवा दिया । फिर एसडीएम वहां से अस्पताल प्रभारी की कुर्सी पर जाकर जम गए और उनसे कुछ बात करने लगे, इधर अस्पताल के समस्त चिकित्सक भड़क गए और उसी कक्ष में पहुंचकर विरोध दर्ज करवाने लगे, ओपीडी बंद कर दी गई, बढ़ता विरोध देकर एसडीएम ने वहां से निकलने में ही अपनी भलाई समझी और वे उठकर जाने लगे पर सभी चिकित्सक उनके पीछे पड़ गए, डॉ. विकास बार बार उनसे पूछते रहे कि उन्हें चोर कैसे कहा गया, साथ ही वो मामला सुलटाये जाने बाबत भी कह रहे थे । डॉ. विकास इस घटना को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड भी कर रहे थे, इसी बीच एसडीएम ने उनके मोबाइल पर गुस्से में झपट्टा भी मारा । अस्पताल से बाहर आकर फिर बहस होने लगी, एसडीएम किसी अनहोनी कि आशंका में बार बार क्रोधित डॉक्टरों को पीछे भी कर रहे थे, डॉ. विकास ने कहा कि जब अस्पताल में जो दवाई या रूई है ही नहीं तो इसके लिए वो चोर कैसे हुआ, इसमें प्रशासन की जवाबदेही है कि वो सामान उपलब्ध करवाए, चोर कहना बिलकुल गलत है इसके लिए एसडीएम को माफ़ी मांगनी चाहिए, इसी बीच एक महिला चिकित्सक ने कहा कि नई उम्र में एसडीएम बन गए हो इसका यह मतलब थोड़े ही है कि डॉक्टर को तुम चोर बता दोगे, जब एसडीएम से जवाब देते नहीं बना वे तैश में धमकाने लगे कि “सबके सब नपेंगे” , इस पर और विरोध हुआ तो वे तेजी से वहां से निकल लिए ।

देखें पूरा विडियो –

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Prevention of Hospital violence and damage to property act 2008

Rajasthan medicare service persons and institutes prevention of violence and damage to property act 2008

राजस्थान के किसी भी अस्पताल में अगर किसी भी स्टाफ के साथ कोई गलत घटना होती है और अस्पताल में किसी भी सामान को क्षति होती है तो इसके बचाव और कार्यवाही हेतु राज्य सरकार द्वारा अधिनियम 2008 लाया गया है | ऐसी घटना होने पर तुरंत पुलिस में मुकदमा दर्ज करवाया जाना चाहिए, मुकदमे में दो बातों का ख़ास उल्लेख होना चाहिए – अधिनियम 2008 और राजकार्य में बाधा |
अगर महिला स्टाफ के साथ कुछ गलत हुआ है तो उसके लिए अलग से उत्पीड़न की धाराओं के अंतर्गत कारवाई होगी |

अधिनियम संलग्न है
सैम्पल एफआईआर संलग्न है

Kidney transplant waitlisting: A potentially better way to optimize the timing

The current kidney transplant waitlisting criterion is based…

Global study finds stable acute kidney injury mortality with shifting age patterns

A five-year study has revealed a stability in global acute kidney…

Conservative care vs. dialysis: Model shows which is better for individual advanced chronic kidney disease patients

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Poor olfaction linked to increased risk for coronary heart disease

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नीट पीजी 2019 के रिजल्ट के बाद सेवारत चिकित्सकों में क्यों है सन्नाटा ?

नीट पीजी 2019 के रिजल्ट के बाद सेवारत चिकित्सकों में क्यों है सन्नाटा ?

31 जनवरी की शाम नीट पीजी का रिजल्ट घोषित हो चुका है लेकिन सेवारत चिकित्सकों में सन्नाटा देखने को मिल रहा है, हर साल खूब कोहराम मचता है, रेंक लिस्ट और ग्रुप्स बनने लगते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है, हालांकि कुछ लोगों ने अपने अंक साझा भी किये हैं लेकिन माहौल में ढीलापन देखने को मिल रहा है |
इसके पीछे कई कारण हैं –

  1. पिछले दो वर्षों में अत्यधिक सिलेक्शन – 2017 से पहले हर वर्ष औसतन 190 सेवारत चिकित्सक पीजी करने जाते थे लेकिन पिछले दो ही सालों में एक हजार से अधिक सेवारत चिकित्सकों के पीजी में चले गए हैं, जिस से अभी पात्र अभ्यर्थी कम हो गए हैं |
  2. समानांतर पैरास्पेस्लिस्ट कोर्स – पिछले दो तीन वर्षों में राजस्थान सरकार द्वारा सेवारत चिकित्सकों के लिए दो अहम कोर्स प्रारंभ किये गए हैं जोकि पीजी के समकक्ष तो नहीं हैं लेकिन उनका कार्य संपादित कर सकते हैं, एक है इक्कीस माह का मेडिकल कॉलेजों में करवाया जाने वाला सर्टिफिकेट कोर्स और दूसरा जिला अस्पतालों में करवाया जाने वाला सीपीएस कोर्स, इन दो कोर्सेज में भी बहुत से सेवारत चिकित्सक जा चुके हैं, यानि पॉइंट 1 & 2 के कारण फील्ड में पीजी देने वालों की संख्या बेहद कम रह गयी है |
  3. सेवा में बढ़ा कार्यभार – पूर्व में सेवारत चिकित्सक सेवा कम और पढाई ज्यादा कर पाते थे लेकिन हाल ही में अस्पतालों में कार्यभार एवं योजनाओं के बढ़ जाने और मजबूत मोनिटरिंग के कारण उन्हें पढाई हेतु पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है, एग्जाम से पहले मौसमी बिमारियों के नाम पर छुट्टियों पर रोक आदि से भी परेशानी होती रही है |
  4. बढ़ा एग्जाम पैटर्न दे रहा दिक्कत – समय के साथ परीक्षा प्रणाली में भी बदलाव आया है, जिसे बरसों तक गाँवों में काम कर रहे, किताबों से दूर हो रहे सेवारत चिकित्सक टैकल नहीं कर पा रहे हैं, साथ ही नेगेटिव मार्किंग का भी असर देखने को मिल रहा है |
  5. पीजी में पीछे की सीटें (नॉन क्लिनिकल) लेकर शहर में पढाई करके दुबारा से परीक्षा देकर बड़ी सीट लेने का चलन बढ़ रहा है, बजाय इसके की फील्ड में रहके तैयारी की जाए |

देखा जाए तो अब सेवा में रहकर मेवा खाना आसान नहीं है, लगभग सेच्युरेशन की स्थिति आ चुकी है, इस स्थिति में नए एमबीबीएस करके निकल रहे अभ्यर्थी शायद सरकारी सेवाओं का रूख कम करेंगें, जो सेवा में हैं वे पीजी नहीं तो सर्टिफिकेट, सोनोग्राफी, सीपीएस जैसे कोर्सेज में सेटल हो लेंगें अन्यथा बीसीएमओ की सीट टटोलेंगे 🙂

Who is emergency patient ?

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बहुत बार इस स्थिति का सामना…

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