प्रदेश के अस्पतालों में चलेगा औचक निरीक्षण का दौर, मिशन निदेशक खुद उतरे मैदान में

कमान सम्हालते ही डॉ. समित शर्मा, मिशन निदेशक ने प्रदेश के सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने अपने क्षेत्र में अस्पतालों का सघन निरीक्षण करें ।

यह निरीक्षण उन अस्पतालों में व्यवस्था सुधारने की दिशा में होगा ।

मिशन निदेशक जयपुर के गणगौरी अस्पताल में निशुल्क दवा योजना की जानकारी लेकर निर्देश देते हुए –

मिशन निदेशक का मैसेज –

Good morning freinds,
As discussed yesterday, today all Directors, PDs, Additional and Joint directors, CMHOs , RCHOs , ADD/Dy CMHOs , DPMs ,BCMOs and DPCs etc (and MD, NHM also) will be visiting and monitoring our hospitals, CHCs, PHCs and Sub centres etc.
The objective is to monitor and improve the healthcare services in our state. This is a pious task. It is for supportive supervision and it’s not a fault finding exercise. Instead try to ‘catch’ them doing something ‘right’ and appreciate them and pat their back, instill confidence and a sense of responsibility in them.
The idea is to understand the genuine issues of the doctors and staff in field and to motivate, inspire and encourage them to provide quality healthcare services.
The focus can be on :
1. The healthcare facility starts delivering services as per the designated time. All doctors and staff are available (and providing services) during the work hours (and with Uniform and id card so the patient easily identifies them).
2. Get medicines from DDWs and make them available at all DDCs, a print of list of available medicine (with quantity) should be provided at the table of all doctors every Monday morning, before the opd starts. The idea is medicines are to be provided to all patients.
3. Availability of reagents, technician, equipment, x-ray films, ecg rolls etc so that patients can be properly investigated.
4. Properly arranged, neat and clean hospital specially opd , patient waiting area, labour room, wards and toilets.
5. Assured availability of quality health care services so that the patient feels satisfied and thanks us. (And we we too feel contented and thank God for choosing the noble profession for our life)
Believe me, together we will be creating history, in coming years. The concept of Health for all and universal health coverage is still largely in PSM books, together we can implement it on ground. It is an arduous task, but needs to be done, and of course attainable with hard work. Lakhs of poor and needy patients require our services to cure their suffering, pain and illness. God has entrusted this pious task to all of us.
So, please go ahead with a positive outlook and happy mood and make today a useful day.

A day worth living. A successful day of our life.

All the best.
Regards
Dr. Samit Sharma

जीका वैक्सीन बनाने में क्या हैं दिक्कतें ?

जीका वैक्सीन बनाने में क्या हैं दिक्कतें ?

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने प्रायोरिटी जताई की जीका के खिलाफ वैक्सीन बनाने की मुहीम चलाई जानी चाहिए, काफी प्रयास वैज्ञानिकों की तरफ से हुए पर कोई बड़ा परिणाम निकल कर नहीं आया |
वैक्सीन निर्माण में शुरूआती दिक्कत यह आई कि जीका वायरस की जो एंटीबाडी बनती हैं वो जीका से बचाने में तो ठीक हैं लेकिन उसी व्यक्ति को डेंगू हो जाने पर हालात भयंकर बिगड़ जाते हैं, इसे एंटीबाडी डिपेंडेंट एन्हेंसमेंट (ADE) कहा जाता है | “साइंटिफिक रिपोर्ट्स” जर्नल में छपी, नेब्रास्का-लिंकन यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार ऐसी जीका वैक्सीन बनाई तो जा सकती है जो बिना एंटीबाडी बनाये ही, जीका से बचाव करे, इस पर खोज जारी है |
केयु ल्युवेन रेगा इंस्टिट्यूट, बेल्जियम ने एक और सीढ़ी चढ़ते हुए ऐसी वैक्सीन तो बना ली है जो अजन्मे बच्चों को माइक्रोसिफेली होने से बचा सके, इसका सफलतापूर्वक परीक्षण गर्भवती चुहिया में किया जा चूका है | इन वैज्ञानिकों का कहना है की यह वैक्सीन येलो फीवर की तर्ज पर बनाई गयी है जो कि उसी मच्छर से ट्रांसमिट होता है, इन्होने वैक्सीन में येलो फीवर के कोड को जीका के कोड से बदलने की तकनीक पर काम किया |

उक्त दोनों संस्थाओं की रिसर्च शुरूआती संभावनाओं को दर्शाती है, लेकिन अभी जीका की वैक्सीन का बन पाना आसान नहीं |

Source – IE

जीका क्या है ? क्या हैं लक्षण और बचाव ? जानिये सब कुछ –

8700 ग्रेड पे की कैपिंग वाले हड़ताली समझौते का पोस्टमार्टम

असल में डीएसीपी 8700 कैपिंग का समझौता क्या था ?

सरकार और चिकित्सकों के बीच हुए समझौते की हकीकत

वर्ष 2011 दिसम्बर में हुई एतिहासिक हड़ताल के बाद दवाब में आकर कांग्रेस सरकार ने कुछ समझौते किये जिन्हें लेकर चिकित्सक करीब सात वर्ष तक घूमते रहे लेकिन उनका पूर्ण किर्यांवन किया नहीं गया | इसी क्रम में फिर से चिकित्सक आक्रोशित हुए और वर्ष 2017 की अगस्त क्रांति और दिसम्बर की बड़ी हड़ताल के बाद तत्कालीन भाजपा सरकार ने फिर से समझौतों का पुलिंदा बाँध दिया, जिसके किर्यांवन के लिए चिकित्सक वापस से उसी हालात में हैं |

इसी बीच निदेशक जनस्वास्थ्य के एक आदेश (नीचे संलग्न है) से चिकित्सकों में शंका है कि 8700 ग्रेड पे की कैपिंग तो हट गयी थी तो यह लेटर कहाँ से आया ? यह तो समझौते की ध्वजियाँ उड़ रही हैं ? आप खुद समझौते और निदेशक के आदेश को दुबारा पढ़ें !

दिसम्बर 2017 समझौते के प्रथम बिंदु में ही डीएसीपी से संबंधित मुद्दे थे, जिसमें कहा गया था कि 18 वर्ष वाले तीसरे प्रमोशन (6-6-6) में कुल चिकित्सकों के 18% के बजाय सभी पात्र चिकित्सकों को डीएसीपी का लाभ दिलवाया* जायेगा |

* यहीं पेच है, समझौते में सरकार चालाकी बरत गयी, 18% की कैपिंग नहीं हटाई, बल्कि यह लिख दिया गया की शेष को भी वित्त विभाग से शिथिलन दिलवा देंगे |
* अपना कैडर करीब दस हजार चिकित्सकों का है यानि 18% के हिसाब से 1800 डॉक्टर ही 8700 ग्रेड में घुसे रह सकते हैं, अभी करीब 900 डॉक्टर इसमें घुसे हुए हैं, कुछ नए घुसेंगे और कुछ रिटायर होते रहेंगे, अगर देखा जाए तो अगले दस साल तो कोई दिक्कत नहीं आएगी लेकिन वर्ष 2005 के बाद भर्ती हुए चिकित्सक जब तीसरे प्रमोशन की उम्र तक पहुंचेंगे, उस वक़्त 8700 ग्रेड में 1800 लोग हो चुके होंगें और यह फुल हो चुका होगा, यानि बड़ी दिक्कत तभी आएगी (करीब वर्ष 2025 ) |

* मुद्दा 8700 की कैपिंग को हटवाने का था लेकिन समझौता कैपिंग ना हटवाकर एक्स्ट्रा लोगों को वित्त विभाग से परमिशन दिलवाकर उन्हें डीएसीपी दिलवाने का हुआ तो अब वित्त विभाग परमिशन दे, ना दे, किसको दे, क्या पता | बाकि राड़ 2025 में होगी जब 1801वां चिकित्सक 2025 में जाकर कहेगा की हमारा दिसम्बर 2017 में समझौता हुआ था, उसकी अनुपालना में मुझे वित्त विभाग से शिथिलता दिलवाकर 8700 ग्रेड में लो, तो राम जाने लेंगे की नहीं !

डॉ. समित शर्मा के पहले ही आदेश से लेट-लतीफों में हलचल

मिशन निदेशक डॉ. समित शर्मा ने की अपने अंदाज में शुरुआत

राजस्थान सरकार में बदलाव के साथ ही विभिन्न विभागों के आला अधिकारी भी बदले गए, इसी क्रम में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में मिशन निदेशक, नेशनल हेल्थ मिशन एवं विशिष्ठ शासन सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएँ के पद पर डॉ. समित शर्मा की नियुक्ति की गयी है जो पूर्व में भी इसी विभाग में अहम पद पर रहे हैं |
डॉ. शर्मा की छवि एक ईमानदार ब्यूरोक्रेट की है जो खुद भी चिकित्सक (एमबीबीएस, एमडी पेडियाट्रिक्स) हैं, इन्हें एक अनुशासित और नवाचार करने वाले अधिकारी के रूप में जाता है जिनके लिए काम ही सर्वोपरि है, और अब इन्होने ने अपने इसी अंदाज में नयी पारी की शुरुआत की है और चिकित्सा निदेशालय एवं एनएचएम अनुभाग के अधिकारीयों, कार्मिकों को आदेशित किया है की वे अपने निश्चित समय सुबह 09:30 पर ही अपनी उपस्थिति देना सुनिश्चित करें |
जानकारों का मानना है की जल्दी ही निदेशालय और प्रदेश के कार्यकलाप में सुधार देखने को मिलेगा, जो की ग्रामीण स्वास्थ्य को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा |

| ईमानदारों में विश्वास, कामचोरों में डर |

जानिए ! किन किन आईएएस अधिकारीयों की हुई है चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति |

CDC advisory – अमेरिकी लोग राजस्थान, गुजरात जाने से बचें

सीडीसी एडवाइजरी जारी – खतरनाक हो सकता है राजस्थान भ्रमण

अमेरिका की सेंटर्स फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने गर्भवती महिलाओं के लिए अडवाइजरी जारी की है की वे भारत के राजस्थान और गुजरात प्रान्तों में ना जावें जहाँ हाल ही में जीका वायरस का अटैक हुआ है | हाल ही में अक्टूबर नवम्बर में राजस्थान में 159 जिका के कन्फर्म केस मिले थे | कुछ केस गुजरात बिहार मध्यप्रदेश से भी रिपोर्ट हुए थे |
नया साल इन स्टेट्स में टूरिज्म का पीक सीजन है और यही जीका के लिए सबसे बढ़िया मौसम है, इस आदेश से राजस्थान का चिकित्सा विभाग और पर्यटन विभाग सकते में है |

CDC alert classification –

  1. level 1 – usual precautions
  2. level 2 – enhanced protection
  3. level 3 – non-essential travel

इस अलर्ट को लेवल 2 में रखा गया है |

राजस्थान जीका आउटब्रेक और जिका के बारे में जानकारी यहाँ से लें –

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सीडीसी एडवाइजरी पर स्पष्टीकरण दिया है –
(बैठक में चेयर पर्सन श्री रोहित कुमार सिंह और डॉ. समित शर्मा )

Guess the Apollo hospital bill of Jaylalithaa Tamilnadu CM ?

You will surprise to know the amount billed. It was 6.85 crores !

Hospital administration came in panic after leaking of this bill.

Details as follow –

Source – Internet

एसीएस वीनू गुप्ता, एमडी नवीन जैन का चिकित्सा विभाग से तबादला, लौटे समित शर्मा

राजस्थान में नयी सरकार के साथ बदले प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेट्री और मिशन निदेशक

प्रिंसिपल सेक्रेटरी हेल्थ


श्री रोहित कुमार सिंह, आईएएस

DOB – 16/03/1964
RR:89


मिशन निदेशक, एनएचएम


डॉ. समित शर्मा, आईएएस

DOB – 21/02/1972
RR:04


शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा


श्री हेमन्त कुमार गेरा, आईएएस

DOB – 29/08/1970
RR:97


एमडी, आरएमएससीएल


श्री सुरेश चंद गुप्ता, आईएएस

DOB – 05/07/1962
(Promote RAS )



Medical student strangulated

औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के महात्मा गांधी मिशन मेडिकल कॉलेज के होस्टल में एक मेडिकल छात्रा की लाश बरामद हुई है । पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि 21 वर्षीय छात्रा आकांक्षा देशमुख की मौत गला घोंटने से हुई है ।

मृतक फिजियोथेरेपी की छात्रा थी, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है लेकिन अभी तक अपराधी का कोई सुराग नहीं मिला है ।

21 साल बाद बदलेगा MBBS का सिलेबस, जानें मुख्य बदलाव

21 साल बाद बदलेगा MBBS का सिलेबस, जानें मुख्य बदलाव

21 साल बाद मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया ने निर्धारित किया है की MBBS के सिलेबस को बदला जाए और इसमें कुछ महत्वपूर्ण अंगों का समावेश किया जावे, जैसे की डॉक्टर-मरीज सम्बन्ध, मानसिक स्वास्थ्य, नैतिक शिक्षा आदि |
बदले हुए सिलेबस को वर्ष 2019 से लागु किया जाना प्रस्तावित है |

मुख्य बदलाव –

एथिक्स (नैतिकता) – चिकित्सकीय नैतिकता, जानकारी गुप्त रखना, संवेदनशीलता

कम्युनिकेशन (वार्तालाप) – मरीजों और परिजनों से प्रभावी बातचीत, फसाद से बचना

मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) – तनाव, खीज, अवसाद के प्रभावित लोगों से समन्वय और इनकी पहचान, सलाह

पब्लिक हैल्थ (जन स्वास्थ्य) – ग्रामीण स्वास्थ्य, बचाव एवं सामाजिक स्वास्थ्य, संचारी-असंचारी रोग

ऑर्गन डोनेशन (अंगदान) – जानकारी और जनजागरूकता, भ्रामक जानकारियों की रोकथाम, फायदे

उपरोक्त सभी विषय नए हैं और इनका ज्ञान नए चिकित्सकों को होना अति आवश्यक है 🙂

2018 CNN Hero of the Year is a Doctor

Dr. Ricardo Pun-Chong बने CNN Hero of the year

पेरू देश के लीमा शहर में प्रेक्टिस करने वाले डॉक्टर रिकार्डो ने जब गाँवों से आने वाले गरीब बच्चों की परेशानियों को देखा तो उनका दिल पसीज गया, उनके पास आने वाले परिवार पहाड़ों-नदियों और दुर्गम रास्तों की कठिनाइयों को पार करके आते और अस्पताल में जमीन पर ही सोते या फिर उन्हें महंगे होटलों में रुकना पड़ता जिसके लिए उनके पास पैसे नहीं होते |
डॉ. रिकार्डो ने वर्ष 2008 में एनजीओ ‘इन्स्पिरा’ का गठन किया जिसके तहत उन्होंने बीमार बच्चों के परिवारों को मुफ्त रहना, खाना और सहयोग दिया, अभी तक करीब 800 परिवारों की मदद की जा चुकी है | आवास इस तरह बनाए गए थे जिसमें बच्चे अपना बचपन जी सकें |
सीएनएन की तरफ से ऑनलाइन वोटर्स पोल करवाया गया जिसमें दुनिया में पहला स्थान डॉ. रिकार्डो को मिला, और इन डॉक्टर शाहब का कहना है की उनके असली हीरो बच्चे हैं 🙂
इनाम के रूप में इन्हें एक लाख अमेरिकी डॉलर (सत्तर लाख रुपये) मिलेंगे, जिनका उपयोग ये और आवास बनाने में करेंगे, साथ ही सीएनएन की तरफ से पचास हजार डॉलर इनकी एनजीओ को भी दिए जायेंगे |
न्युयोर्क शहर में इन्हें इनाम दिया गया होस्ट एंडरसन कूपर और केली रीपा द्वारा !
हीरो ऑफ़ द इयर के टॉप दस फाइनलिस्ट में एक और डॉक्टर भी थे, डॉ. रॉब गोरे, ब्रुकलिन, न्युयोर्क से जो की इमरजेंसी मेडिसिन से हैं और Kings Against Violence Initiative चलाते हैं |