क्या है जीका वायरस ? कैसे बचें ? क्या हैं सावधानियां ?

जयपुर में अक्टूबर, नवम्बर में 159 जीका वायरस के केस डिटेक्ट हुए हैं, यह राजस्थान का पहला जीका आउटब्रेक* है ।

जुलाई में मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर ने संसद को बताया था की तीन केस अहमदाबाद में डिटेक्ट हुए थे और एक केस मिला था तमिलनाडु में ।

जीका वायरस ‘एडीज’ मच्छर से फैलता है और यह वही है जिससे डेंगू तथा चिकनगुनिया फैलता है, इसलिए इस मच्छर को पनपने से रोक कर इन तीनों बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। यह मच्छर मुख्यतया दिन में (रौशनी में) काटता है । शारीरिक संबंध बनाने और खून चढ़ाने से भी इसके फैलने की संभावना रहती है।
बीमारी के लक्षण – हल्का बुखार, लाल दाने, आँखों का आना, जॉइंट पेन, थकान, सरदर्द आदि । जीका में कई बार लक्षण नहीं दिखते हैं। बीमारी बढ़ने पर न्यूरोलॉजिकल और ऑर्गन फैलियर हो सकते हैं। ये लक्षण दो से सात दिन रहते हैं ।

इस रोग की पहचान के लिए होने वाली जाँचों में रक्त, मूत्र या लार संबंधी परीक्षण शामिल हैं, जो बीमार व्यक्ति में इस वायरस के आरएनए के होने का पता लगाने के लिए की जाती हैं। कोई वैक्सीन और ख़ास उपचार नहीं है, बुखार की दवा लेनी है, खूब फ्लूड लेना है ।

जीका का वायरस जानलेवा नहीं है, इसलिए इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि गर्भवती महिलाओं में पहली तिमाही में बच्चे के लिए यह वायरस खतरनाक साबित हो सकता है क्यूंकि यह रोग गर्भवती माँ से गर्भस्थ शिशु में जा सकता है (वर्टिकली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन) और शिशु के सिर के अपूर्ण विकास (Microcephaly#) की वजह बन सकता है। जीका वायरस के लिए टेस्ट की सुविधा जयपुर के एसएमएस के अलावा झालावाड़, बीकानेर, जोधपुर तथा कोटा में भी उपलब्ध है। (Reverse transcription (RT)-PCR of acute-phase serum samples is the test of choice.)
जिस इलाके में जीका आउटब्रेक हुआ है, वहां के आसपास के प्राइवेट अस्पतालों को भी बुखार के मरीजों और गर्भवती महिलाओं की विशेष जांच करते हुए समयबद्ध सुचना विभाग को देने के निर्देश दिए गए ।

मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचना महत्वपूर्ण है, इनमें मच्छर भगाने वाले उपाय अमल में लाना, कपड़ों से शरीर का अधिकतम भाग ढँककर रखना, मच्छरदानी का प्रयोग, मच्छर पुनर्जनन रोकने हेतु साफ़ तथा ठहरे पानी को हटाना जैसी बातें शामिल होती हैं, सभी घरों में कूलर अथवा टंकियों में पानी भरने के कारण मच्छरों के लार्वा पनप सकते हैं अतः अपने अपने घरों की सफाई जिम्मेदारीपूर्वक करते हुए जीका की रोकथाम में आप मदद कर सकते हैं ।

जीका वायरस

खोज – 1947 में युगांडा के जीका फोरेस्ट में येलो फीवर का शोध कर रहे पूर्वी अफ्रीकी विषाणु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक, रीसस मकाक (एक प्रकार का लंगूर) को पिंजरे में रख कर अपना शोध कर रहे थे, उस बंदर को बुखार हो जाता है और उसमें जीका वायरस पाया जाता है |
पहला आउटब्रेक – 2007 में माइक्रोनेशिया में (185 केस) जिसे पहले डेंगू या चिकनगुनिया समझा जा रहा था, फिर 2015 में ब्राजील में आउटब्रेक हुआ |

  • आउटब्रेक – किसी भी जगह पर अचानक, अनुमान से ज्यादा किसी बीमारी के मरीजों का मिलना |
  • # Microcephaly – When the Zika virus strikes unborn babies, it reduces the pool of brain cells in the foetus. As a result, the baby is born with a condition called microcephaly or a significantly smaller head size than a normal baby. What happens at the molecular level during such a virus attack has been a mystery.A group of Indian scientists at the National Brain Research Centre in Haryana have now identified the cellular and molecular mechanisms of what exactly causes microcephaly. They have found that the culprit is a protein – the Zika virus Envelope (E) protein – that affects normal properties of brain stem cells and is the reason behind the abnormality in babies affected by this mosquito-borne disease. Source
Dr. Jitendra Bagria
Public Health Expert.
MBBS, DHM, PGDPHM.
Visit Facebook !Follow me on Twitter !Connect here !
Facebook Comments