नीट पीजी 2019 के रिजल्ट के बाद सेवारत चिकित्सकों में क्यों है सन्नाटा ?

31 जनवरी की शाम नीट पीजी का रिजल्ट घोषित हो चुका है लेकिन सेवारत चिकित्सकों में सन्नाटा देखने को मिल रहा है, हर साल खूब कोहराम मचता है, रेंक लिस्ट और ग्रुप्स बनने लगते हैं लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं है, हालांकि कुछ लोगों ने अपने अंक साझा भी किये हैं लेकिन माहौल में ढीलापन देखने को मिल रहा है |
इसके पीछे कई कारण हैं –

  1. पिछले दो वर्षों में अत्यधिक सिलेक्शन – 2017 से पहले हर वर्ष औसतन 190 सेवारत चिकित्सक पीजी करने जाते थे लेकिन पिछले दो ही सालों में एक हजार से अधिक सेवारत चिकित्सकों के पीजी में चले गए हैं, जिस से अभी पात्र अभ्यर्थी कम हो गए हैं |
  2. समानांतर पैरास्पेस्लिस्ट कोर्स – पिछले दो तीन वर्षों में राजस्थान सरकार द्वारा सेवारत चिकित्सकों के लिए दो अहम कोर्स प्रारंभ किये गए हैं जोकि पीजी के समकक्ष तो नहीं हैं लेकिन उनका कार्य संपादित कर सकते हैं, एक है इक्कीस माह का मेडिकल कॉलेजों में करवाया जाने वाला सर्टिफिकेट कोर्स और दूसरा जिला अस्पतालों में करवाया जाने वाला सीपीएस कोर्स, इन दो कोर्सेज में भी बहुत से सेवारत चिकित्सक जा चुके हैं, यानि पॉइंट 1 & 2 के कारण फील्ड में पीजी देने वालों की संख्या बेहद कम रह गयी है |
  3. सेवा में बढ़ा कार्यभार – पूर्व में सेवारत चिकित्सक सेवा कम और पढाई ज्यादा कर पाते थे लेकिन हाल ही में अस्पतालों में कार्यभार एवं योजनाओं के बढ़ जाने और मजबूत मोनिटरिंग के कारण उन्हें पढाई हेतु पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है, एग्जाम से पहले मौसमी बिमारियों के नाम पर छुट्टियों पर रोक आदि से भी परेशानी होती रही है |
  4. बढ़ा एग्जाम पैटर्न दे रहा दिक्कत – समय के साथ परीक्षा प्रणाली में भी बदलाव आया है, जिसे बरसों तक गाँवों में काम कर रहे, किताबों से दूर हो रहे सेवारत चिकित्सक टैकल नहीं कर पा रहे हैं, साथ ही नेगेटिव मार्किंग का भी असर देखने को मिल रहा है |
  5. पीजी में पीछे की सीटें (नॉन क्लिनिकल) लेकर शहर में पढाई करके दुबारा से परीक्षा देकर बड़ी सीट लेने का चलन बढ़ रहा है, बजाय इसके की फील्ड में रहके तैयारी की जाए |

देखा जाए तो अब सेवा में रहकर मेवा खाना आसान नहीं है, लगभग सेच्युरेशन की स्थिति आ चुकी है, इस स्थिति में नए एमबीबीएस करके निकल रहे अभ्यर्थी शायद सरकारी सेवाओं का रूख कम करेंगें, जो सेवा में हैं वे पीजी नहीं तो सर्टिफिकेट, सोनोग्राफी, सीपीएस जैसे कोर्सेज में सेटल हो लेंगें अन्यथा बीसीएमओ की सीट टटोलेंगे 🙂

Who is emergency patient ?

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बहुत बार इस स्थिति का सामना…

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