the treatment of people suffering from depression now research will be done on them.
With the treatment of people suffering from depression in All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Bhopal, now research will be done on them.
08.07.2022
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) भोपाल में डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के इलाज के साथ उनके ऊपर रिसर्च भी की जाएगी। इसके लिए एम्स भोपाल, नेशनल हेल्थ मिशन और हेल्थ डिपार्टमेंट साथ में मिलकर काम करेंगे। डिप्रेशन की स्थिति में ‘इससे कैसे उबरना है’ विषय पर होने वाले इस रिसर्च वर्क के लिए यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एनआईएमएच) ने फंडिंग की है। एम्स में गुरुवार से इसकी शुरुआत हो गई।एम्स के विशेषज्ञों के अनुसार डिप्रेशन एक सामान्य मानसिक रोग है, जो हर साल लगभग 5 परसेंट आबादी को चपेट में लेता है। इससे सुसाइड केस बढ़ते हैं। इस रिसर्च में 1500 लोगों को शामिल करेंगे और एम्स भोपाल इनकी जीनोम सीक्वेंसिंग करेगा।
पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट पर फोकस
एम्स की रिसर्च में मरीज के पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट पर जोर दिया जाएगा। इसमें मेडिसिन लर्निंग एप्रोच के साथ ही कई अन्य जानकारियों के आधार पर ट्रीटमेंट की लाइन तय की जाएगी जैसे- मरीज के स्पेसिफिक जेनेटिक फैक्टर्स, उसकी परिवार से जुड़ी जानकारी, उसकी क्लीनिकल और मेडिकल हिस्ट्री आदि।विशेषज्ञों के मुताबिक इस एप्रोच से मरीज को अंदाज से दवाएं देेने या कांउसलिंग की बजाय स्पेसिफिक प्रभावी इलाज दिया जा सकेगा। स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने बताया कि यह बेहद खुशी की बात है कि पहली बार ये स्टडी भोपाल में हो रही है। इससे आम लोगों को काफी फायदा होगा। एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर का कहना है कि डिप्रेशन के इलाज में ये स्टडी लैंडमार्क साबित होगी।
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