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Corona cases increases silently in rajasthan.

According to the report of Medical Health Department Rajasthan, the danger of corona is increasing silently in Rajasthan.

04.07.2022
राजस्थान में कोरोना का संक्रमण भले ही घातक न हो, लेकिन ये अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। पिछले महीने जून में राज्य मिले कुल केस मई के मुकाबले 28 फीसदी ज्यादा थे, जबकि डेथ केस भी 50 फीसदी बढ़े है। विशेषज्ञों की माने तो जुलाई के शुरूआती दिनों में जो ट्रेंड दिख रहा है, उसे देखकर लगता है कि जुलाई में संक्रमण और बढ़ने की आशंका है।मेडिकल हेल्थ डिपार्टमेंट राजस्थान की रिपोर्ट देखे तो मई में राज्य में 2098 संक्रमित केस मिले थे, जबकि 31 दिन के अंदर केवल 5 मरीजों की मौत हुई थी। लेकिन जून में संक्रमित केसों की संख्या बढ़कर 2677 और डेथ केस 8 तक पहुंच गए। वहीं जुलाई महीने के शुरूआती 3 दिन की रिपोर्ट देखे तो अब तक कुल 328 केस मिल चुके है, जबकि 1 मरीज की अब तक डेथ हो चुकी है।पिछले 24 घंटे के दौरान राज्य में 106 नए मरीज मिले है, जबकि एक्टिव केस बढ़कर अब 948 हो गए है। वर्तमान में राज्य में औसत टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 2 फीसदी के करीब
जयपुर में सबसे ज्यादा केस
पिछले महीने जून में राजधानी जयपुर में सबसे ज्यादा केस मिले है। जयपुर में 30 दिन के अंदर 1136 मरीज मिले, जबकि बीकानेर राज्य में दूसरा जिला रहा जहां जयपुर के बाद सबसे ज्यादा 286 केस मिले है। इन दो जिलों के अलावा अलवर में 210, जोधपुर 233, अजमेर 172 और उदयपुर में 118 मरीज मिले।

ये 4 जिले रहे कोरोना मुक्त
राज्य में 33 में से 4 ऐसे जिले भी रहे जहां कोरोना का एक भी केस नहीं मिला। इसमें बूंदी, करौली, जैसलमेर और पाली शामिल है। इसके अलावा सवाई माधाेपुर, प्रतापगढ़, झुंझुनूं, डूंगरपुर, धौलपुर, भरतपुर और बाड़मेर ऐसे जिले रहे जहां कोरोना के कुल केस पिछले महीने 10 से भी कम रहे।

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Paramedical exams were be held by new service rules in raj.

Rajasthan government has made preparations to make service rules for ten types of paramedical courses, recruitment to these posts through examination soon

04.07.2022
ऑपरेशन थिएटर, कैथ लैब, डायलिसिस, ब्लड बैंक जैसे पैरामेडिकल कोर्सेज कर रहे विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। सरकार ने दस तरह के पैरामेडिकल कोर्सेज के सेवा नियम बनाने की तैयारी कर ली है। इससे अब इन कोर्स को करने के बाद विद्यार्थियों की सरकारी नौकरी लग सकेंगे। केबिनेट से मुहर लगना बाकी है।गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की मंशा के बाद चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने भी कवायद तेज कर दी है। मौजूदा स्थिति में मेडिकल लैब टेक्नीशियन, रेडियोग्राफर, ईसीजी टेक्नीशियन और ऑफ्थेल्मिक टेक्नीशियन के ही सेवा नियम बने हुए हैं। हालांकि राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल ने सरकार को 10 तरह के पैरामेडिकल कोर्स के लिए सेवा नियम बनाने के प्रस्ताव भेजा है। इधर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल लैब टेक्नीशियन के 900 और असिस्टेंट रेडियोग्राफर के 800 पदों पर भर्ती कराने के लिए कर्मचारी चयन बोर्ड को अभ्यर्थना भेजी है।

यह है,10 पैरामेडिकल कोर्स
ओटी टेक्नीशियन, कैथ लैब, डायलिसिस टेक्नीशियन, ब्लड बैंक, एंडोस्कोपी टेक्नीशियन आर्थोपेडिक टेक्नोलोजी, ईईजी टेक्नीशियन, इमरजेंसी एंड ट्रोमा केयर टेक्नीशियन, परफ्यूजन टेक्नी. ऑडियोमीट्रिक टेक्नीशियन।राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से प्रदेश में 11 तरह के कोर्स संचालित करती है। इनमें हर साल 7 हजार 500 सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। मौजूदा स्थिति में पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीकृत विद्यार्थियों की संख्या करीबन दस हजार है। राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय भी पैरामेडिकल में डिग्री कोर्सेज करा रही है। निदेशक (अराजपत्रित) सुरेश नवल का कहना है कि कुछ पैरामेडिकल कोर्सेज के सेवा नियम बनाने का प्रोसेस चल रहा है। जिससे कोर्स कर रहे छात्रों को फायदा मिल सकेगा।

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Now clerks,compounder and radiographer do sampling of food items

Preparations to check adulterants in Rajasthan, now Babu, Compounder, Radiographer and LT will also be able to do sampling of food items

04.07.2022

अब चिकित्सा विभाग में कार्यरत कंपाउंडर, बाबू, रेडियाेग्राफर, लैब टेक्नीशियन और लैब सहायक भी फूड सेफ्टी अफसर का काम कर सकेंगे। राज्य में फूड सेफ्टी अधिकारियों की कमी से जूझ रहे चिकित्सा विभाग ने अब इस संकट से पार पाने का यह तरीका निकाला है। इसके तहत फूड सेफ्टी अधिकारी की समकक्ष शैक्षणिक योग्यता वाले विभाग के ही अन्य संवर्ग के कर्मचारियों को फूड सेफ्टी अधिकारी के रिक्त पदों पर लगाया गया है। अब इन्हें ट्रेनिंग और नोटिफिकेशन के बाद काम सौंपा जाएगा।

50 डॉक्टरों को एफएसओ लगाने पर विरोध हुआ था

ऐसा ही प्रयोग चिकित्सा विभाग पहले भी कर चुका है। 50 डॉक्टरों को बतौर फूड सेफ्टी अफसर लगाने की तैयारी की गई थी। मामला विधानसभा में उठा और यह कहा गया कि पहले से डॉक्टरों की कमी है, कोविड के दौर में चिकित्सकों से गैर चिकित्सकीय कार्य कराने पर सवाल उठे थे।

आरपीएससी को 200 पदों की अभ्यर्थना भेजी गई है

यह न तो भर्ती है और न ही नियुक्ति। 39 कर्मचारी ट्रेनिंग के लिए छांटे गए हैं, जो समकक्ष योग्यता रखते हैं। 200 एफएसओ के पदों की अभ्यर्थना आरपीएससी की भेजी है। इसी बजट में सीएम ने भर्ती की घोषणा की थी। – सुनील शर्मा, खाद्य सुरक्षा आयुक्त

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Rajathan high court order for ayuvedic doctors

The matter related to the seniority of rural Ayurveda doctors, Rajasthan High Court, Jodhpur imposed interim stay on DPC

28.06.2022
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस अरूण भंसाली ने आयुर्वेद विभाग में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ग्रेड द्वितीय के पदों पर पदोन्नति (Departmental Promotion Committee) करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए जवाब के लिए समय दिया है।कोर्ट ने कहा कि विभाग की ओर से जारी अंतिम वरीयता सूची के आधार पर अग्रिम आदेश तक डीपीसी नहीं (Interim stay on DPC by High court) करें। अगली सुनवाई 11 जुलाई को मुकरर्र की गई है।याचिकाकर्ता डॉ. जितेन्द्र कुमावत व अन्य की ओर से अधिवक्ता खेत सिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखते हुए कहा कि आयुर्वेद विभाग में वर्ष 2013 में ग्रामीण आयुर्वेद चिकित्सक पद पर विभाग के 2008 के नियमों के तहत भर्ती हुए अभ्यर्थियों ने आयुर्वेद विभाग की ओर से गत 23 मई को जारी अस्थायी वरीयता सूची को चुनौती दी है। कोर्ट में बताया कि वर्ष 2017 में विभाग ने कैडर रिव्यू करते हुए उनके पद आयुर्वेद चिकित्सक के कैडर में समायोजित कर दिए तथा वर्ष 2008 के नियमों के अनुसार कार्रवाई आरंभ की जो अभी भी लंबित है। इसी बीच अस्थायी वरीयता सूची जारी कर दी गई। लेकिन उसमें 2008 के नियमों से भर्ती आयुर्वेद चिकित्सकों को शामिल नहीं किया गया और आपत्ति के बावजूद विभाग अंतिम वरीयता सूची जारी करने जा रहा है।

हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक की डीपीसी में अनियमितता को लेकर मांगा जवाब
उसके अनुसार वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ग्रेड द्वितीय के पदों पर पदोन्नति के लिए विभागीय पदोन्नति समिति का गठन करने जा रहा है। ऐसी स्थिति में याचीगण जो ग्रामीण आयुर्वेद चिकित्सक नियुक्त हुए एवं जब उनके पदों को आयुर्वेद चिकित्सक के पदों पर मर्ज कर दिया। उन्हें वरीयता सूची में शामिल नहीं करने का कोई कारण नहीं है।करीब 810 आयुर्वेद चिकित्सकों को वरीयता सूची से बाहर रखा गया है जो विधि विरुद्ध है. उनकी वरीयता पूरी तरह से प्रभावित हो जाएगी. राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल गौड ने कहा कि अंतिम वरीयता सूची पहले ही जारी की जा चुकी है। उन्होंने जवाब के लिए समय चाहा, जिस पर कोर्ट ने समय देने के साथ डीपीसी पर रोक लगा दी।

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Heart transplant works stops in SMS hospital ,jaipur

Due to lack of funds in Jaipur’s largest Sawai Mansingh Hospital (SMS), heart transplant work was stopped due to lack of funds, due to which heart transplants are not being done for poor people.

28.06.2022
राज्य सरकार ऑर्गन डोनेट को बढ़ावा देने के लिए कई तरीके से प्रयास कर रही है, मगर इसके लिए फंड की कमी पूरी नहीं कर पा रही है। प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में दो साल से फंड की कमी की वजह से हार्ट ट्रांसप्लांट का काम बंद पड़ा है। इसके चलते अस्पताल में प्रदेश के गरीब लोगों के हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहे हैं। वहीं अस्पताल में आने वाले ब्रेनडेड लोगों के हार्ट सहित अन्य ऑर्गन निजी अस्पतालों में भेजे जा रहे हैं। निजी अस्पतालों में हार्ट ट्रांसप्लांट के 25 लाख रुपए तक लग रहे हैं। दूसरी तरफ एसएमएस अस्पताल में करीब 10 लाख रुपए तक का ही खर्च आता है, यह राशि भी सरकार वहन करती है।एसएमएस अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 24 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन करा रखा है। ये लोग दो साल से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल में आने वाले ब्रेनडेड मरीजों के ऑर्गन और जांच में मैच होने के बाद भी फंड की कमी की वजह से ट्रांसप्लांट नहीं हो पा रहे हैं। मरीजों को मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है। दो साल में एसएमएस अस्पताल से पांच लोग ब्रेनडेड हो चुके हैं।

पांच माह में तीन ट्रांसप्लांट, लेकिन पिछले दो साल में एक भी नहीं
एसएमएस अस्पताल में जनवरी 2020 में पहला हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ था। इसके बाद इसी साल मार्च और मई में ट्रांसप्लांट हुए, फिर कोरोना आ गया। पहले तो कोरोना की वजह से ट्रांसप्लांट नहीं हुए। अब कोरोना कम हुआ तो अस्पताल प्रशासन फंड नहीं मिलने की वजह बताकर ट्रांसप्लांट नहीं कर रहा है। पहला हार्ट ट्रांसप्लांट 8 साल पहले 6 घंटे में हुआ था।प्रदेश में सबसे पहले हार्ट ट्रांसप्लांट की शुरुआत 8 साल पहले महात्मा गांधी अस्पताल में हुई। अस्पताल में पहला ट्रांसप्लांट 2 अगस्त 2015 में हुआ। इसमें ब्रेनडेड और रिसीवर दोनों एक ही अस्पताल में मौजूद थे। ट्रांसप्लांट अस्पताल के डॉ. चिश्ती और उनकी टीम ने राजू नाम के ब्रेनडेड मरीज का हार्ट सूरजभान में ट्रांसप्लांट किया था। ट्रांसप्लांट में 12 डॉक्टर सहित 24 लोगों की की टीम लगी थी। ऑपरेशन में करीब 6 घंटे लगे थे।

हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद आठ लोग जी रहे हैं नॉर्मल जिंदगी
राजधानी में आठ साल में दो निजी और एक सरकारी अस्पताल को मिलाकर 10 हार्ट ट्रांसप्लांट हुए हैं। इसमें से आठ लोग नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं। दो लोगों की मौत हो चुकी है। दो से एक की मौत कोविड की वजह से हुई है। सबसे अधिक हार्ट ट्रांसप्लांट ईएचसीसी अस्पताल में 6 हुए हैं। एसएमएस अस्पताल में तीन और महात्मा गांधी अस्पताल में एक हुआ है।फंड की कमी की वजह से अस्पताल में हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं अटके हुए हैं। मरीज के ब्लड ग्रुप सहित अन्य जांचें मैच नहीं होने की वजह से ट्रांसप्लांट नहीं हो रहे होंगे, -डॉ. विनय मल्होत्रा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल

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Crisis on nursing institutions in new rule

Crisis on more than 275 nursing institutions of Rajasthan, big private hospitals will have moonlight

28.06.2022
राज्य में संचालित 345 नर्सिंग शिक्षण संस्थानों में से 275 से अधिक की मान्यता पर संकट खड़ा हो गया है। राज्य सरकार की नई नीति के बाद 100 बेड का अस्पताल संचालित करने वाले ट्रस्ट या अस्पताल ही आवेदन कर पाएंगे। दूसरे ट्रस्ट के अस्पताल को स्वयं से जोड़कर मान्यता हासिल करने का विकल्प अब समाप्त कर दिया गया है। अस्पताल स्वयं आवेदन करेंगे तो इनके आधार पर पहले से चल रहे दूसरे संस्थानों की मान्यता स्वत: ही समाप्त हो जाएगी। इन प्रावधानों से जहां छोटे ट्रस्ट दौड़ से बाहर हो जाएंगे, वहीं बड़े अस्पताल समूहों की चांदी होगी।केन्द्र सरकार की ओर से मार्च 2021 में जारी अधिसूचना के अनुसार कोई भी अस्पताल एक से अधिक नर्सिंग संस्थान से नहीं जुड़ सकता। वर्तमान में राजधानी जयपुर के ही करीब आधा दर्जन बड़े अस्पताल समूहों ने दूसरे संस्थानों को अपने अस्पताल के साथ जोड़ा हुआ है। हालांकि नए प्रावधान नए सत्र से लागू होंगे, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर पहले से संचालित कई संस्थानों को बाहर करने की तैयारी की है।
100 बेड का प्रावधान पहले से भी :केन्द्र व राज्य सरकार के पिछले प्रावधानों में भी 100 बेड का अस्पताल अनिवार्य रखा गया था, लेकिन उसमें किसी दूसरे अस्पताल को स्वयं से जोड़कर संस्थान संचालित करने के नियम की गली राहत बनी हुई थी। इस नियम से ही राज्य के करीब 80 प्रतिशत संस्थान संचालित होते आ रहे थे। प्रदेश में इस समय 164 नर्सिंग कॉलेज और 181 जीएनएम नर्सिंग शिक्षण संस्थान संचालित हैं।
सरकार के दर पर कतार होगी कम :
अभी तक के नियमों से नर्सिंग कॉलेज चलाने के लिए अस्पताल समूह या ट्रस्ट ही नहीं कई जनप्रतिनिधि, नेता और अन्य प्रभावशाली लोग भी दौड़ में शामिल रहते थे। लेकिन अब नए नियम से ये स्वत: ही दौड़ से बाहर हो गए हैं।
…नए नियमों के आधार पर ही अब मान्यता दी जाएगी। इसकी विज्ञप्ति जल्द ही जारी करने जा रहे हैं।
शशिकांत शर्मा, रजिस्ट्रार, राजस्थान नर्सिंग काउंसिल

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Positivity rate increase in Rajasthan

covid positivity rate increased by 13 times to 6.68 percent, 9 districts of Rajasthan included in the districts with positivity

28.06.2022
बीकानेर देश के उन 54 जिलों में शामिल हो गया है, जिनमें कोविड की पॉजिटिविटी रेट पांच से 10 प्रतिशत के बीच पहुंच चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की इस सूची में राजस्थान के नौ जिले हैं। इनमें बीकानेर के साथ ही संभाग का श्रीगंगानगर भी शामिल है। मंत्रालय की सोमवार को अपडेट की गई 17 से 23 जून तक की रिपोर्ट में यह अलर्ट करने वाला तथ्य सामने आया है।इस रिपोर्ट के मुताबिक बीकानेर में पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 6.68 प्रतिशत तक पहुंच गई है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इससे पहले 14 से 20 जून तक की रिपोर्ट में बीकानेर की पॉजिटिविटी रेट महज दशमलव 49 प्रतिशत थी। यानी पॉजिटिविटी रेट 13 गुना से ज्यादा बढ़ गई। श्रीगंगानगर में पॉजिटिविटी रेट 9.27 प्रतिशत है। प्रदेश के भरतपुर और जयपुर दो जिले ऐसे हैं, जहां पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से अधिक है। देश में ऐसे 53 जिले हैं, जहां पॉजिटिविटी रेट 10 से ज्यादा है। देश के 606 जिलों में पॉजिटिविटी रेट पांच प्रतिशत से कम है। इस सूची में राजस्थान के 20 जिले हैं। प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा दो ही ऐसे जिले हैं जहां साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट जीरो है।

कोरोना: 6 नए मरीज मिले
कोरोना के सोमवार को छह नए मरीज सामने आए हैं। वहीं दो मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव मिलने पर उन्हें पीबीएम हॉस्पिटल के एमसीएच विंग से छुट्टी दे दी गई। सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा ने बताया कि सोमवार को नत्थूसर गेट, विश्वकर्मा गेट, सुनारों की बड़ी गुवाड़, चौखूंटी फाटक, भुट्टों का चौराहा तथा जेएनवी कॉलोनी से मरीज मिले हैं। उल्लेखनीय है कि जून महीने में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या दो सौ से भी अधिक पहुंच चुकी है। रविवार को जिले में 22 नए मरीज मिले थे।

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NOW,doctors will have to keep medical records of patients

The doctor will have to keep records for three years from the last treatment of the patient, it is mandatory in OPD and IPD, new rules prepared by the Medical Commission

27.06.2022
पंजीकृत चिकित्सकों के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा तैयार किए गए मसौदे पर आपत्तियों की समय सीमा बुधवार को पूरी हो गई। (पेशेवर आचरण) विनियमन, 2022 में कई बड़े बदलाव हुए हैं। इसमें एनएमसी की नैतिकता और डॉक्टर के कर्तव्य के प्रति जवाबदेही को और प्रभावी बनाया गया है। अब डॉक्टर को मरीज के अंतिम इलाज से तीन साल का रिकॉर्ड रखना होगा। ओपीडी और आईपीडी में यह अनिवार्य है। आपात स्थिति में मरीजों के परिजनों का यह रिकॉर्ड उसी दिन उपलब्ध कराना होता है। इसका भुगतान सामान्य आधार पर अधिकतम पांच दिनों में करना होगा। ड्राफ्ट जारी होने के तीन साल के भीतर मरीज के डेटा को डिजिटाइज किया जाना चाहिए।नशे में मरीज को देखने पर डॉक्टर को तीन साल तक के लिए सस्पेंड किया जा सकता है। इलाज शुरू करने से पहले मरीज की फीस की जानकारी देनी होगी। आपात स्थिति में मरीज का इलाज करते समय शुल्क का भुगतान नहीं करने पर इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है। एनएमसी ने 23 मई को मसौदा जारी किया था और 22 जून तक इस पर टिप्पणी मांगी थी।इस मसौदे में आरएमपी को जेनेरिक नामों से दवा लिखने की सलाह दी गई है। दिशानिर्देश 8 का मसौदा रोगी रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए एक प्रारूप प्रदान करता है। इसमें डॉक्टरों को मरीज का नाम, उम्र, लिंग, पता, पेशा, अंतिम मुलाकात की तारीख, मामले की क्लिनिकल नोट (सारांश), जांच, निदान, सलाह सहित विवरण रखना सुनिश्चित करना होता है।

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CMHO qualification changed in rajasthan

Rajasthan government has changed the qualifications and parameters for the post of Chief Medical Health Officer (CMHO), based on the new rules, 21 out of 34 CMHOs do not have the qualifications for the post, hence their removal is decided.

27.06.2022
राज्य सरकार ने पिछले दिनाें जिलों में सबसे बड़े हेल्थ ऑफिसर यानी सीएमएचओ (चीफ मेडिकल हेल्थ ऑफिसर) पद की योग्यता व मापदंडों में बदलाव किया है। अब नए नियमों के आधार पर 34 में से 21 सीएमएचओ के पास पद की योग्यता नहीं है। इसलिए इनका हटना तय है।सरकार ने नए सीएमएचओ लगाने के लिए पूल बना दिया है, जिसमें पूरे प्रदेश से 89 डॉक्टर शामिल किए हैं। नियमों की वजह से कई साल से एक ही जगह लगे जयपुर प्रथम सीएमएचओं डाॅ. नराेत्तम शर्मा, जाेधपुर के डाॅ. बलवंत मंडा, झुंझुनूं के छाेटेलाल गुर्जर, पाली के डाॅ. रामपाल मिर्धा और नागाैर सीएमएचओ डाॅ. मेहराम महिया काे पद से हटना पड़ेगाइन जिलाें में शाॅर्ट लिस्ट किए गए 89 डाॅक्टराें में से नियुक्ति की जाएगी। सूत्राें के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने सरकार की फ्लैगशिप याेजनाओं काे गति देने के लिए सीएमएचओं पद की याेग्यता निर्धारित की है, ताकि अयाेग्य डाॅक्टर इस महत्वपूर्ण पद काे नहीं संभाल सके।इसके लिए विभाग ने 15 मार्च काे परिपत्र जारी करते हुए 31 मार्च तक सीएमएचओ पद के याेग्य डाॅक्टराें से आवेदन मांगे थे। अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी काे सीएमएचओं पद के लिए पूल बनाने का जिम्मा साैंपा था। पिछले दिनाें हुई मीटिंग में कमेटी ने सिर्फ 89 डाॅक्टराें काे ही पात्र माना है। पूल में 21 जिलाें के सीएमएचओ के नाम नहीं हैं। ऐसे में इन्हें पद से हटाया जाएगा।स्वास्थ्य विभाग ने जाे पूल बनाया है, उसमें सीकर के 5 डाॅक्टर हैं। डाॅ. विष्णुदयाल मीना फिलहाल प्रतापगढ़ सीएमएचओं, जबकि डाॅ. सीपी ओला सीकर डिप्टी सीएमएचओं हैं। जयपुर द्वितीय में एडिशनल सीएमएचओं डाॅ. निर्मल जैन हैं।सांभर सीएचसी पर कार्यरत डाॅ. अनिल कुमार और जाेधपुर की सालावास सीएचसी पर नियुक्ति डाॅ. मदनलाल कटारिया मूलत: सीकर जिले के हैं और सीएमएचओं के पूल में शामिल किए हैं।

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Covid in jodhpur

51 infected in Jodhpur in 3 days, out of which 33 i.e. about 65% returned from outside

25.06.2022
गर्मियों की छुट्टियों में घूमने जाना महंगा पड़ता दिखाई दे रहा है। शहर शुक्रवार को कोरोना के 17 नए रोगी मिलने के साथ ही दिन में मिले संक्रमितों का आंकड़ा 51 पहुंच गया, इनमें से 33 यानी करीब 65% लोग दूसरे राज्यों में जाकर वापस लौटे हैं।शुक्रवार को 272 संदिग्धों की जांच में संक्रमण दर 6.5% पहुंच गई। जून के 24 दिनों में 140 संक्रमित मिल चुके हैं। यह मार्च के बाद अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। जबकि अप्रैल में 39 और मई में 43 संक्रमित मरीज मिले थे। जून में डिस्चार्ज होने वालों का आंकड़ा 76 रहा है, जबकि एक संक्रमित की मौत भी हुई है।नए संक्रमितों में से भी 8 बाहर से आए, दो संपर्क में आकर पॉजिटिव
संक्रमितों में 8 मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री बताई जा रही है। इसके अलावा 2 मरीज पूर्व संक्रमितों के संपर्क में आकर पॉजिटिव हुए। शहर के 9 जोन में से प्रतापनगर में 1, महामंदिर में 1, मसूरिया में 1, शास्त्रीनगर में 3, मधुबन 2, रेजिडेंसी 6 और बीजेएस से 2 पॉजिटिव मिले हैं। जबकि ग्रामीण 10 ब्लॉक में से लूणी से 1 संक्रमित मरीज मिला है।

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