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Now,Janadhar card is essential for free treatment in gov. hospital of Raj.

Now only Janadhar card will get free treatment in government hospitals of Rajasthan

16.07.2022
सरकारी अस्पतालों में अब सिर्फ जनाधार कार्ड से मुफ्त इलाज मिल सकेगा। फिलहाल, अभी तक आधार और जनाधार कार्ड दोनों मान्य था। सरकार ने दो महत्वाकांक्षी योजनाओं के लाभार्थियों के समन्वय के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। हालांकि, शुरुआती फेज में मरीजों की दिक्कतों को देखते हुए आदेश के क्रियान्वयन में कुछ शिथिलता दी गई है, लेकिन जून के अंतिम सप्ताह से सभी सरकारी अस्पतालों में जनाधार कार्ड पर ही मरीजों को फ्री ट्रीटमेंट मिलेगा।सीएम अशाेक गहलोत ने पिछले बजट में यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज स्कीम की घोषणा की थी। बजट में योजना का दायरा 10 लाख रुपए बढ़ाने के साथ ही अस्पतालों में ओपीडी-आईपीडी सेवाएं निशुल्क कर दीं। अब दोनों योजनाओं के क्रियान्वयन की शुरुआत हुई तो सामने आया कि एक योजना के लाभार्थी दूसरी योजना में शामिल हो रहे हैं। इससे सरकार को दोहरा नुकसान हो रहा है। इसे रोकने के लिए ही जनाधार कार्ड अनिवार्य किया गया है।

जनाधार नहीं तो एक बार ही फ्री इलाज
शुरुआत में किसी मरीज के पास जनाधार कार्ड नहीं है ताे राजस्थान निवासी मरीज के परिजनों काे दस्तावेजों के साथ अस्पताल अधीक्षक के सामने पेश होकर शपथ पत्र देना हाेगा। दस्तावेज की जांच के बाद ही नि:शुल्क इलाज की स्वीकृति मिल सकेगी। दूसरी तरफ जिला प्रशासन काे भी जनाधार बनाने के लिए मरीज द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज भेजे जाएंगे। दूसरी बार आने पर बिन जनाधार के नि:शुल्क इलाज नहीं मिलेगा। गौरतलब है कि एसएमएस में हर दिन करीब आठ हजार से 10 हजार मरीजों की ओपीडी है। इनमें से काफी संख्या दूसरे राज्यों से आए मरीजों की होती है। सरकार को इनका खर्च वहन नहीं करना पड़े इसलिए जनाधार अनिवार्य किया गया है।

दूसरे राज्यों के लोगों को रोकने के लिए नियम
नि:शुल्क इलाज की सुविधा राजस्थान के निवासियों के लिए है, लेकिन दूसरे राज्यों के लाेग भी इसका लाभ ले रहे हैं। इस राेकने के लिए जनाधार की अनिवार्यता की गई है। आदेश दाे सप्ताह पहले जारी कर दिया गया था, लेकिन अब इसे पूरी तरह लागू कर दिया है। -वैभव गालरिया, चिकित्सा शिक्षा, सचिव

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Right to health bill,rajasthan

Gehlot government will give ‘right to health’ to the people of Rajasthan; Know what is special in the new bill

एक ओर जहां देश में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने देश के पहले ‘स्वास्थ्य का अधिकार कानून’ का एक मसौदा तैयार किया है। इस मसौदे में मरीजों, उनके अटेंडेंट्स और हेल्थकेयर प्रवाइडर्स के अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके साथ ही इस नए कानून में इनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी सिस्टम भी तैयार किया गया है।इस मसौदे से बुनियादी तौर पर जुड़े राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मार्च में शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि सभी स्टॉक होल्डर्स से बातचीत करने के बाद कैबिनेट इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार करेगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 के बजट में घोषणा की थी कि प्रदेश में सभी को स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए 3,500 करोड़ रुपये की यूनिवर्सल हेल्थकेयर स्कीम की भी घोषणा की थी। इस स्कीम के तहत राज्य के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये तक का चिकित्सा बीमा का लाभ मिलना था।

मरीजों के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा बिल
अधिकारियों के अनुसार, ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ सरकारी और प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थानों में आम लोगों को कुछ अधिकारों की गारंटी देता है। उन्होंने कहा, ‘राजस्थान सरकार पहले से ही मुफ्त दवाएं, टेस्टिंग और 5 लाख रुपये तक का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। यह कानून न केवल इन सुविधाओं को ठीक तरह से उपलब्ध कराएगा बल्कि मरीजों और उनके अटेंडेंट्स के अधिकारों को भी सुनिश्चित करेगा।’

गोपनीय रहेगा मरीज का हेल्थ रेकॉर्ड
अधिकारी ने कहा कि यह बिल मरीज या उसके अटेंडेंट को कुछ बीमारियों के इलाज की लागत जानने का अधिकार प्रदान करता है। इसके साथ ही उन्हें इस बात का भी अधिकार मिलेगा कि वे इलाज से संतुष्ट न होने पर किसी अन्य डॉक्टर से कन्सल्ट करके मरीज को डिस्चार्ड करा सकें। इसके साथ ही बिल में अस्पतालों के लिए मरीज के हेल्थ रिकॉर्ड की गोपनीयता बनाए रखना भी अनिवार्य रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसका उद्देश्य हेल्थ सिस्टम में पारदर्शिता के साथ-साथ मरीजों का सस्ता इलाज सुनिश्चित करना है।’

गांवों में भी स्वास्थ्यकर्मियों को करना होगा काम
अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर यह देखा जाता है कि शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मचारी अधिक हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी कमी रहती है। उन्होंने कहा, ‘नया कानून यह सुनिश्चित करेगा कि मरीजों और हेल्थ वर्कर्स के बीच समानता हो। इसके लिए एक ट्रांसफर और पोस्टिंग पॉलिसी लागू होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि स्वास्थ्य कर्मि भीयों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करना होगा।’ अधिकारी ने कहा कि इसी तरह की एक 1991 से तमिलनाडु में लागू है और वहां की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार देखने को मिला है।

स्वास्थ्य अधिनियम लागू करने के ड्राफ्ट में एनजीओ, सिविल सोसाइटी और अन्य संगठन से सुझाव/आपत्ती
नियम के अंतर्गत दिए गए मसौदे में कई प्रकार के एनजीओ और सिविल सोसाइटी ओने कई सुझाव और इससे होने वाली आपत्ति के ऊपर बात करते हुए पूरा ड्राफ्ट तैयार किया गया है।

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Hanumangarh becomes 11th rank in chiranjivi health scheme

Hanumangarh came from 23rd to 11th rank in Chief Minister Chiranjeevi Health Insurance Scheme, hospitals have received Rs 5 crore claim

12.07.2022
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की रैंकिंग में हमारा जिला 23वें से 11वें पायदान पर आ गया है जबकि जयपुर पहले और श्रीगंगानगर 20वें स्थान पर है। जिले का कुल स्कोर 40 फीसदी रहा है। जिले में अब तक 3 लाख 48 हजार परिवार योजना से जुड़ चुके हैं और इसमें अप्रैल माह में 5256 रोगियों का उपचार किया गया।क्लेम की बात करें तो जिले के अस्पतालों को अभी तक 5 करोड़ रुपए का क्लेम मिल चुका है जिसमें प्राइवेट अस्पताल 3 करोड़ 89 लाख रुपए और सरकारी अस्पताल 1 करोड़ 11 लाख रुपए क्लेम राशि ले चुके हैं। सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि चिरंजीवी परिवारों की महिला मुखिया को अगस्त माह तक एंड्रॉयड मोबाइल देने की तैयारी है। इसको लेकर उच्च स्तर पर प्रक्रिया शुरू हो गई है।जिला अस्पताल में योजना में दो माह से अधिक क्लेम बुक हो रहे हैं। इससे आरएमआरएस की आय बढ़ने से जिला अस्पताल को फायदा हो रहा है। पीएमओ डॉ. मुकेश पोटलिया ने बताया कि पहले रोगियों को राहत और अस्पताल को फायदा हो इसके लिए स्टाफ प्रयासरत है। अप्रैल में 636 केस का क्लेम किया था। वहीं मई में यह संख्या बढ़कर 1032 और जून में 1382 हो गई। इस तरह से अप्रैल में क्लेम राशि 24 लाख रुपए, मई में 38 लाख रुपए और जून में 46 लाख रुपए तक आंकड़ा पहुंच गया। यहां बता दें कि इससे पहले 8 से 10 लाख रुपए प्रतिमाह का काम हो रहा था।चिरंजीवी योजना में 850 रुपए की राशि जमा करवाने के बाद ऐसे लोग जिनकी पॉलिसी अवधि शुरू नहीं हुई है वह भी योजना में इलाज करवा सकेंगे। ऐसे लोगों में यदि कोई गरीब, असहाय एवं निराश्रित परिवार योजना की निशुल्क श्रेणी में पात्रता रखता है लेकिन किसी कारणवश उस श्रेणी में उस परिवार का नाम नहीं जुड़ सका एवं अज्ञानतावश संबंधित ने 850 रुपए प्रीमियम जमा करवाकर योजना में पंजीकरण करवा लिया है लेकिन उसकी पॉलिसी शुरू नहीं हुई है तो इस प्रकार के केस में कलेक्टर की अनुशंषा पर ऐसे मरीजों को योजना में निशुल्क उपचार का लाभ दिया जा सकेगा।

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Upgradation in rajasthan free medicines scheme

Rajasthan is the first state where 1795 medicines are free, 824 more medicines were added in the free scheme, Rs 1057 crore. Budget, supply from the end of August

11.07.2022
प्रदेश में संचालित निशुल्क दवा योजना में 824 और दवाइयों को शामिल किया गया है। इससे राजस्थान देश में ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां 1795 तरह की दवाइयां व सर्जिकल आइटम आमजन को निशुल्क मिल सकेंगे। इन दवाइयों में नेत्र, एंटीबायोटिक इंजेेक्शन, दर्द निवारक, स्किन मेडिसिन, विटामिन इंजेक्शन, नेजल स्प्रे, अस्थमा, कफ सीरप (बच्चों के भी) आदि शामिल हैं। पिछले 4 माह से इसकी तैयारी कर रहे राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (आरएमएससीएल) के अधिकारियों का कहना है।कि दवाइयों की सूची बना ली गई है। प्रयास है कि अगस्त में सप्लाई शुरू हो जाए। शुरुआती दौर में 1057 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बाद में बजट बढ़ाया जा सकता है।

पहली बार डॉक्टर्स की मदद के बिना ही लिस्टिंग
योजना में अभी 713 तरह की दवाइयां, 181 तरह के सर्जिकल आइटम और 77 तरह के सूचर्स शामिल हैं। आरएमएससीएल 17550 चिकित्सा संंस्थानों में ये दवाएं उपलब्ध करा रहा है। दवाइयां बढ़ाने के लिए आरएमएससीएल ने पहली बार डॉक्टर्स और बाहरी सहयोग के बिना अपने स्तर पर तैयारी पूरी की। पहले डॉक्टरों से सहयोग लेते रहे हैं।

इन बीमारियों की दवाइयां होंगी फ्री
ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक, आर्थराइटिस, नेत्र, जनरल मेडिसिन, ग्रोथ हार्मोन्स, डायबिटीज, कैंसर की लगभग सभी तरह की दवाइयां। {गस्ट्रो, न्यू एंटीबायटिक, आईवीएफ, एंटी फंगल, आर्गन ट्रांसप्लांट में काम आाने वाली दवाइयां। टेस्ट में काम आने वाली कंट्रास्ट व डाई, लिवर सिरोसिस, गेस्ट्रो कैंसर, ब्लड प्रेशर, विटामिन सहित सभी तरह की दवाइयां।

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New policy for doctors in Rajasthan

Notification after permission of DOP, Finance and Law Department, new policy for doctors in Rajasthan, separate cadre of specialist doctors will be formed

08.07.2022

सरकारी नौकरी से दूर भाग रहे डॉक्टरों को आकर्षित करने के लिए सरकार अब पॉलिसी बदलेगी। स्पेशलिस्ट डॉक्टर नॉन क्लिनिकल का काम नहीं करेंगे। आने वाले भविष्य, डिजिटल युग और फैल रही बीमारियों को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम कर रहे डॉक्टरों की पॉलिसी का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है। इसके बाद डीओपी, वित्त और विधि विभाग की अनुमति मिलने पर फाइल सीएमओ जाएगी।इसके बाद नियमों में संशोधन में होने के बाद गजट नोटिफिकेशन जारी होगा। उल्लेखनीय है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन करीबन 12 हजार डॉक्टर काम कर रहे है। इनमें से 1200 स्पेशलिस्ट और 10 हजार एमबीबीएस डॉक्टर शामिल हैं।

हॉस्पिटल मैनेजमेंट कैडर का गठन होगा

वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में दूरस्थ स्थानों पर विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों का अलग कैडर बनाने की घोषणा की है। साथ ही मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों, अस्पताल के लिए हॉस्पिटल मैनेजमेंट कैडर का गठन किया जाना प्रस्तावित है।

वर्ष -2011 और 2017 में समझौते की मूल भावना के अनुरूप संघ के प्रतिनिधि से विचार-विमर्श करना चाहिए। जिससे चिकित्सकों को समुचित लाभ जैसे 10 हजार रुपए ग्रेड-पे के रूप में कैडर होना चाहिए। -डॉ.डीएस सैनी

पॉलिसी में यह होगा

3 तरह के कैडर में स्पेशलिस्ट डॉक्टर, हॉस्पिटल मैनेजमेंट और पब्लिक हैल्थ कैडर बनाए जाएंगे।
पब्लिक हैल्थ, ईएसआई, अरबन हैल्थ, नॉन कम्यूनिकेबल, सूचना प्रौद्योगिकी के 12 निदेशक नियुक्त।
हॉस्पिटल मैनेजमेंट में एमबीबीएस के अलावा अस्पताल प्रबंधन वाले एमबीए, एमपीएच आदि शामिल। पब्लिक हैल्थ कैडर में एमबीबीएस डॉक्टर को नियुक्ति के साल भर में पब्लिक हैल्थ का कोर्स अनिवार्य।
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की ग्रेड-पे बढ़ाना प्रस्तावित।

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No examination controller in rajasthan paramedical council

There is no examination controller in Rajasthan Paramedical Council for the last 20 days, due to the negligence of the council, the future of the students is in danger.

06.07.2022
एक तरफ सरकार बेरोजगारों को सरकारी नौकरी के सपने दिखा रही है। वहीं राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में पिछले 20 दिन से परीक्षा नियंत्रक ही नहीं है। काउंसिल के पास प्रदेश की पैरामेडिकल संस्थानों की परीक्षा के लिए फार्म भरवाना, थ्योरी और प्रायोगिक परीक्षा का टाइम टेबल की घोषणा करना।ऑल राजस्थान पैरामेडिकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष जतन गुर्जर का कहना है कि काउंसिल की लापरवाही के कारण विद्यार्थियों का भविष्य खतरें में है। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द परीक्षा नियंत्रक लगाना चाहिए। आने वाली भर्ती में शामिल नहीं होने पर जिम्मेदारी राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की होगी। इसलिए शीघ्र ही इसमें निर्णय लेना होगा।

असर:
परीक्षा नियंत्रक नहीं होने से वर्ष 2018-19 की सैकंड ईयर की परीक्षा के साथ विभिन्न कोर्स कर रहे छात्रों की रिमांडेड, थ्याेरी और प्रायोगिक परीक्षा प्रभावित हो रही है। परीक्षा नियंत्रक नहीं होने की सूचना से करीब 8 हजार परीक्षार्थी डिप्रेशन में है। सरकार 900 मेडिकल लैब टेक्नीशियन और 800 असिस्टेंट रेडियोग्राफरों के पदों पर भर्ती निकालने जा रही है।

काउंसिल पर समय पर परीक्षा आयोजित कराने का दबाव है।
मौजूदा स्थिति में पैरामेडिकल काउंसिल में परीक्षा नियंत्रक का कुछ दिनों से पद रिक्त चल रहा है। इस वजह से विद्यार्थियों की परीक्षा का काम प्रभावित हो रहा है। इस पद पर तुरंत नियुक्त करने के लिए सरकार को निवेदन किया गया है। इस पद पर नियुक्ति होते ही कार्य शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। -कैलाश नारायण मीणा, रजिस्ट्रार, राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल

ये पद भी रिक्त
: पैरामेडिकल काउंसिल के गठन के बाद भी परीक्षा सलाहकार, जूनियर लीगल एडवाइजर, लेखाकार व जूनियर एकाउंटेंट, सीनियर व जूनियर असिस्टेंट, सूचना सहायक, कम्प्यूटर ऑपरेटर व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद रिक्त चल रहे है, जिससे काम प्रभावित हो रहा है।

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Fake employees treat injured in hospital of pokran

Outsiders treating the injured as a fake employee without taking any training in the government hospital of Pokaran

06.07.2022
पोकरण के सबसे बड़े अस्पताल में खुद को नर्सिंगकर्मी बता घायलों से वसूले जा रहे हैं पैसे
उपखंड के सबसे बड़े अस्पताल में डॉक्टरों व अधिकारियों की उदासीनता ने चिकित्सा विभाग के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी है। अस्पताल में कार्यरत कार्मिकों और अधिकारियों की लापरवाही का यह आलम है कि किसी दुर्घटना के दौरान बाहरी व्यक्तियों द्वारा आपातकालीन कक्ष में घायलों का उपचार किया जा रहा है। एक तरफ चिकित्सा विभाग झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करता है तो वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पताल में ही बिना कोई प्रशिक्षण लिए फर्जी कर्मचारी बन घायलों का उपचार कर रहे है।लेकिन पोकरण अस्पताल प्रबंधन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इन अप्रशिक्षित युवकों द्वारा घायलों के घाव की सफाई, तो कभी घायलों के घावों पर पटि्टयां देने के साथ-साथ टांके देने जैसा महत्वपूर्ण काम भी किया जा रहा है। सरकारी अस्पताल में आने वाले घायलों के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ करने वाले लोगों के खिलाफ भी अस्पताल प्रबंधन उन्हें रोकने तक की जहमत नहीं उठा रहा है।इतना ही नहीं यह लोग अपने आप को नर्सिंग कर्मचारी बताकर घायलों से रुपए ऐंठने का भी काम कर रहे है। इस संबंध में पूर्व में कुछ लोगों द्वारा शिकायत करने पर जिम्मेदारों द्वारा बिना कार्मिक आपातकालीन कक्ष में उपचार करने वाले इन युवकों को बाहर का रास्ता तक बता दिया था। लेकिन अधिकारियों के जाने के बाद ऐसे लोग फिर से आपातकालीन कक्ष और उसके आस-पास भटकते रहते हैं।
गंभीर लापरवाही;

इमरजेंसी वार्ड में गंभीर घायलों का इलाज कर रहे फर्जी नर्सिंगकर्मीअस्पताल परिसर में घूम रहे इस तरह के युवक जो न तो कार्मिक है और न ही स्टाफ का हिस्सा है। वह दुर्घटना के साथ ही अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में पहले तो परिजन बनकर प्रवेश करते हैं और फिर स्टाफ का हिस्सा बन घायलों के घावों की सफाई से लेकर उन्हें ग्लूकोज की बोतल तक चढ़ाने का काम करने लग जाते हैं। इस तरह से बिना किसी ट्रेनिंग और डिग्री के घायल मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कभी भी भारी पड़ सकता है।लेकिन इस संबंध में विभागीय अधिकारियों द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अपने आप को अस्पताल का कार्मिक बताने वाले यह युवक न सिर्फ कार्मिकों की उपस्थिति में घायलों का उपचार तक करना शुरू कर देते हैं। वहीं आपातकालीन कक्ष में मरीजों के परिजनों से चिकित्साकर्मी बनकर रुपए भी वसूल रहे है। ऐसे में जहां घायल व्यक्ति के परिजनों के सामने नर्सिंग कार्मिकों की छवि खराब हो रही है। वहीं दूसरी ओर फर्जी कार्मिक बनकर यह व्यक्ति अपनी जेब गर्म करने में जुटे हुए हैं।अस्पताल में ऐसे व्यक्ति जो स्टाफ का हिस्सा नहीं है और आपातकालीन कक्ष में प्रवेश कर उपचार करने लगते हैं उनके बारे में सभी कार्मिकों को नोटिस दिया जा चुका है। इसके साथ ही सभी स्टाफ को पाबंद भी कर दिया गया है। ऐसे लोगों की सूची बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। -डॉ. कामिनी गुप्ता, चिकित्सा प्रभारी, उप जिला अस्पताल पोकरण

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Covid in rajasthan

In Rajasthan, 2257 new corona infected were found in the last 20 days.

06.07.2022
राजस्थान में कुरान संक्रमित ओं की संख्या बढ़ती जा रही है। यह मध्य फरवरी के बाद पिछले 5 माह का सबसे तेज संक्रमण है। 20 दिन में 15 दिन तो 100 के पार कोरोना रोगी प्रतिदिन मिले, जो खतरे का संकेत है। इतना ही नहीं मात्र 20 दिन में 9 लोगों की जान चली गई जो फरवरी बाद सर्वाधिक है। 16 जून तक प्रदेश में कुल संक्रमित ओं की संख्या 12 लाख 86 हजार 988 हो गए हैं। वही 20 दिन पहले तक प्रदेश में कुल मोत 9560 थी, जो अब बढ़कर 9569 हो गई है। एक माह की 1 दिन में दो मौतें भी 4 जुलाई को हुई। 26 जून को तो 1 दिन में 161 रोगी मिले जो 2 माह से सबसे अधिक है

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Covid in jodhpur

Increasing number of corona patients in Jodhpur

05.07.2022
जोधपुर में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सोमवार को 274 संदिग्ध की जांच में 10 नए मरीज मिले। इसके चलते संक्रमण दर 3% रही। वहीं 16 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। जून माह के पहले 4 दिनों में तुलना करें तो 7 गुना अधिक मरीज जुलाई के 4 दिनों में मिल चुके हैं। जून के 4 दिन में जहां में महज 8 मरीज थे, वही जुलाई के 4 दिन में मरीजों का आंकड़ा 57 पहुंच गया है। संक्रमण दर की बात करें तो जून के पहले 10 दिन तक संक्रमण दर 1% और उससे कम रही। लेकिन जुलाई के पहले दिन संक्रमण दर 5%, दूसरे दिन 6% रही। जबकि जून और जुलाई में हो रही संदिग्धों की जांच में ज्यादा अंतर नहीं है। जून के 4 दिन में जहां 1196 संदिग्धों की जांच हुई, वही जुलाई के 4 दिन में 1159 संदिग्धों के सैंपल लिए जा चुके हैं। यदि से रफ्तार से संक्रमित हो का आकार बढ़ता गया तो जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा 384 के पार तक पहुंचेगा

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Admission process for gnm course is closed in rajasthan

Admission process in Rajasthan GNM Nursing Colleges through counseling for the year 2020-21 is now closed, if management quota seats are not filled in 15 days, they will remain vacant.

05.07.2022
राजस्थान जीएनएम नर्सिंग काॅलेजों में वर्ष 2020-21 सत्र की काउंसलिंग के माध्यम से एडमिशन प्रक्रिया अब बंद की गई है, जब अगले सत्र 2022-23 के लिए 15 दिन बाद फार्म भरे जाने वाले हैं। सत्र 2020-21 के लिए एडमिशन इतना लेट करने के बावजूद करीब 30 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं। लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग निदेशालय ने जीएनएम कोर्स 2020-21 के लिए अब प्रवेश प्रक्रिया तुरंत प्रभाव से बंद कर दी है। अब काॅलेजों संचालकों को 15 दिन समय दिया है कि वे मैनेजमेंट कोटे की सीटों को भर सकते हैं। इसमें भी नहीं भरे जाने पर सीटें खाली ही रहेंगी।गौरतलब है कि साइंस में सीनियर के बाद प्रदेश के काॅलेजों में 3 से साढ़े तीन साल के लिए जीएनएम कोर्स कराया जाता है। प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर करीब 41 नर्सिंग काॅलेज हैं। पिछले साल 7 बढ़ाए गए। सीटें 7620 से बढ़कर 8040 हुई। लेकिन अलग अलग कोर्स के लिए अलग अलग सीटें हैं। कोरोना खत्म होने के बावजूद सबसे विलंब से नर्सिंग के कोर्स चल रहे हैं।2020-21 के कोर्स की प्रवेश प्रक्रिया अभी चल रही है। जबकि वित्तीय वर्ष अप्रैल से 2022-23 शुरू हो चुका है। अभी तक नर्सिंग काॅलेजों का 2021-22 का सत्र शुरू होना है, उसके बाद 2022-23 का सत्र आएगा। लिहाजा करीब 2 साल पीछे प्रक्रिया चल रही है। 2020-21 के जीएनएम कोर्स के लिए भी 23 मार्च से 26 जून तक तीन चरण में काउंसलिंग हुई।

काउंसलिंग में भी नहीं भरी सीटें
41 नर्सिंग काॅलेजों में काउंसलिंग के 3 चरण के बाद भी करीब 2400 सीटें खाली बताई जा रही है। 3 चरण काउंसलिंग के होने पर भी सीटें नहीं भरने पर राजकीय कोटे की सीटों को संयुक्त फेडरेशन के माध्यम से निर्धारित शर्तों की पालना सुनिश्चित करते हुए 15 दिन में सीटें भरे जानी की पाबंदी लगाई है।

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