Doctors in the Department of Neuro Surgery of Mathuradas Mathur Hospital (MDMH), Jodhpur have succeeded in removing a lump of 18 cm from the spine of a young man by performing 3 hours of surgery.

17.06.2022
एमडीएमएच के न्यूरो सर्जरी विभाग में जैसलमेर निवासी 24 वर्षीय युवक की स्पाइनल कोड में 18 सेमी लंबा इंट्रा मेड्यूलरी ट्यूमर निकाला। विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गर्ग ने बताया कि युवक ओपीडी में पिछले चार माह से दोनों पैर में कमजोरी और सूनापन की शिकायत लेकर आया।एमडीएम में आने से पहले जैसलमेर में कई डॉक्टरों को दिखाकर इलाज ले चुका था, लेकिन राहत नहीं मिली। एमडीएम आने पर जांच कराई। मरीज की एमआरआई में ट्यूमर के होने की पुष्टि हुई। फिर परिजनों को ऑपरेशन की गंभीरता बताकर सहमति प्राप्त कर तीन घंटे ऑपरेशन किया और पूरी गांठ निकाली।डॉ. गर्ग ने बताया कि ऑपरेशन बहुत जटिल था। इंट्रा मेड्यूलरी ट्यूमर स्पाइन के बीचोबीच था। रीढ़ की हड्डी की डी 6 कोड से डी 12 कोड तक गांठ का विस्तार था। सामान्य तौर पर इतनी बढ़ी गांठ मैंने पहले नहीं देखी। ऐसे कई ऑपरेशन पूर्व में हमारे विभाग मेरे द्वारा किए गए, लेकिन यह बहुत बड़ी गांठ थी। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। एक-दो दिन आब्जर्वेशन में रखा है।न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गर्ग के नेतृत्व में डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. भाल सिंह के साथ निश्चेतना विभाग की डॉ. पूजा व उनकी टीम के अलावा नर्सिंग अधिकारी रेखा, सुनील राठौड़ और युवराज ने ऑपरेशन में सहयोग किया।

Cleanliness in MTH Women’s Hospital built at a cost of 50 crores in Indore, doctors and patients are troubled by foul smell

17.06.2022
एनएमसीएच में एक लैब टेक्नीशियन व एक जीएनएम की छात्रा के कोरोना पॉजिटिव होने से अस्पताल प्रशासन सतर्क हो गया है। दोनों को होम क्वारेंटाइन कर दिया गया है। प्राचार्य डॉ. एचएल महतो ने इसकी पुष्टि की है। एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ मुकुल कुमार सिंह ने बताया कि दोनों में बीमारी का लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर की सलाह पर आरटीपीसीआर जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह हालात तब हैं, जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज अपने अस्पतालों की सफाई और सुरक्षा सहित मेंटेनेंस पर हर माह एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करता है। 500 बेड के एमटीएच महिला अस्पताल का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार नमंजूर किया था। इसे पूरा होने में 50 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसे शुरू हुए ज्यादा समय भी नहीं हुआ फिर हर छोटी-मोटी समस्या के लिए बार-बार पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को बुलाते हैं।पिछले दिनों यहां पर ऑपरेशन इसलिए कैंसल किए गए थे, क्योंकि ओटी की नाली चोक हो गई थी। स्थिति अभी भी ऐसी ही है। यहां न ब्लड बैंक शुरू हो पाया और न स्टोरेज यूनिट बन पाई। मरीजों, उनके परिजन को विभिन्न तरह की जांच के लिए बार-बार एमवायएच की दौड़ लगाना पड़ती है।लगातार शिकायतें मिलने पर चोक हुई नाली व ड्रेनेज ठीक कर दी जाती है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही स्थिति बन जाती है। फिलहाल इस अस्पताल में 250 कर्मचारी हैं, अव्यवस्था देखकर तो यही लगता है कि ये भी कम पड़ने लगे हैं। नया अस्पताल होने से इसके लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है, यह भी कारण है कि यहां व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं।एमटीएच पहली बारिश ही नहीं झेल पाया था। निर्माण का जिम्मा प्लानिंग इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) को दिया गया था। इसने बिल्डिंग बनाने में ही सात साल से ज्यादा समय लगा दिया। काम की गुणवत्ता देखें तो पहली बारिश में ही तलघर में पानी भर गया था और लिफ्ट बंद करनी पड़ी थी। डेढ़ माह बाद फिर समस्याओं की बाढ़ आ गई। ठीक तरह से प्लंबिंग न होना भी यहां बड़ी समस्या है। जब मरीज शिकायत करते हैं तो पीडब्ल्यूडी को सूचना दे दी जाती है।

5 people got new life from a brain dead patient at Chandigarh’s Post Graduate Institute of Medical Education and Research (PGIMER)

17.06.2022
पी.जी.आई. में ब्रेन डेड मरीज से 5 लोगों को नई जिंदगी मिली। उसकी उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। युवक का हार्ट पी.जी.आई. में मैच नहीं हुआ। ऐसे में पी.जी.आई. रोटो ने दिल्ली में मैचिंग रिसीपियंट खोजा। पी.जी.आई. मैडिकल सुप्रिडेंट प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि यहां हार्ट का मैचिंग रिसीपियंट नहीं मिला। इसके बाद नोटो (राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन) से संपर्क किया गया। दिल्ली के आर. एंड आर. में दाखिल मरीज से हार्ट की मैचिंग हुई।
पी.जी.आई. से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर हार्ट भेजा गया। चंडीगढ़ और मोहाली ट्रैफिक पुलिस विभागों और हवाईअड्डा अधिकारियों के सक्रिय सहयोग से ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। वही नैफ्रोलॉजी और हैपेटोलॉजी विभागों ने कई मरीजो की पहचान की, जिन्हें जल्द से जल्द रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था। वहीं, लिवर और किडनी एक मरीज को लगाई गई। यह पी.जी.आई. का दूसरा ऐसा केस है जब एक ही मरीज़ को लिवर और एक किडनी ट्रांसप्लांट हुई है। इससे पहले साल 2018 में 3 फरवरी को ऐसा पहला केस किया गया था। कॉर्निया भी पी.जी.आई. में मरीजों को लगाए गए हैं।6 जून को फरीदकोट से रैफर होकर पी.जी.आई. लाया गया था घायल युवक,इलाज के बावजूद युवक की हालत में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था। इसके बाद डॉक्टर्स ने सभी प्रोटोकॉल को देखते हुए 14 जून को ब्रेन डैड डिक्लेयर कर दिया। परिवार से जब ऑर्गन डोनेशन के बारे में पूछा गया तो उन्हें अपनी रजामंदी दी। परिवार ने इस दु:ख की घड़ी में भी साहस भरा फैसला लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है उनके बेटा किसी मकसद के लिए दुनिया में आया था। ऑर्गन डोनेशन के लिए हां कहना सबसे मुश्किल था, लेकिन किसी तरह, हमें लगा कि यह कुछ ऐसा है जो हमें करना चाहिए। किसी और को बचाया सकता है।

Cancer Institute will be built in Jodhpur, will be built in 3 phases on 13 acres of land of ground water department headquarter located in Shastri Nagar.

14.06.2022
शहर में बनने वाले महत्वाकांक्षी रीजनल कैंसर इंस्टीट्यूट का ब्लूप्रिंट तैयार हो गया है। इंस्टीट्यूट शास्त्रीनगर स्थित भूजल विभाग के मुख्यालय की 13 एकड़ जमीन पर तीन फेज में बनेगा। इस पर 75 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च होगी। पहले फेज में 6.7 एकड़ (27,000 वर्गमीटर) जमीन पर रीजनल कैंसर इंस्टीट्यूट की 7 मंजिला (बी+जी+5) मुख्य इमारत तैयार होगी। इसके बाद दूसरे फेज में 6.1 एकड़ जमीन पर डेंटल कॉलेज तथा तीसरे फेज में 2.93 एकड़ जमीन पर पब्लिक हेल्थ कॉलेज भी बनेगी। फिलहाल निर्माण एजेंसी द्वारा रीजनल कैंसर इंस्टीट्यूट की सात मंजिला इमारत बनना ही प्रस्तावित है। इसके लिए दिल्ली के एक आर्किटेक्ट ने निगम दक्षिण में बी+जी+5 मंजिला इंस्टीट्यूट की मुख्य इमारत का प्रस्तावित मानचित्र पेश किया। इसमें कुछ संशोधन के पश्चात नक्शा पारित कर दिया गया है।. फर्स्ट फेज: 27000 वर्गमीटर में मुख्य इमारत, ग्रीन स्पेस व पार्किंग,प्रस्तावित मैप में निर्माण एजेंसी ने 6.7 एकड़ जमीन पार्किंग, ग्रीन स्पेस व एडमिन ऑफिस व कैंटीन बनाई जाएगी। फर्स्ट फेज की सात मंजिला मुख्य इमारत के लिए फिलहाल 18 करोड़ रु. का बजट स्वीकृत हुआ है। मानचित्र पारित होने के साथ ही युद्धस्तर पर इसका निर्माण होगा। सैकंड फेज: 24913 व.मी. में बनेगा डेंटल कॉलेज व स्टाफ क्वाटर्स कैंसर इंस्टीट्यूट की सात मंजिला इमारत के बाद दूसरे फेज में 6.1 एकड़ (यानी 24913 वर्गमीटर जमीन पर डेंटल कॉलेज का निर्माण प्रस्तावित है। कॉलेज की इमारत के आगे बड़ा ग्रीन स्पेस व पार्किंग बनेगी। इसके अलावा आवासीय व स्टाफ क्वाटर्स के साथ गेस्ट हॉस्टल भी बनना प्रस्तावित है।थर्ड फेज: 11886 वर्गमीटर में बनेगा पब्लिक हेल्थ कॉलेज,इंस्टीट्यूट की मुख्य इमारत के समीप 2.93 एकड़ (यानी 11886 वर्गमीटर) जमीन पर पब्लिक हेल्थ कॉलेज का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अलावा आवासीय क्वाटर्स व पार्किंग भी बनाई जाएगी।B+G+6 मंजिल का मैप, एक मंजिल अस्वीकृत,दिल्ली की आर्किटेक्ट कंपनी ने निगम दक्षिण बी+जी+सिक्स मंजिला इंस्टीट्यूट का नक्शा पेश किया। हालांकि निगम दक्षिण ने छठी मंजिल काे नामंजूर करते हुए मानचित्र पारित कर दिया है। निगम दक्षिण महापौर वनिता सेठ व आयुक्त अरुणकुमार पुरोहित ने इसकी गंभीरता को समझते हुए इंस्टीट्यूट के मानचित्र की पत्रावली को तुरंत चलाकर पारित करने को कहा। एसटीपी व एटीपी सहित सिविल विंग ने भी पेश मानचित्र को पारित करने की कार्रवाई अमल में लाई। हालांकि आर्किटेक्ट से कुछ तकनीकी जानकारी (मानचित्र में अस्पष्ट दिख रही) भी मांगी है, लेकिन मानचित्र को पारित कर दिया है।

According to the instructions of the National Medical Council, from June 12 to 21, MBBS first year students will do yoga in Patna.

13.06.2022
एमबीबीएस में 10 घंटे की योग क्लास जरूरी है इसको लेकर एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र 12 से 21 जून तक योग पढ़ेंगे। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के सीनियर फिजियोथैरेपिस्ट और योग इंचार्ज डॉ रत्नेश चौधरी ने कहा कि योगा क्लास एनाटॉमी विभाग के पास आरंभ हुआ है, कोरना काल में योग और व्यायाम की वजह से लॉन्ग कोविड-19, सांस फूलने, ब्रेन फोग सहित अन्य समस्या में लोगों को काफी फायदा हुआ है। इसको देखते हुए योगा क्लास में 100 छात्रों ने हिस्सा लिया है, इस मौके पर डीन प्रोफेसर वीएम दयाल, मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. सुधीर, माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. नम्रता, डॉ. प्रियंका, हार्टफुलनेस मेडिटेशन के सुधांशु,नलिन शेखर, कृष्णा प्रसाद उपस्थित थे। गौरतलब है कि 21 जून को योग दिवस है, जिसकी वजह से 12 से 21 जून तक योगा क्लास चलेगा और इससे छात्रों को भी काफी फायदा मिलेगा

Case of irregularity in the name of lifting medical waste in Bhopal’s Hamidia Hospital

13.06.2022
मेडिकल वेस्ट जो कि हर अस्पताल से निकलता है, उनका निष्पादन समय पर होना जरूरी है जिसके लिए बहुत सी कंपनियां हैं जो अस्पतालों से मिली हुई रहती हैं और समय-समय पर मेडिकल वेस्ट को ले जाने का कार्य करती हैं। हमीदिया अस्पताल मैं मेडिकल वेस्ट उठाने के नाम पर ज्यादा पैसे लेने का मामला सामने आया है। 2 महीने पहले तक जो मेडिकल वेस्ट 4.25 रुपए में उठाया जा रहा था, अब उसके लिए रुपए चुकाये जा रहे हैं,इस तरह से कीमतों में 2 गुना से भी ज्यादा का अंतर है। वहीं, मेडिकल वेस्ट उठाने का काम कर रही कंपनी आई डब्ल्यू एम का कहना है कि डीजल समेत लेबर और गाड़ियों के ट्रैकिंग खर्च पर महंगाई की मार पड़ रही है, इसी वजह से मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन से लेकर उसका निष्पादन तक सब कुछ महंगा हो गया है। दरअसल अस्पताल से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट इंसीनरेटर में जलाया जाता है। ऐसे में बहुत खर्चा आता है जिसकी वजह से यह रेट है बढ़ाई गई है।

Fish and rice will be fed door-to-door to TB patients under the pilot project of fish on wheel scheme in Muzaffarpur.

13.06.2022
राज्य से टीबी के पूरी तरह उन्मूलन के लिए कई स्तराें पर जाेरशाेर से काम चल रहा है। इसे लेकर सबसे पहले सभी टीबी मरीजाें की इम्युनिटी बढ़ा उन्हें स्वस्थ करने और उनके परिवार के सदस्याें काे संक्रमण से बचाने के लिए अभियान शुरू किया गया है। सरकार शीघ्र ही फिश ऑन व्हील याेजना ला रही है, जिसके तहत टीबी मरीजाें काे उनके घर पहुंचकर मछली-चावल खिलाया जाएगा।राज्य मत्स्यपालन विभाग अपने पायलट प्राेजेक्ट के तहत याेजना की शुरुआत पटना के 20 स्थानाें से करेगा। इसके बाद यह याेजना अन्य जिलाें में लागू हाेगी। बता दें कि 6 जून काे स्टेट टेक्निकल स्पाेर्ट यूनिट के स्टेट टीबीडीसी संजय चाैहान व डाॅ. संदीप साेनी व मत्स्य विभाग के निदेशक निसत अहमद की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके साथ ही टीबी मरीजाें काे नि:शुल्क दूध देने की याेजना पर भी काम चल रहा है।कूपन ऑन ट्रीटमेंट टीबी पेशेंट नामक इस याेजना के तहत मरीजाें काे दूध के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। दरअसल, टीबी मरीजाें काे निश्चय पाेषण याेजना के तहत केंद्र सरकार 500 रुपए देती है। बिहार सरकार का मानना है कि इन मरीजाें काे सर्वाधिक जरूरत प्राेटीन की हाेती है जाे इतने कम रुपए में संभव नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार फिश ऑन व्हील और कूपन ऑन ट्रीटमेंट टीबी पेशेंट याेजना लाकर टीबी के पूरी तरह उन्मूलन में जुटी है। साथ ही उन्हें स्वराेजगार की मिलेगी ट्रेनिंग, टीबी बीमारी से लड़कर स्वस्थ हाे चुके व्यक्ति काे चैंपियन मान सरकार उन्हें स्वराेजगार से जाेड़ने की याेजना ला रही है। इसके तहत पशुपालन विभाग ने टीबी स्टेट टेक्निकल सपाेर्ट यूनिट से 40-40 चैंपियनाें का ग्रूप बनाकर प्रस्ताव मांगा है। विभाग का कहना है कि स्वराेजगार से जाेड़ने के लिए इनका बैच बनाकर मछली, बकरी और मुर्गीपालन की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी।दूसरी तरफ विभाग इस पर भी काम कर रहा है कि जाे टीबी मरीज जीविका से जुड़े हुए हैं उन्हें नि:शुल्क और जाे जीविका सदस्य नहीं हैं उन्हें 10 रुपए में 40-40 चूजा दिए जाएंगे। उद्देश्य है कि मरीज इनके बड़े हाेने पर इन्हें खाकर अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकें।टीबी मरीजाें काे प्राेटीन की सर्वाधिक जरूरत हाेती है। इसके तहत फिशरी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर उन्हें नि:शुल्क मछली-चावल खिलाने की याेजना पर काम चल रहा है। इसके साथ ही टीबी से जीतकर स्वस्थ हाे चुके लाेगाें काे पशुपालन विभाग ट्रेनिंग देकर स्वराेजगार से जाेड़ेगा।

In a research conducted at Jaipur’s Women’s Hospital Sanganeri Gate and Janana Hospital Chandpol, a team of doctors administered umbilical cord blood to 168 critically ill newborns soon after birth, increased blood levels in 4 months, gave life

13.06.2022
कोख में बच्चे को नाभि के जरिए मां से जोड़ने वाली गर्भनाल को शिशु के जन्म के बाद काटकर फेंक दिया जाता है लेकिन चिकित्सा विज्ञान में हुए नए शोध के आधार पर गर्भनाल का खून नवजात के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। जयपुर के महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट और जनाना अस्पताल चांदपोल में हुए शोध में जन्म के तुरन्त बाद 168 नवजात को गर्भनाल का खून चढ़ाया गया। चार माह बाद डॉक्टरों की टीम के शोध में खुलासा हुआ कि बच्चे में खून की कमी नहीं हुई।गंभीर हालत में भी बच्चे को आईसीयू में या ऑक्सीजन पर नहीं लेना पड़ा। साइड इफेक्ट भी नहीं मिला। टीम में डॉ. सुनील गोठवाल, डॉ. कैलाश मीणा, डॉ. आनंद कुमावत, डॉ. विवेक अडवानी शामिल रहे। यह शोध राष्ट्रीय स्तर के जर्नल ऑफ पेरिनेटोलोजी में अप्रेल-2022 में प्रकाशित हुआ है।

Dr. Shatrughan, a resident of Sakra village of Muzaffarpur, despite himself being a cancer patient, is rendering his service to other patients.

13.06.2022
जीवन में थोड़ी सी परेशानी से भी आदमी टूट जाता है और हार मान लेता है। लेकिन ऐसे घबराहट की स्थिति में भी नवादा के जाने-माने चिकित्सक डॉ. शत्रुघ्न सिंह परिचय देते हुए मरीजों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। 2 माह पहले उन्हें अपने कैंसर का पता लगा, जिस लिए उन्हें कीमोथेरेपी के लिए लगातार 15 दिन तक जरूरत पड़ेगी, उनका इलाज पटना व मुंबई के डॉक्टरों द्वारा चल रहा है। लेकिन ऐसे समय में भी वह अपने मरीजों से जुड़े हैं। हर रोज करीबन 25 मरीजों का राज कर रहे हैं। जीवन के प्रतिकूल स्थिति में भी उनके साहसपूर्ण कार्य के लिए उनके चाहने वालों के अलावा भी चिकित्सकगण उनकी तारीफ कर रहे हैं। डॉ. शत्रुघ्न का नवादा जिले से 47 से जुड़ाव है। डॉ. शत्रुघ्न 25 फ़ीसदी मरीजों के इलाज मुफ्त में करते हैं इसलिए जिले के लोग उन्हें अच्छी तरह जानते पहचानते हैं। उनका यहां के लोगों से एक आत्मीय लगाव है।

New covid guidelines issued in Chhattisgarh, mask and social distance necessary

11.06.2022
कोरोना संक्रमण की वापसी के खतरे को देखते हुए छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में लगभग 3 माह बाद कोरोना की गाइडलाइन फिर जारी कर दी गई है। हालांकि शुरुआती तौर पर इसमें सख्ती और बंद जैसे कदमों का उल्लेख नहीं है, केवल एहतियात बरतने के ही निर्देश हैं। इस गाइडलाइन में भीड़भाड़ और सरकारी दफ्तरों में मास्क का सख्ती से पालन अनिवार्य कर दिया गया है।जहां भीड़ है, वहां सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) भी जरूरी की गई है। इसके अलावा, अस्पतालों में ओपीडी और भर्ती मरीजों की कोरोना जांच भी अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि इसकी अनिवार्यता अब भी है, लेकिन कोविड संक्रमण बहुत कम होने की वजह से जांच नजरअंदाज की जा रही थी पहली लहर से ये ट्रेंड देखने में आया है कि लोग कोरोना की जांच करवाने से बचते हैं। ऐसे में अस्पतालों पर फोकस किया गया है। लोग किसी न किसी कारण से अस्पतालों में इलाज करवाने जाते हैं। वहां ओपीडी खासतौर पर आईपीडी यानी अस्पताल में भर्ती मरीज की जांच अनिवार्य कर दी गई है। जानकारों का कहना है अस्पताल में भर्ती मरीजों को मजबूरी में जांच करवानी होगी। वहां जांच होने से टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ जाएगा।