Corona rising for the first time after third wave in Chandigarh, 55 positive in 1 day
18.06.2022
चंडीगढ़ में कोरोना चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहा है। चंडीगढ़ प्रशासन ने लोगों को भीड़ वाली जगहों पर मास्क पहनने की हिदायत दी है। इसके बावजूद अभी भी बस स्टैंड, शहर के व्यस्त भीड़ वाले बाजार, पर्यटन स्थलों आदि पर कई लोग मास्क पहनने को लेकर सजग नहीं दिख रहे।चंडीगढ़ में शुक्रवार को एक ही दिन में 15 केस आने से कोरोना के एक्टिव केस 41 से बढ़ कर 55 हो गए हैं। पॉजिटिविटी रेट भी 1.27 प्रतिशत दर्ज की गई है। 1,177 सैंपल लिए गए थे, जिनमें से यह केस मिले हैं। अब पिछले 7 दिनों में शहर में औसतन 8 केस आ रहे हैं।चंडीगढ़ में कोरोना से आखिरी मौत फरवरी 2022 महीने में दर्ज की गई थी। ओमिक्रॉन की तरह XE वैरिएंट को भी कम खतरनाक, मगर ओमिक्रॉन से ज्यादा तीव्र संक्रमण वाला माना जा रहा है, लेकिन अभी तक इसके चंडीगढ़ में फैलने की पुष्टि नहीं हुई है।
Health department on alert mode regarding rising corona case cases in Raipur
18.06.2022
राज्य में शुक्रवार को कोरोना के 78 नए संक्रमित मिले हैं। इनमें रायपुर के 19 मरीज शामिल हैं। जून का महीना जब शुरू हुआ था, तब कोरोना के 60 एक्टिव मरीज थे, यानी जिनका इलाज चल रहा था। इसी माह 17 दिन में मरीजों की संख्या 475 हो चुकी है, हालांकि इनमें करीब 136 मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं। शुक्रवार को करीब 97 दिन बाद अंबेडकर अस्पताल में एक मरीज को भर्ती कराया गया।
वहां आखिरी मरीज की 11 मार्च को छुट्टी हुई थी। पिछले एक हफ्ते में रायपुर से रोजाना औसतन 20 मरीज मिल रहे हैं। 15 दिन पहले बलौदाबाजार के एक मरीज की कोरोना से मौत भी हो चुकी है। मरीज बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया है। रायपुर में कोरोना की टेस्टिंग भी बढ़ी है। रायपुर में सक्रिय मरीजों की संख्या सबसे अधिक है। बिलासपुर और दुर्ग जिले में भी मरीज बढ़ रहे हैं
Three including two children died, dozens sick due to diarrhea outbreak in Shamdu Camp, village of Rajpura in Patiala
18.06.2022
राजपुरा के नजदीकी गांव शामदू कैंप में डायरिया फैलने से दो बच्चों सहित तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, इलाके के दो दर्जन से ज्यादा लोग बीमार हो गए, जिन्हें सरकारी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। उधर, डायरिया फैलने की खबर मिलते ही सेहत विभाग की टीमों ने गांव में पहुंचकर डोर टू डोर सर्वे करके दवाई देने के अलावा सावधानियां बरतने के आदेश दिए हैं। सेहत विभाग ने इलाके में अलग-अलग जगहों से पानी के सैंपल लेकर जांच के लिए लैबोरेटरी भिजवा दिए हैं।डायरिया से मरने वालों में तीन साल की लड़की सिमरन, दो साल का सत्यम शामिल हैं। वहीं, गांव के व्यक्ति साधा सिंह ने भी दावा किया कि उसकी पत्नी की मौत भी डायरिया की चपेट में आने से हुई है। बताया जा रहा है कि दूषित पानी पीने की वजह से गांव में डायरिया फैला है। सेहत विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर लोगों को ओआरएस के पैकेट व क्लोरीन की गोलियां बांटी। साथ ही उन्होंने इलाके के लोगों को पानी उबालकर पीने को कहा है। इतना ही नहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए सेहत विभाग ने टेपरेंरी डिस्पेंसरी बना दी है ताकि डायरिया को फैलने से रोका जा सके। इस दौरान टीम ने 70 के करीब मरीजों को चेक करके दवाइयां बांटीं।उधर, इस बारे में सिविल सर्जन डा. राजू धीर ने बताया कि जिन दो बच्चों की मौत हुई है, उनमें से एक बच्चा पिछले दस दिन से बीमार था, इसलिए बच्चों की हिस्ट्री लेकर जांच की जा जाएगी। मरीजों के स्टूल के अलावा विभिन्न स्थानों से पानी के सैंपल लिए गए हैं रिपोर्ट आने के बाद ही डायरिया फैलने का कारण बता सकते हैं।
Located at Lilsar Gram Panchayat Headquarters, Barmer, 150 to 200 OPDs daily in Primary Health Center (PHC), need to be upgraded to Community Health Center (CHC).
18.06.2022
ग्राम पंचायत मुख्यालय पर अब पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत करने की जरूरत है। आसपास के कई गांवों के लोगों की स्वास्थ्य सेवा महज इस एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भरोसे हैं। लीलसर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की मांग लंबे समय से की जा रही है।पीएचसी के क्रमोन्नत नहीं होने से लोगों को उपचार के लिए 30 से 50 किलोमीटर का सफर तय कर चौहटन, धोरीमन्ना व बाड़मेर पहुंचना पड़ता है। दूर दराज के चिकित्सा केंद्रों पर पहुंचने के लिए लोगों को साधन भी नहीं मिल पाते हैं। वहीं खस्ताहाल सड़कों पर सफर करने में भी दिक्कतें झेलनी पड़ती है। कई वर्षों की मांग के बावजूद सरकार की ओर से पीएचसी को क्रमोन्नत नहीं करने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में क्षेत्र के लोगों में रोष है।दरअसल, चौहटन विधानसभा क्षेत्र की बड़ी ग्राम पंचायतों में से लीलसर एक है। लीलसर गांव की आबादी भी करीब 10 हजार से अधिक है। 90 के दशक में सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत कर चिकित्सक समेत अन्य कार्मिकों के पद स्वीकृत किए थे। इसके बाद यहां चिकित्सा सुविधाओं में कोई विस्तार नहीं किया गया। जबकि, पिछले 30 वर्षों में आबादी काफी बढ़ गई। ऐसे में उपचार को लेकर हर दिन मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है।यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से दर्जनों गांवों के लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। लीलसर पीएचसी से पंवारिया, मुकने का तला, इसरोल, बाछडाऊ ग्राम पंचायतों समेत दर्जनों राजस्व गांव जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन गांवों की हजारों की आबादी चिकित्सा सुविधाओं से महरूम है।लीलसर पीएचसी में रोजाना सैकड़ों मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। पीएचसी में सामान्य दिनों में उपचार के लिए रोजाना 150 से 200 मरीज पहुंचते हैं। मौसमी बीमारियों के प्रकोप पर यह आंकड़ा 300 तक पहुंच जाता है। ऐसे में पीएचसी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की जरूरत महसूस की जा रही है। क्षेत्र में नजदीक में कोई बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं है। ऐसे में मरीजों को निजी चिकित्सालयों में मुंह मांगे दाम चुकाकर उपचार करवाना पड़ता है।
11 new doctors and 40 MNM deployed in Jaisalmer, medical service will improve
18.06.2022
जैसलमेर जिले में 11 एमबीबीएस डॉक्टर हैं। वहीं, राज्य सरकार द्वारा 40 एएनएम भी स्थापित की गई हैं। पिछले अप्रैल में जिले में 18 रिक्त पदों पर आपात आधार पर भर्ती की गई थी। इनमें से 16 का चयन किया गया। 16 एमबीबीएस डॉक्टरों में से 11 ने ज्वाइन कर लिया है और उन्हें पोस्टिंग दी गई है।जवाहर अस्पताल, पोकरण में 3 उप जिला अस्पताल, पीएचसी खिन्या, चिन्नू, भाखरानी, घुइयाला और सीएचसी भनियाना और फालसुंड में नए एमबीबीएस डॉक्टर नियुक्त किए गए हैं। जिससे जवाहर अस्पताल के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा व्यवस्था में काफी सुधार होगा। वहीं अभी तक 40 एएनएम ने ज्वाइन नहीं किया है। रिक्तियों के अनुसार जिले के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में भी 40 एएनएम की तैनाती की जाएगी।जैसलमेर जिले में कुल 377 एएनएम पद स्वीकृत हैं। इनमें से 261 रिक्तियां भरी गई हैं। वहीं 116 पद रिक्त हैं। कई मेडिकल संस्थानों में एएनएम के रिक्त पदों के कारण एएनएम की सुविधा भी नहीं है। जिससे ग्रामीणों को छोटी-बड़ी बीमारियों के लिए नजदीकी सीएचसी व पीएचसी जाना पड़ता है। अब जैसलमेर जिले को राज्य सरकार की ओर से 40 एएनएम दी गई हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को काफी राहत मिलेगी। 40 एएनएम ज्वाइन करने के बाद भी 76 सीटें खाली रहेंगी।जैसलमेर जिले में कई वर्षों से डॉक्टरों की कमी है। वर्तमान में चिकित्सा विभाग यूटीबी के माध्यम से 11 डॉक्टरों को नियुक्त करता है। वहीं 40 एएनएम राज्य सरकार से मिल चुकी हैं. ऐसे में चिकित्सा संस्थानों में एमबीबीएस डॉक्टरों के जो रिक्त पद थे, उन्हें अब भर दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीएचसी और पीएचसी में डॉक्टरों से मिलने से चिकित्सा व्यवस्था में काफी सुधार होगा।
Free eye check-up camp organized by Jan Seva Samiti, Jaisalmer, 27 patients were examined, cataract was found in 7
18.06.2022
जन सेवा समिति,जैसलमेर व सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को आयोजित निशुल्क नेत्र जांच शिविर में 27 मरीजों की जांच कर परामर्श दिया। जिसमें 7 मरीजों के मोतियाबिंद पाया गया। प्रवक्ता अमृत भूतड़ा ने बताया सेठ राम टावरी नेत्र जांच केंद्र फलसूंड में शुक्रवार को आयोजित निशुल्क नेत्र जांच शिविर में मरीजों की आंखों की जांच ऑटोमेटिक जापानी मशीन द्वारा जांच कर परामर्श दिया गया,जिसमें नए मोतियाबिंद के मरीजों को 25 तारीख को जैसलमेर नगर में स्थित बिसानी नेत्र चिकित्सा केंद्र में लगने वाले निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर में नेत्र लेंस प्रत्यारोपण दिए जाएंगे। समिति के सचिव मांगीलाल डावर ने बताया कि जिनके कोविड-19 कि दोनों रोज लगी हुई है, उनके ही ऑपरेशन होंगे। 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के मरीजों को बूस्टर डोज भी लगाना आवश्यक है। समिति के अध्यक्ष डॉ.दाऊ लाल शर्मा ने बताया कि हर महीने की 25 तारीख को लगने वाले निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविरों में मोतियाबिंद के लेंस प्रत्यारोपण आपरेशन, दवाई, काला चश्मा आदि निशुल्क दिया जाता है
Doctors of Bhopal Memorial Hospital and Research Center (BMHRC) performed a complex surgery, gave life to a 22-year-old youth.
18.06.2022
बीएमएचआरसी में जटिल सर्जरी,दरअसल, सह युवक बचपन से ही थैलीसीमिया से पीड़ित था। उसकी उम्र तो बढ़ रही थी, लेकिन शरीर का विकास नहीं हो रहा था और न वजन बढ़ रहा था।परिजन युवक को बीएमएचआरसी लेकर पहुंचे थे। यहां सीटी स्कैन में पता चला कि उसके पेट मे तिल्ली (स्पलीन) का आकार बेतहाशा बढ़ गया है। सामान्यतौर पर तिल्ली 12 सेमी लंबी और 170 ग्राम वजनी होनी चाहिए, लेकिन युवक के पेट में 25 सेमी लंबी और 2.5 किलो वजन की तिल्ली थी। जबकि, मरीज के पेट की लंबाई ही करीब 30 सेमी है।इसी वजह से उसे हर हफ्ते ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराना पड़ रहा था। ऐसे में गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रभारी एचओडी डॉ. प्रमोद वर्मा ने अपनी टीम के साथ युवक की सर्जरी की और बढ़ी हुई तिल्ली को निकाला। मरीज अब स्वस्थ है उसे जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी। उसे हर हफ्ते की बजाय डेढ़ से दो महीने बाद ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराने की जरूरत होगी। डॉ. वर्मा ने बताया कि तिल्ली का आकार 20 सेमी होने पर ही जान को खतरा हो सकता है।एनेस्थीशिया विभाग की प्रोफेसर डॉ. सारिका कटियार ने बताया कि थैलेसीमिया मरीजों की सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती उनके हीमोग्लोबिन स्तर को मेंटेन रखना होती है। इस मरीज का हीमोग्लोबिन 7.5 ग्राम था। पेट से निकाली गई तिल्ली में करीब 500 मिली ब्लड था। इसलिए हीमोग्लोबिन के स्तर को कम होने से रोकने लगातार मॉनिटरिंग की। जरूरत के मुताबिक ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया।
Now Indira Gandhi Maternity Nutrition Scheme implemented in entire Rajasthan, 6 thousand rupees will be available on having second child
18.06.2022
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य को 1 अप्रैल से कई सौगात दी है,जिसमें इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना भी शामिल है। राज्य में आज से इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का दायरा बढ़ाकर प्रदेश के सभी जिलों में लागू कर दी गई है। इससे पहले यह योजना प्रदेश के केवल 5 जिलों तक की सीमित थी। 1 अप्रैल से इस योजना का लाभ पूरे राजस्थान की महिलाएं ले सकती हैं।बता दें कि 23 फरवरी को बजट घोषणा के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस योजना का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया था,जिसके बाद 1 अप्रैल से इसे लागू कर दिया गया है। इस योजना के राज्य भर में लागू होने के बाद अब प्रदेश की 3 लाख 50 हजार गर्भवती महिलाएं इसका लाभ ले सकती हैं। जिसके लिए हर साल सरकार 210 करोड़ रुपये खर्च करेगी, आइए जानते हैं यह क्या योजना है और आप कैसे ले सकते हैं इसका लाभ।5 किश्तों में मिलते हैं 6 हजार रूपये\19 नवंबर 2020 को सीएम गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी की 103वीं जयन्ती पर राजस्थान में इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना की शुरूआत की थी। इस योजना के तहत महिलाओं को दूसरी संतान के जन्म पर 6 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्रावधान रखा गया है।अब तक यह योजना प्रदेश में प्रतापगढ, बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर और बारां में लागू थी. सरकार का यह कहना था कि यह पिछड़े इलाके हैं इसलिए यहां आर्थिक रूप से महिलाओं को संबल मिलना जरूरी है।इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के तहत 6 हजार रूपये 6 किश्तों में दिए जाते हैं जहां शुरूआत में 1 हजार रुपये महिला को गर्भावस्था जांच और रजिस्ट्रेशन कराने के समय दिए जाते हैं. वहीं दूसरी किश्त के 1 हजार रुपये प्रसव से पहले जांच में, तीसरी किश्त महिला के प्रसव के समय और चौथी किश्त के 2 हजार रुपये बच्चे के जन्म के 105 दिन तक और पांचवीं किश्त के 1 हजार रुपये बच्चे के जन्म के तीन महीने के भीतर परिवार नियोजन में सरकार के मिशन में सहायता देने के लिए दिए जाते हैं।
Continuous increase in the number of active patients of Corona in 27 districts of Madhya Pradesh
17.06.2022
मप्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बीते दस दिनों में ही कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या 37 फीसदी बढ़ गई है। 6 जून को एमपी में कोरोना के मात्र 254 एक्टिव केस थे। गुरुवार को जारी हेल्थ बुलेटिन में यह आंकड़ा बढ़कर 400 पर पहुंच गया है। प्रदेश के 27 जिलों में कोरोना के मरीज सक्रिय हो गए हैं। ऐसे में पड़ोसी राज्यों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पंचायत और नगरीय चुनाव में संक्रमण बढ़ने की संभावना भी बढ़ रही है।पिछले महीने 30 मई को स्वास्थ्य आयुक्त ने डेली कोविड टेस्टिंग का टारगेट तय करते हुए प्रदेश में रोजाना 25 हजार जांच करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद सिर्फ छह-सात हजार संदिग्ध मरीजों की यानी रोज सिर्फ एक चौथाई जांच ही हो रही है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में एक हफ्ते में जितने सैंपल जांचे गए हैं, उतनी जांच अकेले एक दिन में करने का टारगेट है। इसके बावजूद 15-20 फीसदी जांच हो पा रही है।पिछले दस दिनों में कोरोना के 147 एक्टिव केस बढ़े हैं। 6 जून से 16 जून तक भोपाल में 59, इंदौर में 58, जबलपुर में 26, डिंडोरी में 10, ग्वालियर, सीहोर में छह-छह, हरदा में पांच, होशंगाबाद में चार, कटनी, निवाड़ी में तीन-तीन, मंडला, रतलाम, सागर में दो-दो और सतना-टीकमगढ़ में एक- एक एक्टिव केस बढ़ा है।