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Only MBBS can sign lab reports : MCI

Only mbbs doctor can sign lab reports : mci

No MSc, PhD have authority to sign laboratory reports like microbiology, pathology, biochemistry etc.

Dynamic assured career progression DACP

Press Information Bureau 

Government of India

Ministry of Health and Family Welfare

27-August-2013 13:27 IST

Career Promotion Schemes for Doctors 

 

Central Health Service (CHS) Officers in Central Government are governed by the Dynamic Assured Career Progression (DACP) Scheme, which was implemented by Government of India based on the recommendations of Vth Central Pay Commission providing promotion to the CHS officers without linkage to vacancies upto the level of Chief Medical Officer – Non-Functional Selection Grade (CMO-NFSG)/ Specialist Grade I/ Professor w.e.f. 5.4.2002. The benefit of promotion under DACP Scheme was extended to Dental Officers under Ministry of Health and Family Welfare without linkage to vacancies upto the level of Staff Surgeon (Dental) (NFSG)/ Professor/ Maxillofacial Surgeon w.e.f. 25.8.2006.

 

Based on the acceptance of VIth Central Pay Commission’s the Government of India further extended the Dynamic Assured Career Progression (DACP) Scheme upto the Senior Administrative Grade (SAG) level without linkage to vacancies in respect of Medical and Dental Doctors in the Central Government, whether belonging to Organised Service or holding isolated posts w.e.f. 29.10.2008 .All Ministries/ Departments of the Central Government are required to implement the DACP Scheme accordingly in respect of Medical/ Dental Doctors under their control. This benefit of promotion upto the level of SAG without linkage to vacancies under DACP Scheme was also extended to the officers of various sub-cadres of Central Health Service (CHS) and Dental Doctors under the Ministry of Health and Family Welfare w.e.f. 29.10.2008.

Doctors belonging to respective State services are not under the ambit of Central Government. The promotion of eligible Central Government medical doctors is a continuous ongoing process and promotions are made after following due procedure like Departmental Promotion Committee (DPC) constituted for the purpose and fulfilment of other formalities as per Department of Personnel & Training’s instructions in this regard.

This information was given by the Union Minister of Health & Family Welfare Shri Ghulam Nabi Azad in written reply to a question in the Lok Sabha today.

PIB

All Rajasthan In Service Doctors Association

सरकारी चिकित्सक क्या है ?

राजस्थान प्रदेश में कार्यरत प्रत्येक वो चिकित्सक जो कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है वो सरकारी चिकित्सक है ।

मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का अलग कैडर है, अलग नियम हैं और अलग भर्ती होती है, दोनों विभागों में समान डिग्री और अनुभव आदि होंने पर भी मेडिकल एजुकेशन वालों के पे ग्रेड, सेलरी, प्रमोशन व अन्य सुविधाएं सरकारी चिकित्सक के बजाय काफी बढ़िया हैं, जो कि निश्चित रूप से सरकार का दोगलापन है ।

अरिसदा क्या है ?

फ्री दवा जांच योजना से पहले सरकारी डॉक्टर जीवन यापन सही से कर रहे थे और एक दूसरे की आवश्यकता नही थी, आजकल सब फ्री हो जाने के बाद डॉक्टर सैलरीड एम्प्लॉयी हो गए हैं और इसीलिए तनख्वाह, भत्ते, प्रमोशन की तरफ आस लगाए हुए हैं, इसी आस का आधार बना है “अरिसदा” । 2011 में एक इतिहास इस संघ के बैनर तले लिखा गया लेकिन आपसी खींचतान और कुछ अन्य कारणों से इसके बाद इस संघ में केवल बिखराव ही आया है ।

अरिसदा सेवारत चिकित्सकों का अलोकतांत्रिक संघ है जिसमें निर्वाचन के बजाय मनोनयन की परंपरा ज्यादा है जिसमें जिलों में अधिकारियों को मुख्य पद दिए जाते हैं और राज्य स्तर पर जयपुर वालों पर जबरदस्ती कई पद थोपे जाते हैं और यही इस संघ की कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है ।

अरिसदा मजबूत कैसे हो ?

इसे मनोनयन की संस्था से लोकतांत्रिक संस्था बनाया जाए ताकि दूरस्थ phc पर कार्यरत चिकित्सक को भी राज्य कमेटी में अपनी भूमिका लगे ।

आज के दिन मुख्य मांगे क्या हैं?

1. चिकित्सा विभाग में सेवारत चिकित्सकों का कैडर (भारत सरकार/हरियाणा के अनुरूप) बनाया जाए ।

2. एक पारी में अस्पतालों का संचालन ।

3. केंद्र के समान वेतनमान, भत्ते और पदोन्नति मिलें, पूर्व में डीएसीपी में रही विसंगतियों को दूर किया जावे ।

प्रमोशन में वन टाइम रिलेक्सेशन मेडिकल एजुकेशन विभाग की भांति दिया जावे ।

4. पीजी प्रवेश परीक्षा हेतु पूर्व में डिफाइन (2017 में डिफाइन किये गए रिमोट/डिफिकल्ट) किये गए ग्रामीण क्षेत्र (रिमोट/डिफिकल्ट), जिसमें ग्रामीण भत्ता मिलता है को यथावत रखा जाए ।

5. ग्रामीण भत्ता मूल वेतन पर 50 प्रतिशत दिया जावे ।

6. ट्रांसफर पालिसी बनाई जावे, चिकित्सा अधिकारियों को नियम 22A के तहत प्रारम्भ में ग्रामीण क्षेत्र में लगाया जाए फिर शहरी क्षेत्र में शिफ्ट किया जावे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों के रहने हेतु नजदीकी शहरों में क्वार्टर उपलब्ध करवाए जावें, इमेरजेंसी ड्यूटी हेतु ट्रांसपोर्ट की सुविधा अन्य राजपत्रित अधिकारियों की भांति उपलब्ध करवाई जावे ।

7. चिकित्सकों की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (ACR) के रिव्यू अधिकार पंचायती राज के अधिकारियों से हटाकर पूर्व की भांति CMHO/JD/DMHS को दिए जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

8. कई जगह सीएमएचओ जिला परिषद कार्यालयों आदि अन्य जगहों पर बैठते हैं, इनके लिए अलग से ऑफिस बनाये जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

9. चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में नई पॉलिसी/योजना/बजट घोषणा करने से पहले इसकी विस्तृत चर्चा सेवारत चिकित्सक संघ से की जाए ताकि इनकी प्रभावी क्रियान्विति हो ।

10. चिकित्सालयों में बनी सोसायटी RMRS के अध्यक्ष चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को बनाया जावे । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

11. सभी चिकित्सालयों में IPHS norms के अनुसार जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जावे ।

12. सभी चिकित्सकों को समय समय पर ट्रेनिंग/कॉन्फ्रेंस, प्रत्येक वर्ष में कम से कम 3 बार राज्य सरकार के व्यय पर करवाई जावे ।

13. नए जोइनिंग करने वाले चिकित्सा अधिकारियों के लिए जोइनिंग के एक माह में ही रिफ्रेशर कोर्स/इंडक्शन ट्रेनिंग करवाई जाए, उसी के बाद इनको पदस्थापित किया जावे ।

14. दंत चिकित्सकों का प्रोबेशन पीरियड एमबीबीएस चिकित्सकों की तरह एक वर्ष का किया जावे ।

15. चूंकि दंत चिकित्सकों की नियुक्ति शहरी क्षेत्र में ही होती है अतः उनके शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि के आधार पर ही उन्हें पीजी परीक्षा में 10-20-30 प्रतिशत बोनस दें ।

एक चिकित्सक से क्या अपेक्षा है ?
जिला स्तर पर प्रति दो माह में एक चिकित्सक मीटिंग हो जिसमें हर चिकित्सक उपस्थित होकर यूनियन की मजबूती में हिस्सेदारी प्रदान करे ।

जरूरत पड़ने पर जिला स्तर और राज्य स्तर पर होने वाले धरने प्रदर्शन मीटिंग आदि में पहुंचे ।

*चिकित्सकों का काफी नकारात्मक माहौल जनता में चल रहा है, ऐसे में सभी चिकित्सक पॉजिटिव माहौल बनावें और एक दूसरे पर कटाक्ष के बजाय एकजुटता वाली मिशाल कायम करें 🙂

Clinics closed due to poor business

PETALING JAYA: As many as 500 clinics run by general practitioners (GPs) were estimated to have closed between 2014 and 2016 due to poor business.

And the Malaysian Medical Association (MMA) is worried that the situation may worsen.

Its president Dr Ravindran R. Naidu said a study involving 1,800 GPs revealed widespread concern over the financial sustainability of their clinics.

The findings from Study on the Health Economics of General Prac­titioners in Malaysia: Trends, Chal­len­ges and Moving Forward in 2016 revealed that the expenses for ma­­na­ging GP services had increased over the years due to changes in po­­licies as well as the involvement of the unregulated third party administrators (TPAs), said Dr Ravindran.

The findings showed almost 70% of clinics saw fewer than 30 patients a day, while the operating cost of a clinic in an urban area ranges from RM50,000 to RM60,000 a month.

“With the drop in number of patients and increasing cost, it will eventually lead to the natural death of the GP practice,” said Dr Ravin­dran, adding that prior to this, instances of clinics closing down were rare as they would typically be sold or passed on to others to run should the doctors retire or migrate.

Dr Ravindran argued that TPAs must take the main share of the blame as they had removed some patients from GPs.

“They negotiate with companies and take away patients from one cli­­nic and pass them to other cli­nics,” he said, adding that TPAs place restrictions on consultation fees, types of medication prescribed, while charging GPs a fee for every patient they see.

Contributory factors, said Dr Ravindran, include the overproduction of doctors and the introduction of the contract system for those in public service.

He said as the Government would only take 50% of the doctors after a four-year contract, the rest are likely to become GPs, thus saturating the sector even further.

The solution to this, argued Dr Ravindran, is that the Government has to cut down on the number of students studying medicine as there were 5,000 medical students graduating each year.

“The other alternative is to build more hospitals while all medical colleges should have their own hospitals,” he said.

The vice-president of the Medical Practitioners Coalition Association of Malaysia, Dr M. Raj Kumar, agrees that clinics seeing below 30 patients a day were unsustainable.

“A clinic needs at least 30 patients, depending on locality,” he said, adding that operating costs have skyrocketed in recent years such as the various licences needed for the practice, medicine costs that in­­crease every six months, the introduction of GST, and rise in wages for nurses and assistants.

“The poor economy is also for­cing the public to visit government clinics,” he said.

Read more at http://www.thestar.com.my/news/nation/2017/06/22/clinics-closed-due-to-poor-business-gps-seeing-fewer-patients-amid-rising-operating-costs/#04xjjQQEcJClKyLz.99

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अस्पताल में मेडिको लीगल कार्य करने की जिम्मेदारी है किस डॉक्टर की ?