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Corona in jabalpur city

Death due to corona in Jabalpur for the second consecutive day

कोरोना से मौत का आंकड़ा जबलपुर जिले में लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट में रांझी निवासी 72 वर्षीय वृद्धा की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। वृद्धा का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा था। जिनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत आज किया जाएगा। वहीं बुधवार को जारी रिपोर्ट में भी एक वृद्ध की मौत हुई थी। लगातार दूसरे दिन भी मौत के बाद जिले में हड़कंप मच गया है।कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों की संख्या अब 806 पर पहुंच गई है। गुरुवार को कोविड से संक्रमित 20 नए मरीज सामने आए हैं। जबकि 36 मरीजों को आइसोलेशन से छुट्टी दे दी गई। जिसके बाद अब जिले में एक्टिव केसों की संख्या 192 हो गई है।

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bad condition of health department

The condition of health department in Etawah city is bad

इटावा शहर में नियमो को ताख पर रखकर निजी अस्पताल चलाये जा रहे है। जिले में 85 निजी अस्पतालों में से मात्र 10 अस्पतालों ने अग्निशमन विभाग से एनओसी ली है। बाकी 75 अस्पताल बिना एनओसी के चला रहे है। स्वास्थ्य विभाग लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। बिना मानक, रजिस्ट्रेशन, के निजी अस्पताल फल फूल रहे है। इस मामले में सम्बंधित अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

निजी अस्पतालों का गोरखधंधा
कार्यवाही के नाम पर स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग नोटिस-नोटिस देने का खेल खेलते नजर आते हैं। दोनों ही जिम्मेदार विभाग बड़े हादसे का इंतजार करता नजर आरहा है।जिले के 75 निजी अस्पताल सरकार और प्रसाशन को ठेंगा दिखा रहे है।

बिना NoC के चल रहे अस्पताल
हाल ही में मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में अग्निकांड से 8 लोगों की जान चली गई थी। बावजूद ऐसे हादसों से सबक लेने के जिले में फायर विभाग के नियमों को ताक पर रखकर बड़ी संख्या में निजी अस्पताल चलाए जा रहे हैं। शहर में कई बड़े नामचीन अस्पताल बिना एनओसी के चल रहे हैं। जहां मानकों को ताक पर रखकर बेसमेंट में भी मरीजों को भर्ती कर दिया जाता है।शहर के प्रमुख आईटीआई चौराहा एवं भरथना चौराहे पर तो अवैध रूप से चल रहे निजी अस्पतालों की मंडी सी लगी हुई है। जहां फायर विभाग के एनओसी की बात तो छोड़िए दर्जनों निजी अस्पतालों में डॉक्टर्स ही नही मिलते स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के नाम पर दिखावे के लिए डॉक्टर्स के पेपर जरूर देखने को मिल जाएंगे।

स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत सामने आई
आए दिन इन अवैध अस्पतालों में मरीजों की जान चली जाती है। दिखावे के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच के नाम पर अवैध अस्पतालों को क्लीन चिट दे दी जाती है। ऐसे ही एक अवैध अस्पताल जो कि बिना फायर एनओसी के पिछले कई सालों से चल रहा है।जब पड़ताल की तब मौके पर मौजूद अस्पताल के संचालक ने बताया कि फायर विभाग से एनओसी के लिए फार्म अप्लाई किया हुआ है। इस दौरान अस्पताल में ना तो कोई डॉक्टर मिला और ना ही कोई स्टाफ नर्स लेकिन अस्पताल के बेसमेंट में बीमार मरीज भर्ती जरूर मिले। जबकि फायर विभाग की तरफ से सख्त आदेश है कि अस्पतालों के बेसमेंट में मरीजों को भर्ती ना किया जाए बावजूद इसके सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर दर्जनों निजी अस्पतालों के बेसमेंट में मरीज भर्ती किए जाते हैं।

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Improving health system in village

Now if you want to become a doctor then you have to do it in the village first.

मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने वाले हर छात्र को अब ग्रामीण क्षेत्र में तीन साल के लिए पांच-पांच परिवार को गोद लेना होगा। इस अवधि में प्रत्येक छात्र परिवार सदस्यों से जान पहचान बढ़ाते हुए उनके घर के डॉक्टर बनेंगे। परिवार के सदस्यों की बीमारी को जानने के साथ ही कारणों का पता लगाते हुए उसकी रिपोर्ट तैयार करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर उस गांव की स्थिति, पर्यावरण, पानी व अन्य कारणों से होने वाली बीमारियों को पता लग पाएगा।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने इस संबंध में गाइडलाइन जारी करते हुए समस्त मेडिकल कॉलेजों को पालना के आदेश दिए। आदेश की पालना में आरएनटी मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने अभी बडग़ांव पंचायत समिति क्षेत्र चुनिंदा गांव का दौरा किया। अब ये छात्र ब्लॉक सीएमएचओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व आशा सहयोगिनियों के माध्यम से पांच-पांच परिवार गोद लेंगे।ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की पहुंच बढ़ाने व मेडिकल छात्रों को फील्ड की जानकारी के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना को एनएमसी ने परिवार गोद कार्यक्रम का नाम दिया है। इस प्रोग्राम के तहत छात्रों को कॉलेज में किताबी ज्ञान ,अस्पताल में मरीजों कीे सेवा के साथ ही फील्ड का नॉलेज मिलेगा। वे गोद लिए परिवार के व्यवहार, बीमारियों, रहन-सहन एवं व्यवहार से जुड़े मुद्दों के बारे में जान पाएंगें।

यूं शुरू की योजना
– ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी
– चिकित्सकों का मरीजों के प्रति व्यवहार सुधार
– ग्रामीण क्षेत्र में होने वाली बीमारी से समय पर पता लगाना
– काउंसलिंग कर परिवार को समय पर इलाज करवाना
– ग्रामीण परिवारों से संपर्क बढ़ाना
– गांव व गोद लिए परिवार जरूरतों को समझना
– भविष्य में चिकित्सकों को गांवों में तैनाती के लिए भी तैयार करना।

इस कारण महत्वपूर्ण है योजना
– अधिकांश आबादी गांवों में रहती है उसके बावजूद डॉक्टर शहरी क्षेत्रों में हैं, इससे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगोंं की बीमारियों के कारणों को पता नहीं चल पाता। इस महत्ती योजना से लाभ होगा।
– वर्तमान में कम्युनिटी मेडिसिन पाठ्यक्रम के डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रेनिंग लेनी होती है, लेकिन इस कार्यक्रम में अब परिवार को गोद लेना होगा, जिससे बीमारी व कुरीतियों को पता चल पाएगा।
एनएमसी की यह महत्ती योजना है इससे भावी पीढ़ी के नए चिकित्सकों को फील्ड का नॉलेज होगा। ग्रामीणों का चिकित्सकों के प्रति विश्वास बढ़ेगा और वे खुलकर पीड़ा बता सकेंगे, ताकि उस क्षेत्र की स्थिति व बीमारियों का पता लग सकेगा।

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New revolution in health sector

Now specialist doctors will be made every 1 year in the country, PG medical seats will be equal to MBBS

04.08.2022
मामूली सर्दी-जुकाम में भी लोग अब विशेषज्ञ डॉक्टर से ही इलाज कराना चाहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने हर साल दोगुने विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए देश में एमबीबीएस सीटों को तो ज्यादा नहीं बढ़ाया जाएगा, लेकिन पीजी की सीटों को दोगुना कर एमबीबीएस सीटों के बराबर कर दिया जाएगा।अभी देश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल सीटें 91,927 हैं, जिन्हें 1.10 लाख करने का लक्ष्य है। इतनी ही सीटें पीजी की होंगी, जो अभी 55 हजार हैं। लेकिन, मनपसंद विषय नहीं मिलने की वजह से 50 हजार सीटें भी नहीं भर पातीं। लेकिन, अब पीजी सीटें बढ़ने के बाद एमबीबीएस पास करने के बाद हर डॉक्टर के पास पीजी करने का मौका होगा। नीति आयोग, स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन और वित्त मंत्रालय ने इस योजना का खाका बनाना शुरू कर दिया है।

निजी अस्पतालों में भी बनेंगे विशेषज्ञ
केंद्र सरकार का अनुमान है कि अगर पीजी सीटें बढ़ाकर दोगुनी कर दी जाती हैं तो अगले 5-7 साल में देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी। इसके लिए सरकारी अस्पतालों में तो पीजी सीटें बढ़ाई ही जाएंगी, साथ में बड़े निजी अस्पतालों में डीएनबी कोर्स के माध्यम से विशेषज्ञ डॉक्टर्स तैयार किए जाएंगे। अभी भी देश में 12 हजार डीएनबी सीटें हैं।यहां से विशेषज्ञ बनने वाले डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में स्टायपेंड नहीं दिया जाता है या कम दिया जाता है। इस वजह से सीटें नहीं बढ़ पा रही हैं। अब सरकार इसे लेकर नीतिगत निर्णय ले सकती है। सूत्र बता रहे हैं कि निजी अस्पतालों से डीएनबी कोर्स करने वाले डॉक्टरों के लिए सरकार ही स्टायपेंड देना शुरू करेगी। यह राशि अस्पतालों को उनके यहां भरी गईं पीजी सीटों के आधार पर मिलेगी। इस तरह डीएनबी सीटों को बढ़ाकर 25 हजार करने की तैयारी है।

100 से ज्यादा बेड वाले अस्पतालों में डीएनबी कोर्स कराए जा सकेंगे
पीजी कोर्स कराने के लिए निजी अस्पतालों के अलावा ईएसआईसी, आर्मी और पीएसयू के अस्पतालों को भी शामिल किया जाएगा। 100 से ज्यादा बेड वाले अस्पताल में डीएनबी कोर्स की अनुमति दी जाएगी। इसमें 2 साल का डिप्लोमा और 3 साल का डीएनबी कोर्स शामिल होगा। डिप्लोमा करने वाले डॉक्टर नॉन टीचिंग रहेंगे, जबकि डीएनबी वाले टीचिंग कैडर में शामिल किए जाएंगे।

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health tips for public

Health Tips: Do not consume these things with medicine, it can have side effects on health

04.08.2022
स्वस्थ रहने के लिए अच्छी लाइफस्टाइल होना जरूरी होता है। योग और व्यायाम के साथ ही पौष्टिक आहार का सेवन भी व्यक्ति की सेहत पर प्रभाव डालता है। हालांकि मौसमी बीमारी, संक्रमण, खानपान व बिगड़ी जीवन शैली के कारण कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। बीमार होने पर लोग चिकित्सक के पास जाते हैं और उनकी सलाह पर दवाइयों का सेवन करते हैं। हालांकि अगर आपको लगता है कि दवा खाने मात्र से आप स्वस्थ हो सकते हैं, तो आप गलत हैं। कई बार दवा का साइड इफेक्ट हो जाता है। दवाएं भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। लोगों को दवा खाने के सही तरीके के बारे में पता नहीं होता, ऐसे में दवा रोग पर असर नहीं करती, साथ ही दुष्प्रभाव अलग करती है। ऐसे में दवा का सेवन करते समय कुछ सावधानियां भी रखें। चलिए जानते हैं कि दवा के साथ किन चीजों का सेवन भूल से भूी नहीं करना चाहिए, वरना दुष्प्रभाव भी हो सकता है।

एनर्जी ड्रिंक्स

जब आप किसी रोग पर दवा का सेवन करते हैं, तो उसके साथ एनर्जी ड्रिंक नहीं पीनी चाहिए। एनर्जी ड्रिंक्स के साथ दवा लेने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। दवा के डिजाॅल्व होने का समय भी ज्यादा लगता है।

शराब

शरीर के लिए धूम्रपान नुकसानदायक है। दवा के साथ शराब या किसी भी तरह के मादक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे सेहत पर तो बुरा असर पड़ता ही है, साथ ही एक साथ दोनों के सेवन से लीवर को भी काफी नुकसान हो सकता है। शराब के साथ दवा लेने से लीवर संबंधी कई विकार का जोखिम बढ़ जाता है।

डेयरी प्रोडक्ट्स

अक्सर लोग दूध के साथ दवा का सेवन करते हैं। दूध भले ही सेहत के लिए फायदेमंद है लेकिन कुछ एंटीबायोटिक दवा के असर को कम भी कर सकता है। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मिनरल्स और प्रोटीन पाए जाते हैं, जो दवाइयों के साथ मिलने पर दवा के असर को कम कर देते हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, एंटीबायोटिक के साथ दूध या डेयरी प्रोडक्ट का सेवन नहीं करना चाहिए।

मुलेठी

आयुर्वेद में मुलेठी को सेहत के लिए लाभकारी बताया गया है। मुलेठी पाचन तंत्र को मजबूत करती है और पेट संबंधी कई समस्याओं से राहत दिलाती है। लेकिन मुलेठी में ग्लाइसीरिजिजिन पाया जाता है, जो कई दवाओ के असर को कम कर सकता है।

पत्तेदार सब्जियां

बीमार व्यक्ति को पोषण देने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ दवाओं को पत्तेदार सब्जियों के साथ लेने से दवा का प्रभाव बाधित होता है। केल, ब्रोकली या विटामिन के से भरपूर सब्जियां दवाओं के प्रभाव में बाधा डाल सकती हैं।

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bad health service in mp

Bad health service in Madhya pradesh

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के हाल कितने बदहाल हैं, इसका एक उदाहरण प्रदेश की आर्थिक राजधानी और सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से सामने आया, जहां मॉर्चुरी तक पहुंचने की सड़क खराब होने के कारण परिजनों को शव खाट पर रखकर लाना पड़ा। इतना ही नहीं परेशान परिजन जब आधा किलोमीटर चलकर अपने कंधों पर खाट और खाट पर शव रखकर लाए, तो मोर्चुरी में ताला लगा मिला, जिसके बाद हताश परिजनों ने शव साइड में रख दिया, और ताला खुलने का इंतजार करने लगे। वहीं अब इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लोग मध्य प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को कोस रहे हैं।
कुछ ऐसा है पूरा मामला
यह पूरा मामला शहर के जिला अस्पताल का है, जहां द्वारकापुरी क्षेत्र के रहने वाले किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद परिजन शव लेकर मॉर्चुरी पहुंचे, जहां मॉर्चुरी तक जाने की सड़क खराब होने के कारण गाड़ी मॉर्चुरी तक नहीं जा सकी, जिसके बाद परिजन लगभग आधा किलोमीटर पैदल चलकर शव को खाट पर रख मॉर्चुरी पहुंचे, जिसके बाद यहां भी ताला लगा मिला।

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Chandigarh ayushman health scheme

Political uproar over Ayushman health scheme in Chandigarh

पंजाब में आयुष्मान स्कीम के तहत 5 लाख तक कैशलेस इलाज बंद किए जाने पर सियासी बवाल मच गया है। कल PGI चंडीगढ़ ने भी 16 करोड़ बकाया न देने पर इलाज से इनकार कर दिया। इसके बाद विरोधियों ने आम आदमी पार्टी और CM भगवंत मान को घेर लिया। उन्होंने कहा कि क्या यही वह हेल्थ मॉडल है, जिसे सीएम भगवंत मान ने पंजाब में लागू किया है। वहीं वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने दावा किया कि पीजीआई में कल से इलाज शुरू हो जाएगा। पंजाब सरकार फंड जारी कर रही है।

भगवंत मान इलाज के लिए दिल्ली चले गए, गरीब कहां जाए? : अकाली दल
अकाली नेता परमबंस सिंह बंटी रोमाणा ने कहा कि PGI के अलावा सेक्टर 32 और 16 अस्पताल में मरीजों का इलाज बंद कर दिया गया है। PGI चंडीगढ़ का 16 करोड़, सेक्टर 16 अस्पताल के 3 करोड़ और ढाई करोड़ 32 सेक्टर मेडिकल कॉलेज का पेंडिंग पड़ा है। क्या यही पंजाब सरकार का दिल्ली मॉडल है। 300 करोड़ पंजाब के अस्पतालों का बकाया है। 40 लाख गरीब परिवार इलाज से वंचित है। सीएम के पेट में दर्द हुआ तो जहाज लेकर स्पेशल दिल्ली जाकर एडमिट हो गए थे। गरीब आदमी कहां जाए?। चंडीगढ़ और पंजाब के बड़े अस्पतालों में इस स्कीम के तहत इलाज नहीं हो रहा।

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Alert about dengue in muzaffarpur

In Muzaffarpur, health department alerted about dengue

बरसात शुरू होते ही डेंगू बुखार का प्रकोप बढ़ जाता है। बारिश का पानी लंबे समय एक ही जगह जमा रहने पर मादा एनाफिलिज मच्छर पनपता है, जिसके काटने से डेंगू बुखार होता है। इसको देखते हुए डेंगू से बचाव काे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। सिविल सर्जन डाॅ. यूसी शर्मा ने जिले के सभी पीएचसी प्रभारियाें काे डेंगू-चिकनगुनिया से बचाव काे लेकर अलर्ट मोड में रहने के साथ ही निचले इलाकों में नियमित फॉगिंग कराने का निर्देश दिया है।वहीं, फाइलेरिया कर्मियों की ओर से सभी चिह्नित स्थलों पर नियमित रूप से एंटी लार्वा स्प्रे का छिड़काव कराने काे कहा है। सिविल सर्जन ने कहा, यदि किसी व्यक्ति को पूर्व में डेंगू हो चुका है तो उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। बीमारी के लक्षण होने पर तुरंत अस्पताल में जाकर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। ़डेंगू बुखार आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से 10 दिन बाद शुरू होता है। इधर, जिला मलेरिया अधिकारी डाॅ. सतीश कुमार ने डेंगू से बचाव के लिए सतर्क रहने की अपील की।

डेंगू बुखार के प्रमुख लक्षण
तेज बुखार, बदन, सिर व जाेड़ाें में दर्द, आंखाें के पीछे दर्द हाेना, त्वचा पर लाल धब्बे या चकत्ते का निशान हाेना, नाक-मसूढ़ाें से या उल्टी के साथ खून निकलना, शौच काला हाेना आदि।

बचाव को बरतें ये सतर्कता

दिन में भी साेते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। {मच्छर भगाने वाली दवा-क्रीम का प्रयाेग दिन में भी करें। {पूरे शरीर काे ढंकने वाले कपड़े पहनें। घर व आसपास काे साफ व हवादार बनाकर रखें। {टूटे-फूटे बर्तन, कूलर-फ्रिज के पानी की निकासी ट्रे, पानी टंकी व घर के अंदर व अगल-बगल में पानी नहीं जमा होने दें। {घर के आसपास साफ-सफाई रखें। जमा पानी व गंदे स्थलों पर कीटनाशी दवाओं का छिड़काव करें। {गमला, फूलदान आदि का पानी हर दूसरे दिन बदलें। {जमे हुए पानी में मिट्टी का तेल डालें।

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Impact of doctors transfer

After the transfer of doctors in Chomu, the system collapsed

03.08.2022

चौमूं उपखंड इलाके में करीब 1 सप्ताह पहले एक साथ 18 डॉक्टरों का ट्रांसफर हुआ था। इनमें चौमूं सरकारी अस्पताल के भी डॉक्टर शामिल हैं। नए डॉक्टर नहीं लगाने से अस्पतालों में अव्यवस्थाओं का आलम है। इससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चौमूं के सरकारी अस्पताल में मंगलवार को दवा वितरण केंद्र, ओपीडी सेंटर सहित डॉक्टर कक्ष के बाहर भी मरीजों की भीड़ देखने को मिली। वहीं, कांग्रेस पदाधिकारी डॉक्टरों के ट्रांसफर रद्द कराने की मांग को लेकर चिकित्सा मंत्री के जयपुर आवास के बाहर धरने पर बैठ गए।अस्पताल में दवाई लेने पहुंचे मरीज सोहन लाल और मनीष यादव ने बताया कि करीब 1 घंटे से भी ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन अभी तक ना तो डॉक्टर को दिखाने के लिए नंबर आया और ना ही दवाई लेने में और अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने के कारण सब मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। वहीं, अस्पताल में करीब 900 से 1000 के बीच ओपीडी चल रहा है। बारिश के कारण मौसमी बीमारियों का भी प्रकोप बढ़ गया है। इस बीच अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम पसरा हुआ है।

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Posting and transfer

Posting and transfer of the following employees of Rajasthan Government Medical and Health Department

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अपने कर्मचारियों का पदस्थापन व स्थानांतरण प्रशासनिक अति आवश्यकताओं को देखते हुए लोक हित में किया गया है।

ATTACHED FILES 

552 Dt.01.08.2022 Website

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