The condition of health department in Etawah city is bad

इटावा शहर में नियमो को ताख पर रखकर निजी अस्पताल चलाये जा रहे है। जिले में 85 निजी अस्पतालों में से मात्र 10 अस्पतालों ने अग्निशमन विभाग से एनओसी ली है। बाकी 75 अस्पताल बिना एनओसी के चला रहे है। स्वास्थ्य विभाग लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। बिना मानक, रजिस्ट्रेशन, के निजी अस्पताल फल फूल रहे है। इस मामले में सम्बंधित अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।

निजी अस्पतालों का गोरखधंधा
कार्यवाही के नाम पर स्वास्थ्य विभाग और अग्निशमन विभाग नोटिस-नोटिस देने का खेल खेलते नजर आते हैं। दोनों ही जिम्मेदार विभाग बड़े हादसे का इंतजार करता नजर आरहा है।जिले के 75 निजी अस्पताल सरकार और प्रसाशन को ठेंगा दिखा रहे है।

बिना NoC के चल रहे अस्पताल
हाल ही में मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक निजी अस्पताल में अग्निकांड से 8 लोगों की जान चली गई थी। बावजूद ऐसे हादसों से सबक लेने के जिले में फायर विभाग के नियमों को ताक पर रखकर बड़ी संख्या में निजी अस्पताल चलाए जा रहे हैं। शहर में कई बड़े नामचीन अस्पताल बिना एनओसी के चल रहे हैं। जहां मानकों को ताक पर रखकर बेसमेंट में भी मरीजों को भर्ती कर दिया जाता है।शहर के प्रमुख आईटीआई चौराहा एवं भरथना चौराहे पर तो अवैध रूप से चल रहे निजी अस्पतालों की मंडी सी लगी हुई है। जहां फायर विभाग के एनओसी की बात तो छोड़िए दर्जनों निजी अस्पतालों में डॉक्टर्स ही नही मिलते स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के नाम पर दिखावे के लिए डॉक्टर्स के पेपर जरूर देखने को मिल जाएंगे।

स्वास्थ्य विभाग की मिली भगत सामने आई
आए दिन इन अवैध अस्पतालों में मरीजों की जान चली जाती है। दिखावे के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच के नाम पर अवैध अस्पतालों को क्लीन चिट दे दी जाती है। ऐसे ही एक अवैध अस्पताल जो कि बिना फायर एनओसी के पिछले कई सालों से चल रहा है।जब पड़ताल की तब मौके पर मौजूद अस्पताल के संचालक ने बताया कि फायर विभाग से एनओसी के लिए फार्म अप्लाई किया हुआ है। इस दौरान अस्पताल में ना तो कोई डॉक्टर मिला और ना ही कोई स्टाफ नर्स लेकिन अस्पताल के बेसमेंट में बीमार मरीज भर्ती जरूर मिले। जबकि फायर विभाग की तरफ से सख्त आदेश है कि अस्पतालों के बेसमेंट में मरीजों को भर्ती ना किया जाए बावजूद इसके सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर दर्जनों निजी अस्पतालों के बेसमेंट में मरीज भर्ती किए जाते हैं।

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