Study of thrombin injection on 50 patients in Sawai Mansingh (SMS) Hospital, Jaipur, research of doctors will now cure liver cirrhosis disease worldwide

23.07.2022
एसएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के रिसर्च से अब दुनियाभर में लिवर सिरोसिस बीमारी का इलाज होगा। प्रदेश में लिवर सिरोसिस बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए थ्रोम्बिन जीवनरक्षक इंजेक्शन साबित हो रहा है। इसके इस्तेमाल से मरीजों में खून की उल्टी रोकने में मदद मिली रही है, वहीं फेफड़े व दिल की नसों में किसी तरह से ब्लॉक यानी एंबोलिज्म भी देखने को नहीं मिला। शोध यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ द लीवर (ईएएसएल) में प्रकाशित हो चुका है।यह खुलासा एसएमएस अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट विभाग के डॉ. अशोक झाझड़िया व उनकी टीम की ओर से किए गए अध्ययन में हुआ है। थ्रोम्बिन इंजेक्शन के मरीजों पर किए गए अध्ययन में किसी तरह का साइड इफेक्ट भी देखने को नहीं मिला। एसएमएस अस्पताल में आने वाले 50 मरीजों पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई)नई दिल्ली की ओर से अनुमति मिलने के बाद ही थ्रोम्बिन इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया।

सुपर ग्लू के इस्तेमाल से फेफड़े व नसों में जम जाता है खून का थक्का, थोम्ब्रिन से नहीं
मौजूदा स्थिति में लिवर सिरोसिस बीमारी यानी खून की उल्टी रोकने के लिए एंडोस्कोपी मशीन के जरिए सुपर ग्लू इंजेक्शन लगाया जाता है। मरीजों में सुपर ग्लू का उपयोग करने पर फेफड़े व दिल की नसों में खून का थक्का जमा देता था, जिसे मेडिकल भाषा में एंबोलिज्म कहा जाता है। थ्रोम्बिन इंजेक्शन संबंधित नस को ही ब्लॉक करने से मरीज को फायदा मिलता है।

एक बार थ्रोम्बिन इंजेक्शन लगाने पर बार-बार नहीं लगाना पड़ता, जबकि ग्लू को बार-बार लगाना पड़ता है। ऐसे में मरीज को बार-बार एंडोस्कोपी और वापस इंजेक्शन नहीं लगाना होता है। ग्लू लगाने से नसें फूल जाती थी, जबकि थ्रोम्बिन में नस फटने का खतरा नहीं रहता है।

एसएमएस में रोज 50 से 60 मरीज
एसएमएस अस्पताल के आउटडोर में लिवर सिरोसिस के रोजाना 50 से 60 मरीज आते हैं। समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज की जान जा सकती है। इसके उपयोग से देश में अब हर साल 10 लाख मरीजों की जान बचाई जा सकेगी।

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