Shameful: neither treatment was found in the hospital, nor the dead body

एमपी अजब है.. ये कहावत यूं ही नहीं कही जाती है।कहने को तो यहां की सड़कें अमेरिका जैसी हैं, शहर स्मार्ट हो गये हैं और पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं (Health facilities) बेहतर हैं. लेकिन मरीज के मरने के बाद शव को घर पहुंचाने के लिए शव वाहन तक नहीं मिलता।ताजा मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के शहडोल से सामने आया है. शहडोल मेडिकल कॉलेज (Shahdol Medical College) में रविवार को एक महिला की मौत के बाद जिला अस्पताल ने शव को घर ले जाने के लिए मृतक के परिवार वालों को शव वाहन तक नहीं उपलब्ध कराया। इसके बाद बेटों को मां का शव लकड़ी की पटरी में बाधकर बाइक से शहडोल जिले से पड़ोसी जिले अनूपपुर तक 80 किलोमीटर दूर अपने घर ले जाना पड़ा।
मजबूर बेटों ने बताया कि अस्पताल में न इलाज मिला और न ही मौत के बाद शव वाहन उपलब्ध कराया गया। प्राइवेट शव वाहन वाले ने 5 हजार रुपए मांगें, लेकिन परिजनों के पास इतने पैसे नहीं थे। आखिरकार बेटों ने मां के शव को बाइक पर घर ले जाना सही समझा।मृतक महिला के बेटों का आरोप है कि अनुपपुर जिले से शहडोल मेडिकल कॉलेज में अपनी मां का इलाज कराने आए थे, लेकिन यहां समुचित इलाज नहीं मिलने से उनकी मां की मौत हो गई। इसके बाद उनको शव वाहन चाहिए था, जो मांगने पर भी अस्पताल के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया. इसके बाद बेटों ने 100 रुपए की एक लकड़ी की पटिया खरीदी और उसके ऊपर शव को बांधकर बाइक से 80 किलोमीटर का सफर तय कर अनूपपुर जिले के ग्राम गुड़ारू अपने घर पहुंचे।

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