To save the life of her son, a 38-year-old woman resident of Barmer, Bachhau, transplanted her kidney in a private hospital in Gujarat.

06.07.2022
बाछड़ाऊ निवासी एक 38 वर्षीय महिला ने अपने बेटे की जान बचाने के लिए अपनी जान दाव पर लगा दी। दमी देवी का बेटा हरीश लंबे समय से बीमार था और उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी थी।
बेटे की जिंदगी बचाने के लिए मां दमी ने अपनी किडनी देने की पेशकश की। जांच के बाद किडनी ट्रांसप्लांट पर तो सहमति बन गई लेकिन इसके लिए 27 लाख रुपए खर्चा आ रहा था।इतनी बड़ी रकम होने की वजह से यह परिवार व्यवस्था करने में सक्षम नहीं था। ऐसे में इन्होंने भामाशाहों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई। इसके बाद केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने मददगार बनकर इनकी मदद की और गुजरात के अस्पताल में इलाज करवाया। किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद अब मां और बेटा दोनो स्वस्थ है।

केंद्रीय मंत्री ने गुजरात में कराई मदद
हरीश के पिता शेराराम सियाग किसान है। किडनी ट्रांसप्लांट के 27 लाख रुपए नहीं थे। बाछड़ाऊ पूर्व सरपंच मानाराम बेनीवाल, किसनाराम मूंढ़ण, आदूराम मेघवाल ने हरीश की मदद की गुहार केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी से लगाई। केंद्रीय मंत्री चौधरी ने सांसद कोटे से डेढ़ लाख रुपए दिए साथ ही हरीश के किडनी ट्रांसप्लांट अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल में होनी थी, तब मंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री से फोन पर मदद की मांग की। गुजरात सीएम कार्यालय से हरीश के नाम स्वास्थ हेल्थ कार्ड जारी कर किडनी ट्रांस प्लांट की व्यवस्था करवाई।

किडनी ट्रांसप्लांट के बाद होश में आई माता दमी तो सबसे पहले पूछा; मेरा बेटा कैसा है
जब मां किडनी देने के बाद होश में आई तो मुंह से केवल एक ही शब्द निकला मेरा बेटा कैसा है। अहमदाबाद में मां बेटे की किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अब दोनों स्वस्थ हैं। विदेशी डॉक्टरों द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया। हरीश सियाग कक्षा 9 में बाछड़ाऊ स्कूल में अध्ययनरत है। दोनों किडनियां खराब होने से हरीश ने चारपाई पकड़ ली थी, लेकिन अब स्वस्थ होने के बाद दुबारा अध्ययन कर पाएगा
परिवार की आर्थिक स्थिति खराब, अब भी मदद की दरकार
हरीश की किडनी का सफल ऑपरेशन होने के बाद अब भी दो से तीन लाख रुपए की मदद की दरकार है। हरीश की माता गृहणी व पिता किसान हैं। हरीश के इलाज के लिए इस किसान परिवार ने पहले भी काफी कर्ज ले रखा है। अभी हरीश के पूर्ण इलाज के लिए दो से तीन लाख रुपए की जरूरत है। समाज सेवी हरीश मूंढण ने बताया कि यदि कोई भामाशाह या संस्था आकर इस परिवार की आर्थिक मदद करे तो इसका पूर्ण इलाज हो पाएगा।

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