After making Jan Aadhaar mandatory for free treatment in government hospitals of Rajasthan, now patients are facing a lot of trouble.

21.07.2022
जन आधार नहीं है तो प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में न नि:शुल्क इलाज मिलेगा और न ही पैसे से। इससे राइट टू हेल्थ की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं।बिना जन आधार के अस्पताल पहुंच रहे मरीजों से पहले शपथ पत्र लिया जा रहा है कि वे कार्ड बनवाएंगे, नहीं बनवाने पर भविष्य में नि:शुल्क इलाज से इनकार किया जा रहा है। यहां तक कि ओपीडी की पर्ची भी इस कार्ड के बिना नहीं काटी जा रही। कार्ड नहीं होने पर सशुल्क पर्ची कटवाने का विकल्प भी अभी तक शुरू नहीं किया गया है।इस कार्ड की अनिवार्यता का सर्वाधिक नुकसान वंचित और अति गरीब वर्ग को हो रहा है। वहीं, अन्य राज्यों से आकर रह रहे प्रवासी मजदूरों, शरणार्थियों और बेघरों के पास न तो यह कार्ड है और न ही उनके लिए इसे बनवाना आसान है।

सरकार का तर्क
जनआधार की अनिवार्यता से मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना अधिक प्रभावी रहेगी

इससे मरीज को दिए जाने वाले इलाज व जांच का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा

रेकॉर्ड के साथ बीमारियों का विश्लेषण किया जा सकेगा

किसी परिस्थिति में जन आधार नहीं है तो इलाज से पहले सहमति पत्र देना होगा कि वह भविष्य में यह कार्ड बनवाएगा, नहीं बनवा पाया तो भविष्य में इलाज मुश्किल।

उठ रहे सवाल
यह स्वास्थ्य समानता के सिद्धांत और भारत के संविधान में प्रत्येक नागरिक को दिए गए जीवन के अधिकार के खिलाफ है।

अधिकांश वंचित समुदाय के लोग बीमार होने पर घरेलू उपचार या झोलाछाप के पास जाते हैं। इनके पास यह कार्ड नहीं होता।

कार्ड वाले मरीज भी आपात स्थिति में यह कार्ड साथ नहीं ले जा पाते।

पहचान पत्र खो जाना और नष्ट हो जाना, ग्रामीण क्षेत्रों में आम बात है। ऐसे में उनके लिए मुफ्त इलाज मुश्किल हो रहा है।

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