A case of mess in the medical university of Madhya Pradesh

29.07.2022
मप्र की इकलौती जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब नई गड़बड़ी सामने आई। यह गड़बड़ी नंबरों में की गई। जो स्टूडेंट जिस सब्जेक्ट में गैरहाजिर रहे, उनमें उन्हें पास कर दिया और बाकी में फेल। इनमें पहला नाम नम्रता का है, जो फिजियोथैरेपी न्यूरो सेकंड ईयर की स्टूडेंट है। इनका रिजल्ट जब आया तो यह फेल थी, लेकिन जब उन्होंने देखा कि जिस थ्योरी के पेपर में वो गैरहाजिर थीं, उसमें उन्हें 40 नंबर मिल गए और इंटरनल में 17 मार्क्स दिए गए। दूसरा मामला, नेहा नामक स्टूडेंट का है। गैरहाजिर वाले सब्जेक्ट मेडिसिन में उन्हें पासिंग मार्क्स दे दिए गए।ऐसी ढेरों गड़बड़ियों का प्रमाण भी विवि की बैठक के मिनिट्स में मिलता है। 22 जुलाई को आयोजित कार्य परिषद की मीटिंग में विषय 4 से 7 तक में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के स्टूडेंट के जिक्र के साथ उल्लेख है कि अंकों को चढ़ाने में गलती हो रही है। इसे टायपिंग एरर बताकर गलती करने वालों को माफी दी जा रही है।

मिनट्स में स्वीकार की खामियां… टायपिंग एरर बताकर गलती कर रहे माफ

मेडिकल यूनिवर्सिटी की 22 जुलाई को कार्य परिषद की मीटिंग में कुलपति आईएएस बी चंद्रशेखर उपस्थित रहे। उनकी मौजूदगी में रखे गए मिनट्स में 3 मामले अंकों की गलती के थे। इनमें पहला मामला भोपाल के मेयो कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंस का है। इस कॉलेज के स्टूडेंट विक्रम सिंह वर्मा को पैथोलॉजी के फर्स्ट पेपर में प्रैक्टिकल नंबर 77 की जगह 40 दे दिए गए।

दूसरा मामला, इंदौर के चोइथराम कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंस की स्टूडेंट कामना तिवारी का है। पीटी एथिक्स मैनेजमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन के पेपर में 52 की जगह 2 अंक दे दिए गए। तीसरा मामला, ग्वालियर के लाइफ साइंस कैंसर हॉस्पिटल कैम्पस के छात्र दीपक कुशवाह का है। इन्हें बायो कैमिस्ट्री के पेपर में 90 की बजाय 51 मार्क्स दे दिए गए।

हां, वो मामले डेटा एंट्री की त्रुटियों से संबंधित हैं। इनका परीक्षण किया गया है। हजारों छात्रों के अनेक पेपर होते हैं। प्रैक्टिकल डेटा एंट्री में कुछ त्रुटियां संभव हैं, जिन्हें सुधारा जाता है। यदि कोई जानबूझकर ऐसा करता है तो सख्त कार्रवाई करेंगे।

-बी. चंद्रशेखर, कुलपति, मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर

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