Delhi government health minister Satyendar Jain arrested

नई दिल्ली । हवाला केस में ईडी ने एक्शन लेते हुए दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया है, ईडी द्वारा पूछताछ में पता चला की सत्येंद्र जैन द्वारा करोड़ों का घपला हुआ है, जिसकी रकम का इस्तेमाल सत्येंद्र जैन के द्वारा दिल्ली और दिल्ली के आसपास की जमीन खरीदारी के लिए उपयोग में लिया गया। ऐसी घटनाओं से डॉक्टरों व आमजनों पर सिस्टम के खिलाफ दुष्प्रभाव पड़ता है।

Increase in corona cases in gurgaon

31.5.2022
गुडगांव। एक तरफ जहां कोरोना के मामले खत्म से हो गए हैं वही जिले में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, 24 घंटों में देखा गया है कि 128 नए मामले सामने आए हैं परंतु इसी के साथ पॉजिटिव रेट में भी इजाफा हुआ है,इससे रिकवरी रेट भी अच्छी हुई है हुई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर वैक्सीनेशन कैंप चलाए जा रहे हैं, जिससे पर्याप्त टीकाकरण हो सके व कोरोना से मुक्ति मिल सके, इसी प्रयास से धीरे धीरे कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों में कमी देखी जा रही है। वैक्सीनेशन अभियान में हेल्थ वर्कर्स व फ्रंटलाइन वर्कर्स हिस्सा ले रहे और बूस्टर डोज भी लगवा रहे हैं।

Free health consultation for people of all classes, health camp organized by NHM MMI Narayana Super Specialty Hospital, Raipur

31.5.2022
रायपुर।वैसे तो बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पाना हर वर्ग के लोगों का हक है, परंतु आज भी कुछ ऐसी जगह हैं जहां पर स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल ही ठप पड़ी हुई है, आमतौर पर देखा गया है कि समय-समय पर अस्पतालों द्वारा निशुल्क स्वास्थ्य परामर्श हेल्थ कैंप का आयोजन किया जाता रहा है,जिससे कि हर वर्ग के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क मुहैया करवाई जा सके , जिससे कि निशुल्क में गंभीर बीमारियों व रोगों का इलाज हो सके। हर तबके के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना ही डॉक्टरों का लक्ष्य रहा है, डॉक्टरों द्वारा ऐसे सराहनीय कामों की प्रशंसा हमेशा होती रही है, हाल ही में देखा गया कि एनएचएम एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल द्वारा दो दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया, इसमें हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टर जनरल व लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर राजेश सिन्हा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनीषा शर्मा, पेट रोग विशेषज्ञ डॉ अनुपम महापात्रा व डॉ अभिषेक जैन ने कैंप में मौजूद रहकर आमजन को अपनी सेवाएं प्रदान की।

पुलिस की यह कैसी बर्बरता, पोस्टमॉर्टम में लापरवाही

30.5.2022
दूदू पुलिस की लापरवाही की वजह से मेडिकल बोर्ड पर भी सवाल खड़े हो गए हैं, मामला 28.5.2022 दूदू का है जब तीन सगी बहनें दो बच्चों के साथ कुएं में कूद गई और अपनी जिंदगी समाप्त कर ली, जिस पर पुलिस ने पांचों शवों का पोस्टमॉर्टम करवाया जिसमें दो दंपतियों के प्रेगनेंट होने की पुष्टि हुई, फिर शवों को परिजनों को सुपुर्द कर दिया।
मामला आज गरमाया जब ग्रामीणों द्वारा कुएं में नवजात का शव तैरता हुआ दिखाई दिया, इससे पुलिस की लापरवाही साफ देखने को मिली और मेडिकल बोर्ड की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो उठे। माना जा रहा है कि यह नवजात शव उन्हीं दंपत्ति में से एक का है जिसकी डिलीवरी का समय डॉक्टरों द्वारा 2 दिन बाद बताया गया था। अप पुलिस द्वारा इस नवजात सबका भी पोस्टमॉर्टम करवाकर डीएनए का पता लगाया जाएगा और पुष्टि की जाएगी कि यह यह शव उन्हीं में से एक दंपति का है।

जैसलमेर के सबसे बड़े जवाहर अस्पताल की हालत बद से बदतर

30.5.2022
जिले के सबसे बड़े अस्पताल की ऐसी हालत दुर्भाग्यपूर्ण है, मोर्चरी में पोस्टमॉर्टम के सिस्टम और बयां करती तस्वीरें यह साबित करती है कि सरकारी अस्पतालों को इतना फंड मिलने के बावजूद उनमें मरीजों को दी जाने वाली सेवाएं दुरुस्त करने की काफी जरूरत है।

जैसलमेर के सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्था देखने लायक नहीं है क्योंकि यहां पर मरीजों की पर्याप्त देखरेख व इलाज के लिए अत्याधुनिक मशीनों की कमी है जिसके अंतर्गत बड़ी-बड़ी समस्याओं से जूझते हुए मरीजों का इलाज होना असंभव है। इससे बुरे हाल यहां की मोर्चरी के हैं जहां शवों को रखा जाता है,मोर्चरी में से आती दुर्गंध यह बताती है कि मोर्चरी में ना ही कोई डीप फ्रीज है और ना ही कोई सुविधा , जिसमें शवों को रखा जाता है, वही पोस्टमॉर्टम करने के लिए ना कोई अत्याधुनिक औजार है बल्कि पुराने तौर-तरीकों व पोस्टमॉर्टम करते वक्त खोपड़ी तोड़ने के लिए छेनी का इस्तेमाल करना पड़ता है। सरकार द्वारा समय-समय पर सरकारी अस्पतालों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं परंतु हालत अभी भी देखने योग्य नहीं है, इससे ना केवल डॉक्टरों बल्कि मरीजों के परिजनों का भी मनोबल व धैर्य टूटता है और सरकारी अस्पतालों की ओर विश्वास कम होता है।

अब चिकित्साकर्मियों पर बेबुनियादी एफआईआर दर्ज नहीं कर सकेगी पुलिस

ऐसे मामले जिनमें डॉक्टरों की कोई गलती ना हो और पेशेंट के परिजनों के द्वारा पुलिस में बेबुनियादी एफआईआर दर्ज कराई गई हो,यह मामले अब एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर)के अंतर्गत सुलझाए जाएंगे।

30.5.2022
जयपुर| हाल ही में हुए दोसा के लालसोट में डॉक्टर की आत्महत्या के मामले में संज्ञान लेते लेते हुए राजस्थान सरकार द्वारा एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम) लागू हुआ है, जिसमें चिकित्सक व मेडिकल कर्मियों के खिलाफ तब तक एफआईआर दर्ज नहीं होगी जब तक मेडिकल बोर्ड की कमेटी की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हो जाती। हाल ही में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जिनमें पेशेंट के परिजन आधी अधूरी जानकारी के आधार पर ही डायरेक्ट ऑनलाइन माध्यम से डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा देते थे, जिस पर पुलिस द्वारा जांच पड़ताल किए बिना तुरंत एक्शन लिए जाते थे। ऐसी परिस्थितियों में चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों को मानसिक रूप से उत्पीड़न होना पड़ता है, जिससे उनकी कार्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

More than 125 laborers were taken hostage for the recognition of the Hospital

Prices of prostheses and accessories increased in KGMU

Mural crafted in memory of Covid warriors unveiled at Rabindra Sarobar

“There Is A Right To Terminate Pregnancy On Ground Of Rape” Uttarakhand High Court Allows Termination Of 28 Weeks Foetus