प्रतिवर्ष कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में अमरनाथ यात्रा जून-जुलाई-अगस्त माह में होती है, यह रक्षाबंधन के दिन संपन्न विधिवत मानी जाती है (60 Days), इसमें देश विदेश से यात्री अमरनाथ नामक गुफा में प्राकृतिक रूप से बनने वाले शिवलिंग के दर्शनार्थ जाते हैं, वर्ष 2018 में 285006 यात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किये | इस यात्रा के दो रास्ते हैं, एक पहलगाम से गुफा (करीब 40 किमी) दूसरा बालटाल से गुफा (करीब 15 किमी), दोनों रास्ते दुर्गम हैं जिनमें पैदल या खच्चर की सहायता से जाया जा सकता है, इन दोनों रास्तों में हर चार पांच किमी पर यात्रियों हेतु मेडिकल कैम्प बने होते हैं (कुल 28 कैम्प)जिनमें डॉक्टर सहित स्टाफ मय दवाइयां उपलब्ध रहता है, कश्मीर सरकार के पास पर्याप्त डॉक्टर/स्टाफ उपलब्ध ना होने की स्थिति में वे पड़ोसी राज्यों से इन्हें डेपुटेशन पर लेते हैं, यात्रा को ड्यूटी के हिसाब से दो चरणों में बांटा जाता है, एक एक महीना, जिनके लिए स्टाफ तैनात किया जाता है | सामान्यतया राजस्थान के स्टाफ को द्वितीय चरण में लगाया जाता है क्यूंकि उस समय वहां मौसम अनुकूल रहता है (करीब शून्य से ऊपर) | यात्रा में जाने हेतु किराया भत्ता, दैनिक भत्ता (दिन के हजार के करीब) राज्य सरकार के नियमानुसार देय होता है जो यात्रा पश्चात बिल प्रस्तुत करने पर दिया जाता है (बाबूराज) | श्रीनगर की फ्लाईट ले सकते हैं (किराया मेडिकल ऑफिसर्स को ट्रेन AC का ही मिलेगा), वहां से पहलगाम पहुंचें, अथवा ट्रेन से जम्मू वहां से बस/टेक्सी से अनंतनाग और फिर पहलगाम पहुंचें, बालटाल रूट वाले श्रीनगर से बालटाल जा सकते हैं वहां से (बालटाल और चन्दनबाड़ी के बाद) आगे अपने ड्यूटी स्थल तक पहुँचने के लिए पैदल चल सकते हैं अथवा खच्चर ले सकते हैं, ड्यूटी स्थल पर फार्मासिस्ट (इंचार्ज), नर्सिंग स्टाफ आदि करीब सात लोग होते हैं, यहीं पर जेके पुलिस/आर्मी/बीएसएफ/सीआरपीएफ की टुकड़ी और उनके भी डॉक्टर होते हैं, बड़ी जगहों तथा बेस अस्पतालों में एक से ज्यादा डॉक्टर रहते हैं लेकिन ज्यादातर जगह एक भी होता है, ज्यादातर मरीज हाइपोथर्मिया या सांस की दिक्कत वाले आते हैं, कुछ गिरकर चोट खाए, रेफ़र करके के लिए हेलिकोप्टर उपलब्ध है, स्टाफ भी यात्रा के दौरान बाबा के दर्शन करके आ सकता है (आना चाहिए) ड्यूटी दौरान खान पान हेतु सामग्री कश्मीर सरकार द्वारा मुहैया करवाई जाती है (चावल-दाल-राजमा-आदि) जिसे स्टाफ द्वारा ही बनाया जाता है (एक एमपीडब्लू नियुक्त), हालाँकि यह खाना राजस्थानियों को ज्यादा हजम नहीं होता है, सो वो आस पास चल रहे मुफ्त भंडारों का लाभ ले सकते हैं, कुल 28 कैम्प में से करीब 18 में ही भंडारा सुविधा है बाकी को थोड़ी दिक्कत आ सकती है, इसी तरह मोबाइल नेटवर्क भी कुछेक जगह ही है, वो भी BSNL Post-paid | मौसम और दृश्य शानदार हैं, बर्फ पिघल रही होती है, आप स्वर्ग में हैं, 12000 ft से ज्यादा ऊंचाई के कारण ओक्सिजन कम है, सो ज्यादा घूम नहीं सकते, बस टेंट में रहो, टेंट में हीटर-रजाई-गद्दे-किचन होंगें, जुगाड़ हो सके तो सप्ताह में एक बार नहा लो, एक जैकेट दो पाजामे चार टीशर्ट में महीना कट जायेगा, दाढ़ी वापस आकर बना लेवें, जै बाबा की बोलते रहो |
ड्यूटी, सेवा, घुमाई, सुकून, मेडिटेशन का बेजोड़ संगम है अमरनाथ यात्रा, जिन्दगी भर याद रहने वाला अनुभव | शादीशुदा एवं उम्रदराज (जिम्मेदार) साथीयों के बजाय कुंवारे लोग ज्यादा एन्जॉय मार सकते हैं, हालांकि गुटखा, तेलिय पदार्थ, मांस-मदिरा पूरी तरह प्रतिबंधित हैं |