क्या है मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना का अगला कदम ?

8700 ग्रेड पे की कैपिंग वाले हड़ताली समझौते का पोस्टमार्टम

EOL sanctioned for probation MO (Strike time)

Leaves taken during strike time will be counted as service.

All Rajasthan In Service Doctors Association

सरकारी चिकित्सक क्या है ?

राजस्थान प्रदेश में कार्यरत प्रत्येक वो चिकित्सक जो कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत है वो सरकारी चिकित्सक है ।

मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों का अलग कैडर है, अलग नियम हैं और अलग भर्ती होती है, दोनों विभागों में समान डिग्री और अनुभव आदि होंने पर भी मेडिकल एजुकेशन वालों के पे ग्रेड, सेलरी, प्रमोशन व अन्य सुविधाएं सरकारी चिकित्सक के बजाय काफी बढ़िया हैं, जो कि निश्चित रूप से सरकार का दोगलापन है ।

अरिसदा क्या है ?

फ्री दवा जांच योजना से पहले सरकारी डॉक्टर जीवन यापन सही से कर रहे थे और एक दूसरे की आवश्यकता नही थी, आजकल सब फ्री हो जाने के बाद डॉक्टर सैलरीड एम्प्लॉयी हो गए हैं और इसीलिए तनख्वाह, भत्ते, प्रमोशन की तरफ आस लगाए हुए हैं, इसी आस का आधार बना है “अरिसदा” । 2011 में एक इतिहास इस संघ के बैनर तले लिखा गया लेकिन आपसी खींचतान और कुछ अन्य कारणों से इसके बाद इस संघ में केवल बिखराव ही आया है ।

अरिसदा सेवारत चिकित्सकों का अलोकतांत्रिक संघ है जिसमें निर्वाचन के बजाय मनोनयन की परंपरा ज्यादा है जिसमें जिलों में अधिकारियों को मुख्य पद दिए जाते हैं और राज्य स्तर पर जयपुर वालों पर जबरदस्ती कई पद थोपे जाते हैं और यही इस संघ की कमजोरी का सबसे बड़ा कारण है ।

अरिसदा मजबूत कैसे हो ?

इसे मनोनयन की संस्था से लोकतांत्रिक संस्था बनाया जाए ताकि दूरस्थ phc पर कार्यरत चिकित्सक को भी राज्य कमेटी में अपनी भूमिका लगे ।

आज के दिन मुख्य मांगे क्या हैं?

1. चिकित्सा विभाग में सेवारत चिकित्सकों का कैडर (भारत सरकार/हरियाणा के अनुरूप) बनाया जाए ।

2. एक पारी में अस्पतालों का संचालन ।

3. केंद्र के समान वेतनमान, भत्ते और पदोन्नति मिलें, पूर्व में डीएसीपी में रही विसंगतियों को दूर किया जावे ।

प्रमोशन में वन टाइम रिलेक्सेशन मेडिकल एजुकेशन विभाग की भांति दिया जावे ।

4. पीजी प्रवेश परीक्षा हेतु पूर्व में डिफाइन (2017 में डिफाइन किये गए रिमोट/डिफिकल्ट) किये गए ग्रामीण क्षेत्र (रिमोट/डिफिकल्ट), जिसमें ग्रामीण भत्ता मिलता है को यथावत रखा जाए ।

5. ग्रामीण भत्ता मूल वेतन पर 50 प्रतिशत दिया जावे ।

6. ट्रांसफर पालिसी बनाई जावे, चिकित्सा अधिकारियों को नियम 22A के तहत प्रारम्भ में ग्रामीण क्षेत्र में लगाया जाए फिर शहरी क्षेत्र में शिफ्ट किया जावे एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत चिकित्सकों के रहने हेतु नजदीकी शहरों में क्वार्टर उपलब्ध करवाए जावें, इमेरजेंसी ड्यूटी हेतु ट्रांसपोर्ट की सुविधा अन्य राजपत्रित अधिकारियों की भांति उपलब्ध करवाई जावे ।

7. चिकित्सकों की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन (ACR) के रिव्यू अधिकार पंचायती राज के अधिकारियों से हटाकर पूर्व की भांति CMHO/JD/DMHS को दिए जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

8. कई जगह सीएमएचओ जिला परिषद कार्यालयों आदि अन्य जगहों पर बैठते हैं, इनके लिए अलग से ऑफिस बनाये जावें । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

9. चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में नई पॉलिसी/योजना/बजट घोषणा करने से पहले इसकी विस्तृत चर्चा सेवारत चिकित्सक संघ से की जाए ताकि इनकी प्रभावी क्रियान्विति हो ।

10. चिकित्सालयों में बनी सोसायटी RMRS के अध्यक्ष चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को बनाया जावे । (कैडर बनते ही यह मांग खत्म)

11. सभी चिकित्सालयों में IPHS norms के अनुसार जनता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जावे ।

12. सभी चिकित्सकों को समय समय पर ट्रेनिंग/कॉन्फ्रेंस, प्रत्येक वर्ष में कम से कम 3 बार राज्य सरकार के व्यय पर करवाई जावे ।

13. नए जोइनिंग करने वाले चिकित्सा अधिकारियों के लिए जोइनिंग के एक माह में ही रिफ्रेशर कोर्स/इंडक्शन ट्रेनिंग करवाई जाए, उसी के बाद इनको पदस्थापित किया जावे ।

14. दंत चिकित्सकों का प्रोबेशन पीरियड एमबीबीएस चिकित्सकों की तरह एक वर्ष का किया जावे ।

15. चूंकि दंत चिकित्सकों की नियुक्ति शहरी क्षेत्र में ही होती है अतः उनके शहरी क्षेत्र में की गई सेवा अवधि के आधार पर ही उन्हें पीजी परीक्षा में 10-20-30 प्रतिशत बोनस दें ।

एक चिकित्सक से क्या अपेक्षा है ?
जिला स्तर पर प्रति दो माह में एक चिकित्सक मीटिंग हो जिसमें हर चिकित्सक उपस्थित होकर यूनियन की मजबूती में हिस्सेदारी प्रदान करे ।

जरूरत पड़ने पर जिला स्तर और राज्य स्तर पर होने वाले धरने प्रदर्शन मीटिंग आदि में पहुंचे ।

*चिकित्सकों का काफी नकारात्मक माहौल जनता में चल रहा है, ऐसे में सभी चिकित्सक पॉजिटिव माहौल बनावें और एक दूसरे पर कटाक्ष के बजाय एकजुटता वाली मिशाल कायम करें 🙂