Booster campaign 'sluggish' in Rajasthan, five crore target, 50,000 did not even get booster dose

Booster campaign ‘sluggish’ in Rajasthan, five crore target, 50,000 did not even get booster dose

12.07.2022
राज्य में कोरोना के नए मरीजों का आंकड़ा लगातार 100 से अधिक बना हुआ है। इसके बावजूद 18 से 60 वर्ष आयु वर्ग के लिए बूस्टर डोज अभियान सुस्त पड़ा है। केन्द्र ने 10 अप्रेल से इस वर्ग के लिए निजी अस्पतालों में ही सशुल्क बूस्टर डोज अभियान की शुरुआत की थी।तीन माह बाद भी राज्य में कुल लक्ष्य पांच करोड़ का 0.1 प्रतिशत ही हासिल कर 50 हजार से भी कम लोगों को यह डोज लग पाई है। गौरतलब है कि 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 99 प्रतिशत को पहली और 89.7 प्रतिशत को दूसरी डोज लगी है। दूसरी-तीसरी लहर में वैक्सीनेशन को गति देने के लिए राज्य स्तर पर हुए प्रयास अब नजर नहीं आ रहे।
तब मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री सहित आला अधिकारियों ने केन्द्र को टीकाकरण के संबंध में कई पत्र लिखे थे। अब मुख्यमंत्री बार-बार बूस्टर की डोज की अपील तो कर रहे हैं, लेकिन चिकित्सा विभाग इसे सुगम नहीं बना पा रहा।

नुकसान कौन भुगते?

वैक्सीन की एक वॉयल में करीब 10—11 डोज होती है। कोई व्यक्ति निजी अस्पताल में जाता है और उस समय वहां दूसरा कोई व्यक्ति टीकाकरण के लिए नहीं है तो उसे डोज नहीं लगाई जाती। उसे 10 लोगों के आने, इंतजार करने या 10 लोगों का पैसा जमाकर यह डोज लगवाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, वॉयल खुलने के बाद 4 घंटे तक ही सुरक्षित रहती है। इस अवधि में इस्तेमाल नहीं करने पर वह वेस्ट हो जाती है। निजी अस्पताल इस आर्थिक नुकसान से बचने और राज्य सरकार वेस्टेज कम दिखाने के लिए लोगों को इंतजार की सलाह दे रहे हैं।केन्द्र ने जहां इस वर्ग का वैक्सीनेशन निजी केन्द्रों के भरोसे छोड़ दिया है, वहीं राज्य कम सफलता के लिए केन्द्र की इसी नीति को जिम्मेदार ठहरा रहा है। राज्य के चिकित्सा विभाग का कहना है कि बूस्टर डोज सशुल्क होने के कारण अधिकांश लोग निजी अस्पतालों में नहीं जा रहे।

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