सीनियर रेजीडेंसी की बढ़ी चाहत तो मामला गरमाया

एमसीआई द्वारा मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर की नियुक्ति में एक साल की सीनियर रेजीडेंसी की अनिवार्यता किये जाने के बाद से विशेषज्ञों में सीनियर रेजीडेंसी करने की ललक बढ़ी है, जबकि पहले लोग मेडिकल कॉलेज में पड़े रहने या रोजगार अथवा थोड़ा और सीख लेने मात्र के लिए बरसों तक एसआरशिप करते रहते थे । अब बड़ी मांग उठी की एसआरशिप का मौका सभी को मिलना चाहिए, जिस पर शासन उप सचिव, चिकित्सा शिक्षा (ग्रुप 1) से आदेश जारी हुआ और निम्न निर्देश दिए गए –

  1. स्नातकोतर सीटों में वृद्धि एवं सहायक आचार्य हेतु अधिकाधिक योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीनियर रेजीडेंसी की अवधि एक वर्ष की जाती है ।
  2. जिन सीनियर रेजिडेंट्स द्वारा एक वर्ष की सीनियर रेजीडेंसी पूर्ण कर ली गयी है उन्हें चयन प्रक्रिया में नए सिरे से सम्मिलित होने पर अधिकतम तीन वर्ष की अवधि हेतु पुनर्नियुक्त किया जा सकेगा ।
  3. परिपत्र जारी होने की दिनांक से पूर्व से कार्यरत सीनियर रेसिडेंट्स की आगे की समयावधिमें वृद्धि नहीं की जायेगी ।
  4. सीनियर रेजिडेंट्स के समस्त पदों पर चयन हेतु मेडिकल कॉलेज स्तर पर विधिवत विज्ञप्ति जारी कर चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगें ।

इस फैसले पर जार्ड के डॉ. रवि जाखड़ ने ख़ुशी जताई तथा एसआरशिप के इंतजार में बैठे चिकित्सकों को भी आस नजर आने लगी है, हालाँकि एसआरशिप में जमे बैठे कई चिकित्सक हलके से मायूस हैं, उन्हें अब मेडिकल कॉलेज छोड़, मैदान में उतरना पड़ेगा ।

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