Researchers from Indian Institute of Technology (IIT) Guwahati have prepared prosthetic legs which will enable Divyang to do workouts and yoga.

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रोस्थेटिक लेग को इस तरह से तैयार किया गया है, ताकि दिव्यांग इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल भी आराम से कर सकें। इस प्रोस्थेटिक लेग को लगाने के बाद दिव्यांग को टॉयलेट पर बैठते समय लेग को हटाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।शोधकर्ताओं का कहना है, ऐसे प्रोस्थेटिक लेग का इस्तेमाल करते समय यह देखना जरूरी होता है कि इससे मरीज को कितना सपोर्ट मिल पा रहा है। हमने जो प्रोस्थेटिक लेग तैयार किया है वो 100 किलो तक के मरीज का भार उठाने में सक्षम है। फिजिकल एक्टिविटी के दौरान सबसे जरूरी बात होती है मरीज के बैलेंस को बनाए रखना और उसे गिरने से रोकना। इस नए प्रोस्थेटिक लगे में इस बात का ध्यान रखा गया है। यह हार्ड जगह पर भी दौड़ते या चलने समय बॉडी को बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है। इसका ट्रायल भी हो चुका है।इंडियन इंस्टीटॺूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा प्रोस्थेटिक पैर तैयार किया है, जिसकी मदद से दिव्यांग अपनी सुविधा के मुताबिक बैठ सकेंगे। शोधकर्ताओं का कहना है, यह ऐसा प्रोस्थेटिक लेग है, जिसकी मदद से दिव्यांग पैरों से जुड़े वर्कआउट जैसे स्क्वाट्स, क्रॉस लेग और बैठकर किए जाने वाले योगासन भी कर सकेंगे। इससे चलने-फिरना आसान हो

कंफर्टेबल प्रोस्थेटिक
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रोस्थेटिक लेग को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दिव्यांग बिना किसी परेशानी से इसे यूज कर सकें। आमतौर पर प्रोस्थेटिक लेग के जरिए पैरों में चलने के अलावा दूसरी तरह के मूवमेंट में दिक्कत होती है।

दिव्यांग को बैठते समय इस प्रोस्थेटिक को हटाना नहीं पड़ेगा।
इसे ऐसे एडजस्ट किया जाता है

शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रोस्थेटिक जरूरतमंद की स्थिति के मुताबिक बदलता है। यह निर्भर करता है कि मरीज के पैर की लम्बाई कितनी है। उसकी उम्र कितनी है और स्थिति के मुताबिक कितनी स्टेबिलिटी चाहिए। जैसे- उम्रदराज बुजुर्गों के गिरने का खतरा रहता है, इसलिए उन्हें इसकी कितनी जरूरत है, इसकी बनावट उसके मुताबिक कितनी बदलेगी, इसे तैयार करते समय इन सभी बातों का खयाल रखा जाता है। इस तरह मरीज की जरूरत के हिसाब से इस लेग को तैयार किया जाता है।

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