Justice got justice after 9 years in Gwalior treatment negligence case

10.08.2022
ग्वालियर की 3 साल की मासूम बच्ची गार्गी की मौत के 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें उपभोक्ता फोरम इंदौर ने ग्वालियर के मेहरा अस्पताल और मैस्कॉट अस्पताल पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। हालांकि इसके लिए मासूम के पिता ने थाने से लेकर उपभोक्ता फोरम कोर्ट तक लंबी लड़ाई लड़ी। अस्पताल में निमोनिया से पीड़ित बच्ची को आईवी फ्लूड दिया जाता रहा। साथ ही ट्रीटमेंट शीट से भी छेड़छाड़ की गई थी।
मासूम को निमोनिया होने पर उसके पिता ने इलाज के लिए उसे ग्वालियर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि बच्ची को बचाने के लिए वे उसे जिस अस्पताल में लेकर जा रहे हैं, वहां से वह लौटकर नहीं आएगी। दो प्राइवेट अस्पतालों के बिना डिग्री वाले डॉक्टर, ICU के अनट्रेंड स्टॉफ की लापरवाही से माता-पिता ने अपनी मासूम बच्ची को हमेशा के लिए खो दिया।

1 घंटे के भीतर 500ml नॉर्मल सलाइन की बोतल चढ़ाई

घटना 25 जनवरी 2013 की है। तीन साल की बेटी के पिता मनोज उपाध्याय ग्वालियर में एडवोकेट हैं। शहर के थाटीपुर चौहान प्याऊ में उनका निवास है। उन्होंने अपनी बेटी गार्गी को मेहरा बाल चिकित्सालय अनुपम नगर में भर्ती कराया। यहां के डॉक्टर डीडी शर्मा ने यहां से रेफर कर दिया। गार्गी को निमोनिया की शिकायत थी। मेहरा बाल चिकित्सालय में डॉक्टर आरके मेहरा अस्पताल के संचालक थे। डॉ. अंशुल मेहरा बच्चों के डॉक्टर थे। डॉ. अंशुल मेहरा खुद को एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए की एमडी डिग्री होना बताते हुए ग्वालियर में मरीजों के साथ धोखाधड़ी करते थे। बेबी गार्गी का इलाज भी एमडी पीडियाट्रिशियन यूएसए बताते हुए किया। गार्गी को निमोनिया होते हुए भी मेहरा हॉस्पिटल में 1 घंटे के भीतर 500ml नॉर्मल सलाइन की बोतल चढ़ा दी गई और तबीयत बिगड़ने पर भी आईवी फ्लूड दिया जाता रहा। इससे बेबी गार्गी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा। डॉ. अंशुल मेहरा ने बच्ची को भर्ती कराने के 3 घंटे बाद वेंटिलेटर की आवश्यकता बताते हुए मैस्कॉट हॉस्पिटल रेफर कर दिया था।

बिना डिग्री के एमडी पीडियाट्रिशियन कर रहे थे इलाज
गार्गी के पिता एडवोकेट मनोज उपाध्याय ने मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में मैस्कॉट के डॉ. अंशुल मेहरा की एमडी पीडियाट्रिशियन की डिग्री पर सवाल करते हुए शिकायत की थी। इस पर डॉ. अंशुल मेहरा ने मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल भोपाल के समक्ष माफी मांगी थी। साथ ही कहा था कि वह एमडी पीडियाट्रिशियन नहीं है और भविष्य में उक्त डिग्री का उल्लेख अपने नाम के आगे नहीं करेंगे।

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