Beware of taking drops for DRY EYES

23.07.2022
28 साल के ऋषिकेश गुरुग्राम में एक मल्टीनेशनल BPO में काम करते हैं। 6 वर्षों के उनके करियर की शुरुआत में ही लगातार लैपटॉप स्क्रीन पर समय बिताने की वजह से आंखों में जलन, खुजली जैसी समस्याएं आने लगीं। डॉक्टर ने उन्हें ड्राई आई डिजीज यानी DID का शिकार बताया और आई ड्रॉप प्रिस्क्राइब कर दी। मगर 6 वर्षों तक आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने के बाद भी उनकी समस्या खत्म होने के बजाय बढ़ती ही गई। आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल दिन में 4 बार से बढ़कर 8 बार तक पहुंच गया। यह कहानी सिर्फ ऋषिकेश की नहीं, कंप्यूटर या मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने वाले हर चौथे शख्स की है।ऋषिकेश और उनके जैसे लाखों लोगों को यह नहीं पता कि ड्राई आईज से राहत के लिए वे जिस आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स ही इस बीमारी को और बढ़ा रहे हैं। कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध में इन आई ड्रॉप्स के लंबे समय तक इस्तेमाल के दुष्परिणाम और उसके कारण सामने आए हैं। यही नहीं, लगातार लंबे समय तक इन ड्रॉप्स का इस्तेमाल बीमारी को इतना गंभीर बना सकता है कि आपको सर्जरी की जरूरत पड़ जाए।जिस तेजी से कंप्यूटर या लैपटॉप हर नौकरी का हिस्सा बनते जा रहे हैं और जिस गति से मोबाइल स्क्रीन पर समय बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से भारत में ड्राई आई डिजीज के मामले भी बढ़ रहे हैं। इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत के 32% लोग ड्राई आईज से पीड़ित थे। अब यह आंकड़ा और भी बढ़ गया है। मगर इस बीमारी की पहचान और इसके इलाज में लापरवाही घातक हो सकती है। जानिए, ड्राई आईज क्या हैं और क्यों इनके लिए आई ड्रॉप्स चुनने में सावधानी जरूरी है।

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