करोड़ो की नशीली दवा प्रकरण में हाईकोर्ट ने जांच अधिकारीयों की भूमिका को माना संदिग्ध

पिछले साल अजमेर में पकड़ी गई करोड़ो की नशीली दवाओं के मामलों में जांच अधिकारीयों की भूमिका पर सवाल उठ रहें हैं I इस मामले में एक अभियुक्त की ओर से पेश जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारीयों के कार्यवाही सख्त टिपण्णी करते हुए डीजीपी से कहाँ हैं कि पुरे प्रकरण में अजमेर रेंज से बाहर के किसी एडिशनल एसपी स्तर के अधिकारी से जांच करवाकर 14 फरवरी तक रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए I

अदालत ने कुछ दिन पूर्व अभियुक्त कालूराम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए पारित आदेश में कहाँ कि मुख्या आरोपी श्याम सुंदर मूंदड़ा को बचाने के लिए जांच अधिकारीयों की भूमिका संदिग्ध रहीं हैं I इसकी जांच की जनि चाहिए कि किस तरह इतने गंभीर प्रकरण में गरीब मजदुर, चौकीदार और रिक्शाचालक के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/22 के तहत चार्जशीट पेश की गई वहीं मुख्य आरोपी मूंदड़ा को धारा 8/29 का ही आरोपी माना व उसकी जमानत भी मंजूर हो गई I

अदालत ने इस पुरे घटनाक्रम को संदिग्ध मानते हुए डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि प्रकरण में अजमेर रेंज से बाहर के पुलिस अधिकारी से जांच करवाई जाए और किसी भी जांच अधिकारी की भूमिका संदिग्ध व गलत मिलती हैं तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए तथा इसकी 14 फरवरी तक रिपोर्ट मांगी गई हैं I

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