प्रमोशन की आस में बिलखता सरकारी डॉक्टर

एक तरफ सरकार कम चिकित्सकों का रोना रोती है और दूसरी तरफ जो चिकित्सक सेवा में हैं उन्हें दर्द देने में कोई कसर नहीं छोड़ती है, चाहे वो मूलभूत संसाधनों की बात हो या चिकित्सा के अलावा अन्य कामों में उलझाए जाने या फिर विभागीय लफड़ों में अटका देने जैसे बहुत से फसाद ।
लेकिन अगर एक आज के मोटे दर्द की बात कि जाए तो वह है समयबद्ध पदोन्नति ।
पूर्व में चिकित्सक अपनी सेवा के शुरूआती पदों जैसे कि चिकित्सा अधिकारी या वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी या कनिष्ठ विशेषज्ञ के पदों पर ही पूरी जिन्दगी सेवा करते हुए सेवानिवृत हो जाते थे, वक़्त के साथ जागरूकता एवं मांग हुई कि चिकित्सकों को समयबद्ध पदोन्नति दी जाए, लेकिन ऊपर के पद कम थे इसलिए डीपीसी (The Departmental Promotion Committee) में कुछेक के प्रमोशन होते थे, हालात वही रहे तो मांग फिर तेज हुई और मिला केन्द्र की तर्ज पर डीएसीपी (Central Health Service (CHS) Officers in Central Government are governed by the Dynamic Assured Career Progression (DACP) Scheme), यानि समयबद्ध पदोन्नति, जैसे कि एक चिकित्सक को सेवा में आने के बाद प्रमोशन मिलेंगे 6-6 साल बाद, इसमें भी आगे कई विसंगतियां हैं लेकिन उनके लिए मांग जारी है ।
प्रमोशन को लेकर राजस्थान में बड़ी बड़ी हड़तालें और समझौते तक हो चुके हैं, बड़ा समझौता हुआ था कि हर साल को एक अप्रेल तक के जितने प्रमोशन बकाया होंगें वे एक अप्रेल को आगे की पे ग्रेड में प्रमोट कर दिए जायेंगे, लेकिन वही ढाक के तीन पात । आगे के प्रमोशन को तो छोड़ो, पहले प्रमोशन के ही लाले पड़ रहे हैं ।

2017 में सरकारी वादा हुआ कि आगे से हर साल कि एक अप्रेल को विगत साल के समस्त बकाया प्रमोशनों की लिस्ट जारी कर दी जायेगी, अच्छा लगा, जय जयकार हुई, मजा आया, लेकिन दुःख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि यह मजा आभासी निकला, करीब 1500 डॉक्टरों के प्रमोशन 1 April 2018 को होने थे, एक अप्रेल को वो सुबह से नहा धोकर पूजा की थाली ले, पूरे दिन विभाग और अरिसदा की जय जयकार करते हुए इन्तजार करते रहे कि कब वो समझौते कि मोहर लगी प्रमोशन लिस्ट जारी हों और चिकित्सा अधिकारी हो जाएँ वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी, दिन ढल गया रात हो गयी, अगला दिन चला गया, अगला महीना चला गया अप्रेल 2018 से अप्रेल 2019 आ गयी, वरिष्ठ बनने कि लालसा पाले वो बेचारा आम एमओ, त्रिविम में झाँक रहा है, मई 2019 आ गया है ।

एक साल एक्स्ट्रा गुजर गया, लेकिन कुछ नहीं, हालाँकि बीच में एक बार सीनियरटी लिस्ट जरूर डाली गयी थी जिसमें 2011 वाले को 2007 वाले सीनियर बता रखा था, आवेदन मांगे गए कि कोई कमी लगे तो बताओ, लोगों ने कमियां बताई, फिर लिस्ट जारी हुई, लगभग सभी कमियां वैसी कि वैसी थी, फिर से लिस्ट जारी हुई, ज्यादातर कमियां सेम कि सेम, लोगों ने दो बार अप्लिकेशन देदी कि मेरी गलती सुधार दो लेकिन कोई धणी-धोरी नहीं ।

1 अप्रेल 2018 तक करीब 1500 चिकित्सकों का प्रमोशन बकाया था, अप्रेल 2019 में फिर बहुत से बढ़ गए ।

सुना है कि अभी इन 1500 चिकित्सकों का डेटा कार्मिक विभाग भेजा गया है ताकि DACP कि कारवाई हो, वो डेटा ? हाँ वही जो एकदम फर्जी था । लोगों ने दो दो बार अपनी ACR जमा करवा दी लेकिन जवाब मिलता है कि आपकी ACR/APR (Annual Progress Report) नहीं आई । किसी कि कहते हैं IPR (Immovable Property Return – Yearly) नहीं आई, जबकि वो जमा करवा चुका, कार्मिक विभाग को डेटा भेजने से पहले एक बार संशोधन का मौका तो दिया जाता ना कि किसका क्या आधा अधुरा है । निदेशालय में कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ से यह पता किया जा सके कि किस कर्मचारी का किस वर्ष का ACR & IPR जमा है और किस वर्ष का नहीं, जिलों से ACR भेजे जाते रहे हैं लेकिन यहाँ नहीं पहुँचते, ना ही कोई पावती दी जाती है, ना ही डेटा ऑनलाइन किया गया, किसी को कोई लेना देना नहीं है, सरकारी डॉक्टर बस बिलखता रहे, ना विभाग, ना विभाग के आला अधिकारी । विभागीय लक्ष्यों और कार्यक्रमों के आंकड़े इन्हें फटाफट और सही चाहिए, सब उपस्थित, युनिफोर्म और सफाई जोरदार चाहिए, कहते हैं नाकारा सामान हटाओ, अजी असली नाकारा सामान तो स्वास्थ्य भवन का बाबूराज है, जिनके कारण से एक अप्रेल को होने वाला प्रमोशन अगली एक अप्रेल को पार कर गया है, जिन 1500 चिकित्सकों का डेटा कार्मिक विभाग भेजा गया है उनमें से करीब एक हजार के कागजों में कुछ ना कुछ दिक्कत है और उनके प्रमोशन “डेफर” किये जा रहे हैं, यानी ठन्डे बस्ते में, और यह बस्ता इतना ठंडा है कि काफी गरम करने के बाद ही फ़ाइल यहाँ से खिसकती है, और बड़ी बात यह कि असल में ACR कि जरुरत ही DPC के लिए होती है, DACP तो बिना किसी कागज़ के नियत समय पर कर दी जाती है ।

लेकिन सुने कौन ???
किसे सामने गिडगिडायें ?
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों के सामने ? मीडिया के सामने ? कोर्ट के सामने ? संघ के सामने ? या फिर स्वास्थ्य विभाग के बाबूराज के आगे दण्डवत हो जावें, यह मान लें कि चिकित्सा विभाग का बाबु ही भगवान है और वो जितनी खैरात विभाग के अपने जैसे तथाकथित अधिकारीयों को बाँट दे उसे लेकर जय जयकार करते रहें ? क्या करें ?

आप ही बतावें ।

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