Work-disruption system in SMS Hospital, check stopped due to bad machines

08.08.2022
एसएमएस अस्पताल डेढ़ साल से कार्यवाहक अधीक्षक के भरोसे है। अस्थाई अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा के पास एसएमएस के साथ-साथ सुपर स्पेशलिटी का भी जिम्मा है। कर्मचारियों की लापरवाही और घोटालों से नाराज डॉ. मल्होत्रा का दर्द छलक उठा। उनका कहना है अधीक्षक पद पर स्थाई नियुक्ति हो तभी बेहतर होगा। लापरवाही और घोटाले स्थाई हैं और मैं अस्थाई। कार्यवाहक सिर्फ, कार्यवाहक ही होता है। सिस्टम स्थाई अधीक्षक ही सुधार सकता है।

2000 तक के एलर्जी टेस्ट और 900 की एनटीसीसीपी समेत 7 जांचें नहीं
अफसर और बाबुओं की मनमानी से 2 महीने पहले आईं 2 जांच मशीनें शुरू नहीं हो सकी हैं। अस्पताल अधीक्षक मशीनों को शुरू करने के लिए 3 बार बोल चुके हैं, लेकिन हालात नहीं सुधरे। मशीनें शुरू नहीं होने के कारण करीब 2000 रुपए तक वाली एलर्जी, 900 रुपए की एनटीसीसीपी समेत 7 तरह की महंगी जांचें बंद हैं। ओपीडी में हर दिन एलर्जी के 100 से अधिक केस आते हैं। इनमें से 40 फीसदी मरीजों की जांचें होती हैं। इन सभी मामलों में उनका कहना है कि मैं कई बार इनसे कह चुका हूं लेकिन सुविधाएं शुरू नहीं हुईं। इस पर सख्ती की जाएगी।

सैटेलाइट-कांवटिया भी कार्यवाहक के भरोसे हैं
एसएमएस अस्पताल के अलावा कांवटिया और सैटेलाइट अस्पताल शास्त्रीनगर भी कई सालों से कार्यवाहक अधीक्षक के भरोसे ही हैं। यही कारण है कि इन अस्पतालों में भी व्यस्थाएं नहीं सुधर पा रही हैं। चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी लगातार इन अस्पतालों की अनदेखी कर रहे हैं। इन अस्पतालों में भी मरीजों से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है।

डॉक्टरों के ट्रांसफर में बिजी अफसर
एसएमएस अस्पताल के प्रमुख पद ही कार्यवाहक के जिम्मे हैं और चिकित्सा विभाग सिर्फ डॉक्टरों के ट्रांसफर में व्यस्त है। इन ट्रांसफर में भी अफसरों ने जमकर गलतियां कीं और सरकार की किरकिरी कराई। मेडिकल कॉलेज में एडिशनल प्रिंसिपल के रिक्त पद को भरने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।

स्थाई अधीक्षक से ही बेहतर काम
स्थाई पद हो तो काम आसान होता है। आमजन को बेहतर इलाज मिले इसके लिए कोशिशें की जा रही हैं। सुपर स्पेशलिटी सेंटर को भी बेहतर चलाया जाना है और उसकी भी जिम्मेदारी है। – डॉ. विनय मल्होत्रा, कार्यवाहक अधीक्षक, एसएमएस

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