MBBS Will Now Be Taught In Hindi Medium Too In Madhya Pradesh

अब हिंदी में कर सकेंगे MBBS की पढ़ाई, मध्य प्रदेश होगा ऐसा करने वाला पहला राज्य

मध्य प्रदेश में MBBS पाठ्यक्रम को हिंदी मीडियम में पढ़ाने की तैयारी चल रही हैI  राज्य में इसकी शुरूआत शासकीय गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल से की जाएगी I

मध्य प्रदेश में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने और हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स की आसानी के लिए अब MBBS की पढ़ाई हिंदी माध्यम में भी हो सकेगीI

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मंगलवार को बताया कि प्रदेश में MBBS पाठ्यक्रम को हिंदी मीडियम में पढ़ाने की तैयारी चल रही हैI राज्य में इसकी शुरूआत शासकीय गांधी चिकित्सा महाविद्यालय (Gandhi Medical College), भोपाल से की जाएगीI MBBS कोर्स हिंदी मीडियम में कराने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य होगाI हिंदी में MBBS पाठ्यक्रम निर्धारित करने की कार्ययोजना तैयार करने और इस पर रिपोर्ट देने के लिए मध्य प्रदेश चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. जितेन शुक्ला की अध्यक्षता में 14 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया हैI

विषय-विशेषज्ञों से की गई चर्चा 

मध्यप्रदेश जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने और MBBS के फर्स्ट ईयर के सब्जेक्ट्स के लिए हिंदी में सप्लीमेंट्री पुस्तकें तैयार करने के लिये विषय-विशेषज्ञों से कुछ दिन पहले चर्चा भी की गईI उन्होंने कहा कि अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और एम्स भोपाल और गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों के साथ आयुक्त चिकित्सा शिक्षा की उपस्थिति में विचार-विमर्श कियाI

NMC Issues Notice For MBBS Admission In China; “Online Courses Not To Be Recognised”

NMC ने चीन में MBBS प्रवेश के लिए नोटिस जारी किया; ऑनलाइन पाठ्यक्रम को मान्यता नहीं





राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (National Medical Commission) ने चीन के मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे स्टूडेंट्स के लिए अलर्ट जारी किया हैI NMC ने जारी निर्देश में कहा कि, ‘चीन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हजारों छात्र पहले ही फंसे हुए हैं, जबकि कुछ चीनी यूनिवर्सिटीज की तरफ से इस साल और अगले साल के लिए एडमिशन प्रोसेस शुरू किया जा रहा हैI आयोग ने भारतीय छात्रों को मेडिकल यूनिवर्सिटीज में एडमिशन को लेकर सावधान किया हैI साथ ही बताया गया कि जो स्टूडेंट्स वहां के मेडिकल कॉलेज से ऑनलाइन पढ़ रहे हैं, मेडिकल कमिशन अब से ऑनलाइन मेडिकल पढ़ाई को मान्यता नहीं देगाI

इस बात की जानकारी आयोग के अनुसार विदेश मंत्रालय के जरिए मिली हैI दरअसल चीनी यूनिवर्सिटीज मेडिकल में एडमिशन की प्रक्रिया को शुरू कर रहे हैंI ऐसे में भारतीय स्टूडेंट भी वहां एडमिशन लेने के लिए आवेदन की संभावनाएं ढूंढ रहे हैंI

भारत के संदर्भ में कोई चर्चा नहीं

NMC का कहना है कि भारतीय छात्रों को आवेदन करने से पहले इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि चीन ने नवंबर, 2020 से सख्त यात्रा प्रतिबंध और नए वीजा बंद कर रखे हैं, जिसकी वजह से चीन में पहले से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र वापस चीन नहीं लौट पा रहे हैंI लेकिन अब चीन बाकी देशों के लिए यात्रा प्रतिबंध आसान करने की सोच रहा है, जिसमें भारत के संदर्भ में फिलहाल उसने कोई चर्चा नहीं की हैI

ऑनलाइन मेडिकल पढ़ाई को मान्यता नहीं

भारत सरकार की तरफ से कई बार भारतीय स्टूडेंट्स को वापस भेजने के बारे में चीन से निवेदन किया गया था, लेकिन अब तक उसने इसपर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दीI बता दें जो स्टूडेंट्स वहां के मेडिकल कॉलेज में कई सालों से पढ़ाई कर रहे थे, वो स्टूडेंट ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं, लेकिन अब NMC ऑनलाइन मेडिकल की पढ़ाई को मान्यता नहीं देगाI ऐसे में भविष्य में इन छात्रों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

Charak Shapath. Now instead of ‘Hippocrates’, doctors will take oath of ‘Charak’!

Charak Shapath अब ‘हिप्पोक्रेटीज’ की जगह डॉक्टर लेंगे ‘चरक’ की शपथ !





बेंगलुरु/अहमदाबाद. मेडिकल छात्रों को सदियों पुरानी हिप्पोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath) दिलाने की परंपरा धीरे-धीरे अब समाप्ति की ओर है। क्योंकि, अब इसकी जगह स्टूडेंट्स को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए चरक शपथ दिलाई जा रही है। अब आगामी 14 फरवरी से देश के मेडिकल कॉलेजों  में शुरू हो रहे अकादमी सत्र में अब देशी शपथ ही इसके लिए दिलाई जाएगी।

मेडिकल स्टूडेंट्स को दिलाई गई चरक शपथ का नाम आयुर्वेद के जनक माने जाने वाले महर्षि चरक के नाम पर भी रखा गया है। वहीं, नैशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के अंडरग्रैजुएट बोर्ड ने बीते हफ्ते कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की है। सूत्रों की मानें तो, इस मीटिंग में तय हुआ कि शपथ क्षेत्रीय भाषा में भी आगे से ली जा सकती है।

होगी 10 दिन की योगा ट्रेनिंग भी

महर्षि चरक आयुर्वेद विज्ञान में योगदान करने वालों में प्रमुख हैं। साथ ही वह चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता के लेखक भी है। इसी क्रम में अब चरक शपथ लेने के अलावा सभी MBBS फ्रेशर्स को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग भी अब अनिवार्य होगी। इस बात सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉ. जॉर्ज डिसूजा ने कहा कि NMC ने कॉलेजों को चरक शपथ को लेकर जरुरी जानकारी दे दी है।

More than 125 laborers were taken hostage for the recognition of the Hospital

हॉस्पिटल की मान्यता के लिए 125 से ज्यादा मजूदरों को बनाया बंधक



लखनऊ में मान्यता प्राप्त करने के लिए एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल ने 125 से ज्यादा मजदूरों को बंधक बना लिया गयाI




लखनऊ. राजधानी लखनऊ के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में अस्पताल की मान्यता के लिए मजदूरों को जबरिया मरीज बनाया गया I एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल ने 125 से ज्यादा मजदूरों को बंधक बना लिया गयाI खुलासा होने के बाद अस्पताल के ज्वाइंट डॉयरेक्टर व अन्य कर्मचारियों पर ठाकुरगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई है I पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से अस्पताल को सील करने की संस्तुति की है I

ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में एमसी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज हैं I दुबग्गा में इससे संबद्ध डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल कॉलेज की गाड़ी सुबह आठ बजे डाला इंजीनियरिंग कॉलेज के निकट स्थित मजदूरों की मंड़ी पहुंची I यहां मजदूरों को काम दिलाने की बात कही गईI मजदूरों ने काम के बारे में पूछा तो कर्मचारियों ने कहा कि कोई काम नहीं हैI तीन वक्त का खाना मिलेगा, सिर्फ बेड पर लेटना है और शाम को 500 रुपये मजदूरी मिलेगीI यह सुनकर 250 मजदूर तैयार हो गए I काम की तलाश में आए मजदूर पैसों की लालच में आ गए I जिसके बाद मजदूरों को बंधक बना लिया गया और ईलाज शुरू कर दिया गया I इनके चंगुल से भागकर एक पीड़ित थाने पहुंचा I

पीड़ित से पूरा घटनाक्रम सुनकर पुलिस मौके पर पहुंची डीसीपी सोमेन वर्मा, एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा, एसीपी आईपी सिंह फोर्स के साथ वहां पहुंच गये और डरे सहमे लेटे मजदूरों को मुक्त कराया I

सील होगा अस्पताल

पुलिस ने अस्पताल के ज्वाइन्ट डायरेक्टर डॉ.शेखर सक्सेना को गिरफ्तार कर लिया है I इस मामले में अस्पताल के ज्वाइन्ट डायरेक्टर व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ ठाकुरगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई है I पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग से अस्पताल को सील करने की संस्तुति की हैI

मान्यता पाने के लिए किया गया नाटक

अधिकारियों का कहना है कि मान्यता के लिए मरीजों की आवश्यकता होती हैI  इस मानक को पूरा करने के लिए ठेके पर अलग-अलग इलाकों के मजदूरों को लाया गया, ताकि निरीक्षण पर आने वाली टीमों को भर्ती मरीज दिखाए जा सके I

Prices of prostheses and accessories increased in KGMU

KGMU में कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण की कीमतें बढ़ीं


केजीएमयू में दिव्यांगों का दर्द बढ़ गया है। यहां कृत्रिम अंग व सहायक उपकरणों की कीमतों में पांच से 10 फीसदी का इजाफा हो गया है। नतीजतन अब दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंगों के एवज में अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। अधिकारियों का कहना है कि उपकरणों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं के बाजार मूल्य में वृद्धि हुई है। इसलिए कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ी।

केजीएमयू के पीएमआर विभाग में कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण बनाए जाते हैं। प्रदेश भर से मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। डॉक्टरों की सलाह पर दिव्यांगों को कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण बनाए जाते हैं जो कि बाजार व निजी संस्थानों से काफी सस्ते हैं। उपकरणों को तैयार करने में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ। इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने वर्ष 2013 के बाद कृत्रिम अंग व सहायक उपकरणों की कीमतों में इजाफा का फैसला किया है। इससे गरीब मरीजों को अधिक पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। कुछ उपकरणों में 100 से लेकर चार हजार रुपये तक का इजाफा किया गया है। घुटना, खास तरह के जूते, कृत्रिम हाथ आदि शामिल हैं।

Mural crafted in memory of Covid warriors unveiled at Rabindra Sarobar

रवींद्र सरोबार में कोविड योद्धाओं की याद में तैयार किए गए भित्ति चित्र का अनावरण किया गया





कोलकाता: रविवार को दक्षिण कोलकाता में रवींद्र सरोबर में कलाकार शुवाप्रसन्ना द्वारा बनाए गए एक भित्ति चित्र – डॉक्टरों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और उन सभी लोगों के सम्मान के रूप में, जिन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान राज्य के लोगों की सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी – का अनावरण मेयर फिरहाद हकीम द्वारा किया गया था। हकीम ने बिरला एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड कल्चर द्वारा आयोजित उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि अब से 100 साल बाद, नई पीढ़ी भूल जाएगी कि COVID-19 जैसी महामारी ने दुनिया भर में लाखों और लाखों लोगों के साथ अपना बदसूरत सिर उठाया था। हालांकि, यह स्मारक उन्हें महामारी के बारे में याद दिलाएगा I

“There Is A Right To Terminate Pregnancy On Ground Of Rape” Uttarakhand High Court Allows Termination Of 28 Weeks Foetus

बलात्कार के आधार पर गर्भावस्था को समाप्त करने का अधिकार है उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 28 सप्ताह के भ्रूण की समाप्ति की अनुमति दी





उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 16 साल की रेप पीड़िता को 28 सप्ताह 5 दिन के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दुष्कर्म के आधार पर पीड़िता को गर्भपात का अधिकार है। गर्भ में पल रहे भ्रूण के बजाय दुष्कर्म पीड़िता की जिंदगी ज्यादा मायने रखती है। यह फैसला जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की सिंगल बेंच ने सुनाया।

कोर्ट ने निर्देश है दिया कि पीड़िता का गर्भपात मेडिकल टर्मिनेशन बोर्ड के मार्गदर्शन और चमोली के CMHO की निगरानी में होगा। यह प्रक्रिया 48 घंटे के भीतर होनी चाहिए। इस दौरान यदि पीड़िता के जीवन पर कोई जोखिम आता है तो इसे तुरंत रोक दिया जाए।

यह आदेश इसलिए अहम है, क्योंकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत सिर्फ 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी को ही नष्ट किया जा सकता है।

यह है पूरा मामला
गढ़वाल की 16 साल रेप पीड़िता ने पिता के जरिए 12 जनवरी को चमोली में IPC की धारा 376 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत FIR दर्ज कराई थी। पीड़िता की सोनोग्राफी के बाद 28 हफ्तों से ज्यादा की प्रेग्नेंसी सामने आई। जांच के बाद कहा गया कि मां की जान का जोखिम है इसलिए इस स्टेज में अबॉर्शन करना सही नहीं है। मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि 8 महीने का गर्भ अबॉर्ट करते हैं तो पीड़िता की जान जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेग्नेंसी की इस स्टेज में बच्चा असामान्य हो सकता है।

पीड़िता की वकील ने प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में ऐसे मामले में गर्भ समाप्ति की अनुमति दी थी जहां प्रेग्नेंसी का समय 25-26 हफ्ते थी। इसी साल शर्मिष्ठा चक्रवर्ती के केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने 26 हफ्ते की प्रेग्नेंसी को खत्म करने का आदेश दिया था। 2007 के एक केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने 13 साल की पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दी थी।

कोर्ट ने कहा कि जीने के अधिकार का मतलब जिंदा रहने या इंसान के अस्तित्व से कहीं ज्यादा है। इसमें मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल है। नाबालिग के पिता का कहना है कि उनकी बेटी प्रेग्नेंसी को कंटीन्यू करने की हालत में नहीं है। अगर गर्भपात की अनुमति मिली तो उसके शरीर और मन पर बेहद बुरा असर पड़ेगा।

बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि प्रजनन को विकल्प बनाने का अधिकार भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक पहलू है। साथ ही महिला खुद के जीवन को होने वाले खतरों से बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा सकती है।

मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा
कोर्ट ने कहा कि गर्भ के कारण होने वाली पीड़ा महिला की मेंटल हेल्थ पर चोट मानी जाएगी। ऐसे में यदि पीड़िता को प्रेग्नेंसी जारी रखने के लिए मजबूर करते हैं, तो यह संविधान के अनुसार यह उसके मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन होगा।

अगर बच्चा जिंदा पैदा होता है तो वह उसे क्या नाम देगी, उसका पालन पोषण कैसे करेगी, जबकि वह खुद नाबालिग है। वो अपने साथ हुए दुष्कर्म को कभी भी याद नहीं रखना चाहती। इसलिए प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन की इजाजत देना ही न्याय होगा।

UP: MBBS students seek permission from President Kovind for euthanasia

MBBS छात्रों ने इच्छामृत्यु के लिए राष्ट्रपति कोविंद से मांगी इजाजत


उत्तर प्रदेश के एमबीबीएस छात्रों ने कहा कि उन्हें अंधेरे में रखा गया था क्योंकि वे जिस कॉलेज में पढ़ रहे थे, उसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता नहीं दी गई थी।



उत्तर प्रदेश में तनाव तब बढ़ गया जब 12 एमबीबीएस छात्रों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने दावा किया कि शहर स्थित ग्लोकल मेडिकल कॉलेज ने 2016 में अपने एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए 66 छात्रों को प्रवेश दिया था, लेकिन केवल तीन महीनों में भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने संस्थान की मान्यता रद्द कर दी। आरोपों का जवाब देते हुए, अधिकारियों ने कहा कि वास्तव में, इन छात्रों की अपील पर एमसीआई ने कॉलेज को दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) को रद्द कर दिया था।

सहारनपुर में ग्लोकल यूनिवर्सिटी के 12 एमबीबीएस छात्रों ने यूनिवर्सिटी के मालिक और पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल पर उनका भविष्य बर्बाद करने का आरोप लगाया है। मंगलवार को जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे छात्रों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा और इच्छामृत्यु की मांग की।

छात्रों का आरोप है कि एमसीआई द्वारा यूनिवर्सिटी की मेडिकल मान्यता समाप्त करने के बाद भी पिछले चार साल में पढ़ाई के नाम पर उनसे 30 से 40 लाख रुपये लिए गए। इसी के तहत एमसीआई ने एक पत्र जारी कर सभी छात्रों को दूसरे मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर करने को कहा था, लेकिन यूनिवर्सिटी ने गुपचुप तरीके से छात्रों से फीस वसूल कर ली।

DNA test and finger print lab will be made in 4 medical colleges.

4 मेडिकल कॉलेजों में बनेगी डीएनए टेस्ट व फिंगर प्रिंट लैब





कोटा सहित प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेजों में अब डीएनए फिंगर प्रिंट लैब शुरू होगी। इसके बाद इन चारों मेडिकल कॉलेजों के स्तर पर विभिन्न आपराधिक मामलों में डीएनए टेस्ट किया जा सकेगा। प्रदेश में अब तक मेडिकल कॉलेज स्तर पर डीएनए टेस्टिंग की सुविधा नहीं है, पूरे स्टेट में सिर्फ जयपुर एफएसएल डीएनए करती है। इसके लिए राज्यभर के जिलों से पुलिस वहीं सैंपल भेजती है, जिसकी रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है।

अब सीएम की बजट घोषणा के तहत कोटा, जयपुर, जोधपुर व उदयपुर मेडिकल कॉलेजों में डीएनए फिंगर प्रिंट लैब शुरू की जा रही है, चाराें लैब के लिए 23.40 कराेड़ का बजट स्वीकृत किया गया है और जरूरी विशेषज्ञाें के पद भी सृजित किए गए हैं।

प्रत्येक लैब के लिए 4 साइंटिफिक ऑफिसर, 2 सूचना सहायक और एजेंसी के माध्यम से 4 सिक्योरिटी गार्ड के पद भी सृजित किए गए हैं। अन्य विशेषज्ञों की जरूरत मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध विशेषज्ञों से पूरी की जाएगी।

रेप, मर्डर और पितृत्व संबंधी केस में स्थानीय स्तर पर हाेगा डीएनए टेस्ट कोटा मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अशोक मूंदड़ा ने बताया कि लैब के खुलने के बाद रेप, मर्डर या अन्य मामलों में यहीं पर डीएनए टेस्ट कर पाएंगे, साथ ही किसी गुमशुदगी के मामले में भी डीएनए से पता लगाया जा सकेगा। अब तक डीएनए की सुविधा राज्य स्तर पर जयपुर एफएसएल में ही है, इसके अलावा कहीं नहीं है। मेडिकल कॉलेजों के स्तर पर पहली बार यह सुविधा विकसित की जा रही है। डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एक प्रयोगशाला तकनीक है, जिसका उपयोग आपराधिक जांच में जैविक साक्ष्य और एक संदिग्ध के बीच लिंक स्थापित करने के लिए किया जाता है।

52 years of age will not get educational benefits in Rajasthan

राजस्थान में 52 साल की उम्र तो नहीं मिलेगा शैक्षणिक लाभ





गहलोत सरकार ने राजकीय सेवा में रहते हुए शैक्षणिक अवकाश जाने वाले कार्मिकों को के लिए संशोधित सेवा नियम जारी किए है। इसके तहत 52 साल से अधिक उम्र वाले कार्मिकों को शैक्षणिक अवकाश नहीं दिया जाएगा। राज्य के वित्त विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है। वित्त विभाग के आदेशों के अनुसार ऐसे कार्मिक जो शैक्षणिक अवकाश पर जाना चाहते हैं उन्हें इस अवकाश की अनुमति शैक्षणिक कार्य की विभाग में उपयोगिता को देखते हुए  विभागीय अध्यक्ष के जरिए मिलेगी। इस अवकाश के बाद नौकरी प्रारंभ करने पर ही उसे इस अवकाश के दौरान मिलने वाली पेंशन व अन्य राजकीय सुविधा का लाभ मिलेगा। इसमें 52 साल से अधिक की उम्र के कार्मिक को शैक्षणिक अवकाश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

 

50 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त हो तो अनुभव में मिलेगी छूट

गहलोत सरकार ने सरकारी कार्यालयों मंत्रालयिक संवर्ग के पदों पर पदोन्नति के दौरान 50 फीसदी से अधिक पद रिक्त हो और अनुभव में छूट दिए जाने के बाद भी पद रिक्त रहते हैं तो उन पदों को भरने के लिए अनुभव में एक साल की अतिरिक्त छूट दी जाएगी। राज्य के कार्मिक विभाग ने आदेश जारी कर दिए है। कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार  मंत्रालयिक संवर्ग में त्यागपत्र या सेवानिवृत्ति के कारण पद खाली  होते हैं तो इन पदों में विभागीय समिति के जरिए पदोन्नति दी जाएगी। ऐसे में अगर अनुभव में छूट दिए जाने के बाद भी अगर पद खाली रहते हैं तो उन पदों के लिए अनुभव में एक साल की अतिरिक्त छूट का प्रावधान किया गया है। कार्मिक विभाग ने स्पष्ट किया है कि तमाम छूट के बाद अगर पद खाली रहे तो  ही विभाग इस प्रकार की कार्यवाही कर सकेगा। इस संबंध में नए संशोधन के तहत कार्मि विभाग ने सभी  विभागों को  आगामी  वित्तीय वर्ष 2022-23 में पदोन्नति के लिए निर्देश जारी किए है।

कर्मचारी को स्टडी लीव मिल सकेगी

गहलोत सरकार ने स्टडी और एक्स्ट्राऑर्डिनरी लीव के नियमों में अहम संशोधन किया है। आदेश में कहा गया है कि अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी जनहित से जुड़े उच्च अध्ययन की तैयारी करना चाहता है , तो उसे स्टडी लीव मिल सकेगी। हालांकि आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यह स्टडी लीव सिर्फ सरकारी कर्मचारी को ही मिलेगी. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि व्यक्तिगत उच्च अध्ययन या शोध के लिए यह स्टडी लीव नहीं ले सकता। इसके साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि 52 वर्ष से ऊपर की आयु वाले सरकारी कर्मचारी को स्टडी लीव नहीं दी जा सकती। शर्तों में यह भी कहा गया है कि जो भी कर्मचारी स्टडी लीव के लिए जा रहा है तो उसे लीव से लौटकर काम पर आने के बाद सेवानिवृत्ति में 5 साल बाकी रहने भी जरूरी हैं।