Blood crisis in Jaipur’s Sawai Mansingh Hospital

ब्लड बैंक खाली होने लगे हैं। निजी ब्लड बैंकों का बहुतायत में खुलना, ब्लड डोनेशन शिविरों में कई ब्लड बैंक को बुला लेना और ब्लड डोनेट नहीं करने सहित कई कारणों के चलते हालात इस स्थिति में पहुंच चुके हैं कि एसएमएस जैसे सरकारी ब्लड बैंक में एबी निगेटिव ब्लड ग्रुप है ही नहीं। ओ-निगेटिव महज दो यूनिट, एबी-पॉजिटिव 09, ए-निगेटिव 10 और बी-निगेटिव केवल 09 यूनिट ही बचा है। ब्लड बैंक में यह स्टोर बुधवार दोपहर 12 बजे तक था। ये ब्लड ग्रुप इमरजेंसी के लिए बचा कर रखे हैं और कॉमन सर्जरी या जरूरतमंद को मना किया जा रहा था। ब्लड की कमी को लेकर विशेष रिपाेर्ट।डोनेशन-सप्लाई में 12 हजार यूनिट से अधिक का फर्कअकेले एसएमएस में डोनेट और सप्लाई में 12 हजार यूनिट तक का फर्क है। एक जनवरी से 31 जुलाई तक महज 26,394 यूनिट ब्लड डोनेट हुआ, जबकि 38,960 यूनिट सप्लाई किया गया। यह सप्लाई अधिक ऐसे हो सकी कि एक यूनिट ब्लड से तीन-चार कंपोनेंट बनते हैं।

डिमांड बढ़ने से बढ़ी चिंता
छोटे-छाेटे ब्लड बैंक खोलने की वजह से परेशानी हुई है। कोशिश कर रहे हैं कि सभी जगह से ब्लड यहां पहुंचे। निशुल्क ब्लड की भी डिमांड बढ़ने से चिंता बनी हुई है। -डॉ. अमित शर्मा, इंचार्ज, ब्लड बैंक, एसएमएस।

कमी की बड़ी वजह ये

बिना किन्हीं प्लान के जिलेवार निजी छोटे-छोटे ब्लड बैंक खाेल दिए गए। ऐसे में सरकारी अस्पतालों में ब्लड बंद हो गया।
ब्लड बैंक की ओर से प्रलोभन (हेलमेट व अन्य) दिया जाता है और आर्गेनाइजर को 50 प्रतिशत तक नि:शुल्क ब्लड देने के लिए कहा जाता है। नतीजतन शिविरों का ब्लड निजी बैंक में जाता है और वहां से बेचा जाता है।
मई-जून-जुलाई में स्कूल-कॉलेज की छुट्टियां होती हैं तो तुलनात्मक रूप से कम कैंप लगते हैं और ब्लड की कमी हो जाती है।
कोई भी कैंप लगाता है तो कई ब्लड बैंक को बुला लेता है, नतीजतन एक बैंक के हिस्से में 15-25 यूनिट ही ब्लड आता है।6 घंटे बाद प्लाज्मा और आरबीसी ही मिलते हैं किसी भी ब्लड का छह घंटे में ब्लड बैंक तक पहुंचना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए कि समयावधि में पहुंचने से पीआरबीसी, एफएफपी, आरडीपी, एसडीपी, क्रायो, पेरसिपिटेट कंपोनेंट को काम में ले सकते हैं। छह घंटे बाद प्लाज्मा और आरबीसी ही मिलते हैं।इन मरीजों के लिए बड़ी जरूरत, इसलिए मांग बढ़ी थैलीसीमिया के सभी मरीजाें, कैंसर पेशेंट सहित कई बीमारियाें के लिए बिना डोनर के ब्लड दिया जाता है। एसएमएस में रोजाना थैलीसीमिया के 40 बच्चों को, कैंसर और छोटी बच्चियों को 10 से 12, एक्सीडेंट केसेज में 20-25 यूनिट ब्लड दिया जाता है।

एसएमएस में ये बचा है अलग-अलग ब्लड ग्रुप
ए-पॉजिटिव36
बी-पॉजिटिव48
ओ-पॉजिटिव57
एबी-पॉजिटिव09
ओ-निगेटिव02
एबी-निगेटिव00
बी-निगेटिव09
ए-निगेटिव10

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