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Free eye check-up camp organized by Jan Seva Samiti, Jaisalmer, 27 patients were examined, cataract was found in 7

18.06.2022
जन सेवा समिति,जैसलमेर व सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को आयोजित निशुल्क नेत्र जांच शिविर में 27 मरीजों की जांच कर परामर्श दिया। जिसमें 7 मरीजों के मोतियाबिंद पाया गया। प्रवक्ता अमृत भूतड़ा ने बताया सेठ राम टावरी नेत्र जांच केंद्र फलसूंड में शुक्रवार को आयोजित निशुल्क नेत्र जांच शिविर में मरीजों की आंखों की जांच ऑटोमेटिक जापानी मशीन द्वारा जांच कर परामर्श दिया गया,जिसमें नए मोतियाबिंद के मरीजों को 25 तारीख को जैसलमेर नगर में स्थित बिसानी नेत्र चिकित्सा केंद्र में लगने वाले निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर में नेत्र लेंस प्रत्यारोपण दिए जाएंगे। समिति के सचिव मांगीलाल डावर ने बताया कि जिनके कोविड-19 कि दोनों रोज लगी हुई है, उनके ही ऑपरेशन होंगे। 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के मरीजों को बूस्टर डोज भी लगाना आवश्यक है। समिति के अध्यक्ष डॉ.दाऊ लाल शर्मा ने बताया कि हर महीने की 25 तारीख को लगने वाले निशुल्क नेत्र चिकित्सा शिविरों में मोतियाबिंद के लेंस प्रत्यारोपण आपरेशन, दवाई, काला चश्मा आदि निशुल्क दिया जाता है

Doctors in the Department of Neuro Surgery of Mathuradas Mathur Hospital (MDMH), Jodhpur have succeeded in removing a lump of 18 cm from the spine of a young man by performing 3 hours of surgery.

17.06.2022
एमडीएमएच के न्यूरो सर्जरी विभाग में जैसलमेर निवासी 24 वर्षीय युवक की स्पाइनल कोड में 18 सेमी लंबा इंट्रा मेड्यूलरी ट्यूमर निकाला। विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गर्ग ने बताया कि युवक ओपीडी में पिछले चार माह से दोनों पैर में कमजोरी और सूनापन की शिकायत लेकर आया।एमडीएम में आने से पहले जैसलमेर में कई डॉक्टरों को दिखाकर इलाज ले चुका था, लेकिन राहत नहीं मिली। एमडीएम आने पर जांच कराई। मरीज की एमआरआई में ट्यूमर के होने की पुष्टि हुई। फिर परिजनों को ऑपरेशन की गंभीरता बताकर सहमति प्राप्त कर तीन घंटे ऑपरेशन किया और पूरी गांठ निकाली।डॉ. गर्ग ने बताया कि ऑपरेशन बहुत जटिल था। इंट्रा मेड्यूलरी ट्यूमर स्पाइन के बीचोबीच था। रीढ़ की हड्डी की डी 6 कोड से डी 12 कोड तक गांठ का विस्तार था। सामान्य तौर पर इतनी बढ़ी गांठ मैंने पहले नहीं देखी। ऐसे कई ऑपरेशन पूर्व में हमारे विभाग मेरे द्वारा किए गए, लेकिन यह बहुत बड़ी गांठ थी। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। एक-दो दिन आब्जर्वेशन में रखा है।न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गर्ग के नेतृत्व में डॉ. अखिलेश कुमार, डॉ. भाल सिंह के साथ निश्चेतना विभाग की डॉ. पूजा व उनकी टीम के अलावा नर्सिंग अधिकारी रेखा, सुनील राठौड़ और युवराज ने ऑपरेशन में सहयोग किया।

Cleanliness in MTH Women’s Hospital built at a cost of 50 crores in Indore, doctors and patients are troubled by foul smell

17.06.2022
एनएमसीएच में एक लैब टेक्नीशियन व एक जीएनएम की छात्रा के कोरोना पॉजिटिव होने से अस्पताल प्रशासन सतर्क हो गया है। दोनों को होम क्वारेंटाइन कर दिया गया है। प्राचार्य डॉ. एचएल महतो ने इसकी पुष्टि की है। एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ मुकुल कुमार सिंह ने बताया कि दोनों में बीमारी का लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर की सलाह पर आरटीपीसीआर जांच कराई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। यह हालात तब हैं, जब एमजीएम मेडिकल कॉलेज अपने अस्पतालों की सफाई और सुरक्षा सहित मेंटेनेंस पर हर माह एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करता है। 500 बेड के एमटीएच महिला अस्पताल का प्रोजेक्ट केंद्र सरकार नमंजूर किया था। इसे पूरा होने में 50 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसे शुरू हुए ज्यादा समय भी नहीं हुआ फिर हर छोटी-मोटी समस्या के लिए बार-बार पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों को बुलाते हैं।पिछले दिनों यहां पर ऑपरेशन इसलिए कैंसल किए गए थे, क्योंकि ओटी की नाली चोक हो गई थी। स्थिति अभी भी ऐसी ही है। यहां न ब्लड बैंक शुरू हो पाया और न स्टोरेज यूनिट बन पाई। मरीजों, उनके परिजन को विभिन्न तरह की जांच के लिए बार-बार एमवायएच की दौड़ लगाना पड़ती है।लगातार शिकायतें मिलने पर चोक हुई नाली व ड्रेनेज ठीक कर दी जाती है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही स्थिति बन जाती है। फिलहाल इस अस्पताल में 250 कर्मचारी हैं, अव्यवस्था देखकर तो यही लगता है कि ये भी कम पड़ने लगे हैं। नया अस्पताल होने से इसके लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है, यह भी कारण है कि यहां व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं।एमटीएच पहली बारिश ही नहीं झेल पाया था। निर्माण का जिम्मा प्लानिंग इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) को दिया गया था। इसने बिल्डिंग बनाने में ही सात साल से ज्यादा समय लगा दिया। काम की गुणवत्ता देखें तो पहली बारिश में ही तलघर में पानी भर गया था और लिफ्ट बंद करनी पड़ी थी। डेढ़ माह बाद फिर समस्याओं की बाढ़ आ गई। ठीक तरह से प्लंबिंग न होना भी यहां बड़ी समस्या है। जब मरीज शिकायत करते हैं तो पीडब्ल्यूडी को सूचना दे दी जाती है।

Health department has posted new place of 59 doctors and nursing workers in Sikar.

17.06.2022
स्वास्थ्य विभाग ने फैसला लेते हुए अधिशेष डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मियों का नई जगह पद स्थापन कर दिया है। यह जिले के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में पद ना होने के बावजूद कार्यरत थे। स्वास्थ्य विभाग में खाली पदों वाले स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्ति दी है। ज्यादातर का पदस्थापन ग्रामीण क्षेत्रों के सीएचसी-पीएचसी पर किया गया है। स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले से 13 डॉक्टरों को एसके अस्पताल छोड़कर फील्ड के स्वास्थ्य केंद्रों में ड्यूटी देनी होगी। जबकि 21 डॉक्टरों को खाली पदों वाले स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा है। 15 डॉक्टरों को दूसरे जिलों में नियुक्ति दी है। इनमें सबसे ज्यादा आठ डॉक्टरों को नागौर भेजा है। चार डॉक्टरों की नियुक्ति चूरू जिले के स्वास्थ्य केंद्र में हुई है तथा 2 को भरतपुर भेजा है। एक डॉक्टर की ड्यूटी हनुमानगढ़ लगाइ है। जबकि 22 नर्सिंगकर्मियों को भी अलग-अलग जगह पर भेजा है, नर्सिंगकर्मी भी अधिशेष थे। इसके चलते जिले की सीएचसी पीएचसी पर कार्यरत 20 डॉक्टरों को भी नई जगह जॉइन करना पड़ेगा।

Government Maharaj Tukojirao Kholkar (MTH) Hospital of Indore lost power due to rat entering the feeder, the hospital depended on generator for 6 hours

13.06.2022
सरकारी महाराज तुकोजीराव होलकर (एमटीएच) अस्पताल में शनिवार को अजीब स्थिति बन गई। अचानक बिजली गई तो जनरेटर शुरू हो गया, लेकिन इसके बाद जब बिजली वापस आई तब भी जनरेटर का बैकअप कट नहीं हुआ। बिजली का जो फीडर लगा है, वह चालू नहीं हुआ। डॉक्टर्स व स्टाफ परेशान होते रहे। स्थिति यह हो गई कि डीन को खुद रात को अस्पताल जाना पड़ा। करीब छह घंटे मशक्कत चली। फीडर को जांचा गया तब जाकर पता लगा कि उसमें चूहा घुस गया है।मेडिकल कॉलेज के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अफसरों को बार-बार फोन लगाते रहे। रात करीब साढ़े तीन बजे चूहा पकड़ में आया तब जाकर अस्पताल कर्मियों ने राहत की सांस ली। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का कहना है कि बार-बार बिजली फॉल्ट होने की सूचना मिली थी। जनरेटर चालू था, लेकिन फीडर में कुछ परेशानी थी, जिसके कारण ऐसी स्थिति बनी। मरीजों को कोई परेशानी नहीं हुई। हम सभी अस्पतालों में व्यवस्थाओं की जांच करवा रहे है।एमटीएच में बिजली फीडर के साथ जनरेटर भी उपलब्ध है। इसकी क्षमता आठ से दस घंटे की है। शनिवार को बारिश शुरू होने के करीब छह घंटे तक बिजली फॉल्ट बना रहा। जब फीडर से बिजली बैकअप नहीं आया तो सभी का ध्यान गया। यदि थोड़ी देर यही स्थिति रहती तो अस्पताल में सभी परेशानी में आ जाते। यहां रोजाना 70 से 80 प्रसव होेते हैं।

ACR/PAR Initiation and Hierarchy management

MBBS Will Now Be Taught In Hindi Medium Too In Madhya Pradesh