Case of irregularity in the name of lifting medical waste in Bhopal’s Hamidia Hospital

13.06.2022
मेडिकल वेस्ट जो कि हर अस्पताल से निकलता है, उनका निष्पादन समय पर होना जरूरी है जिसके लिए बहुत सी कंपनियां हैं जो अस्पतालों से मिली हुई रहती हैं और समय-समय पर मेडिकल वेस्ट को ले जाने का कार्य करती हैं। हमीदिया अस्पताल मैं मेडिकल वेस्ट उठाने के नाम पर ज्यादा पैसे लेने का मामला सामने आया है। 2 महीने पहले तक जो मेडिकल वेस्ट 4.25 रुपए में उठाया जा रहा था, अब उसके लिए रुपए चुकाये जा रहे हैं,इस तरह से कीमतों में 2 गुना से भी ज्यादा का अंतर है। वहीं, मेडिकल वेस्ट उठाने का काम कर रही कंपनी आई डब्ल्यू एम का कहना है कि डीजल समेत लेबर और गाड़ियों के ट्रैकिंग खर्च पर महंगाई की मार पड़ रही है, इसी वजह से मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन से लेकर उसका निष्पादन तक सब कुछ महंगा हो गया है। दरअसल अस्पताल से निकलने वाला मेडिकल वेस्ट इंसीनरेटर में जलाया जाता है। ऐसे में बहुत खर्चा आता है जिसकी वजह से यह रेट है बढ़ाई गई है।

Case of lack of space in dialysis center in Begusarai Sadar Hospital due to more patients

13.06.2022
गरीब मरीजों के लिए संजीवनी का काम कर रही सदर अस्पताल का डायलिसिस सेंटर अब मरीजों की संख्या को देखते हुए छोटा पड़ने लगा है। सात बेड वाले पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर पर रोजाना 23 मरीजों का डायलिसिस होता है। एक मरीज के डायलिसिस में तीन से चार घंटे लगते हैं तथा एक मरीज को सदर अस्पताल में डायलिसिस कराने से 40 हजार रुपए की बचत होती है।बलिया के शशिभूषण ने बताया कि 8 महीने से उनकी डायलिसिस हो रही है अगर मुझे प्राइवेट में डायलिसिस करानी पड़ती तो साढ़े तीन लाख से भी ज्यादा रुपए खर्च होते और मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि मैं इतना खर्च कर पाता। बेगूसराय जिला के अलावे खगड़िया, समस्तीपुर, सिमरी बख्तियारपुर, मोकामा, लखीसराय के किडनी मरीज डायलिसिस कराने पहुंच रहे है, जिसकी वजह से डायलिसिस के लिए 7 बेड भी अब कम पड़ने लगा है।इसको लेकर तीन डायलिसिस बेड लगाने के प्रस्ताव जगह की कमी के कारण ठंडा बस्ता में पड़ा हुआ है, तो दूसरी ओर किडनी के 10 मरीजों का बेड की कमी होने के कारण उनका डायलिसिस ही नहीं हो पा रहा है, क्योंकि पूर्व से 65 मरीज यहां नियमित रूप से सप्ताह में दो बार और कुछ मरीजों का सप्ताह में तीन बार डायलिसिस सेवा देनी पड़ रही है। साथ ही पांच हेपेटाइटिस सी से प्रभावित मरीजों को भी यहां निशुल्क डायलिसिस सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है।

Fish and rice will be fed door-to-door to TB patients under the pilot project of fish on wheel scheme in Muzaffarpur.

13.06.2022
राज्य से टीबी के पूरी तरह उन्मूलन के लिए कई स्तराें पर जाेरशाेर से काम चल रहा है। इसे लेकर सबसे पहले सभी टीबी मरीजाें की इम्युनिटी बढ़ा उन्हें स्वस्थ करने और उनके परिवार के सदस्याें काे संक्रमण से बचाने के लिए अभियान शुरू किया गया है। सरकार शीघ्र ही फिश ऑन व्हील याेजना ला रही है, जिसके तहत टीबी मरीजाें काे उनके घर पहुंचकर मछली-चावल खिलाया जाएगा।राज्य मत्स्यपालन विभाग अपने पायलट प्राेजेक्ट के तहत याेजना की शुरुआत पटना के 20 स्थानाें से करेगा। इसके बाद यह याेजना अन्य जिलाें में लागू हाेगी। बता दें कि 6 जून काे स्टेट टेक्निकल स्पाेर्ट यूनिट के स्टेट टीबीडीसी संजय चाैहान व डाॅ. संदीप साेनी व मत्स्य विभाग के निदेशक निसत अहमद की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति बनी। इसके साथ ही टीबी मरीजाें काे नि:शुल्क दूध देने की याेजना पर भी काम चल रहा है।कूपन ऑन ट्रीटमेंट टीबी पेशेंट नामक इस याेजना के तहत मरीजाें काे दूध के पैकेट नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। दरअसल, टीबी मरीजाें काे निश्चय पाेषण याेजना के तहत केंद्र सरकार 500 रुपए देती है। बिहार सरकार का मानना है कि इन मरीजाें काे सर्वाधिक जरूरत प्राेटीन की हाेती है जाे इतने कम रुपए में संभव नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार फिश ऑन व्हील और कूपन ऑन ट्रीटमेंट टीबी पेशेंट याेजना लाकर टीबी के पूरी तरह उन्मूलन में जुटी है। साथ ही उन्हें स्वराेजगार की मिलेगी ट्रेनिंग, टीबी बीमारी से लड़कर स्वस्थ हाे चुके व्यक्ति काे चैंपियन मान सरकार उन्हें स्वराेजगार से जाेड़ने की याेजना ला रही है। इसके तहत पशुपालन विभाग ने टीबी स्टेट टेक्निकल सपाेर्ट यूनिट से 40-40 चैंपियनाें का ग्रूप बनाकर प्रस्ताव मांगा है। विभाग का कहना है कि स्वराेजगार से जाेड़ने के लिए इनका बैच बनाकर मछली, बकरी और मुर्गीपालन की नि:शुल्क ट्रेनिंग दी जाएगी।दूसरी तरफ विभाग इस पर भी काम कर रहा है कि जाे टीबी मरीज जीविका से जुड़े हुए हैं उन्हें नि:शुल्क और जाे जीविका सदस्य नहीं हैं उन्हें 10 रुपए में 40-40 चूजा दिए जाएंगे। उद्देश्य है कि मरीज इनके बड़े हाेने पर इन्हें खाकर अपनी इम्युनिटी बढ़ा सकें।टीबी मरीजाें काे प्राेटीन की सर्वाधिक जरूरत हाेती है। इसके तहत फिशरी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर उन्हें नि:शुल्क मछली-चावल खिलाने की याेजना पर काम चल रहा है। इसके साथ ही टीबी से जीतकर स्वस्थ हाे चुके लाेगाें काे पशुपालन विभाग ट्रेनिंग देकर स्वराेजगार से जाेड़ेगा।

In a research conducted at Jaipur’s Women’s Hospital Sanganeri Gate and Janana Hospital Chandpol, a team of doctors administered umbilical cord blood to 168 critically ill newborns soon after birth, increased blood levels in 4 months, gave life

13.06.2022
कोख में बच्चे को नाभि के जरिए मां से जोड़ने वाली गर्भनाल को शिशु के जन्म के बाद काटकर फेंक दिया जाता है लेकिन चिकित्सा विज्ञान में हुए नए शोध के आधार पर गर्भनाल का खून नवजात के लिए संजीवनी साबित हो रहा है। जयपुर के महिला चिकित्सालय सांगानेरी गेट और जनाना अस्पताल चांदपोल में हुए शोध में जन्म के तुरन्त बाद 168 नवजात को गर्भनाल का खून चढ़ाया गया। चार माह बाद डॉक्टरों की टीम के शोध में खुलासा हुआ कि बच्चे में खून की कमी नहीं हुई।गंभीर हालत में भी बच्चे को आईसीयू में या ऑक्सीजन पर नहीं लेना पड़ा। साइड इफेक्ट भी नहीं मिला। टीम में डॉ. सुनील गोठवाल, डॉ. कैलाश मीणा, डॉ. आनंद कुमावत, डॉ. विवेक अडवानी शामिल रहे। यह शोध राष्ट्रीय स्तर के जर्नल ऑफ पेरिनेटोलोजी में अप्रेल-2022 में प्रकाशित हुआ है।

Dr. Shatrughan, a resident of Sakra village of Muzaffarpur, despite himself being a cancer patient, is rendering his service to other patients.

13.06.2022
जीवन में थोड़ी सी परेशानी से भी आदमी टूट जाता है और हार मान लेता है। लेकिन ऐसे घबराहट की स्थिति में भी नवादा के जाने-माने चिकित्सक डॉ. शत्रुघ्न सिंह परिचय देते हुए मरीजों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। 2 माह पहले उन्हें अपने कैंसर का पता लगा, जिस लिए उन्हें कीमोथेरेपी के लिए लगातार 15 दिन तक जरूरत पड़ेगी, उनका इलाज पटना व मुंबई के डॉक्टरों द्वारा चल रहा है। लेकिन ऐसे समय में भी वह अपने मरीजों से जुड़े हैं। हर रोज करीबन 25 मरीजों का राज कर रहे हैं। जीवन के प्रतिकूल स्थिति में भी उनके साहसपूर्ण कार्य के लिए उनके चाहने वालों के अलावा भी चिकित्सकगण उनकी तारीफ कर रहे हैं। डॉ. शत्रुघ्न का नवादा जिले से 47 से जुड़ाव है। डॉ. शत्रुघ्न 25 फ़ीसदी मरीजों के इलाज मुफ्त में करते हैं इसलिए जिले के लोग उन्हें अच्छी तरह जानते पहचानते हैं। उनका यहां के लोगों से एक आत्मीय लगाव है।

A woman suffered a heart attack during a hip transplant operation in a hospital in Barmer, doctors saved her life.

13.06.2022
बाड़मेर के एक अस्पताल में ऑपरेशन करते वक्त 83 वर्षीय वृद्धा की हार्ट अटैक आने से धड़कनें रुक गई। उस वक्त वहां मौजूद एनेस्थीसिया डॉक्टर्स टीम डॉ. जगदीश कुमावत, डॉ.महेश चौधरी तथा ऑपरेशन थिएटर स्टाफ ने सीपीआर देकर वृद्ध की सांसे वापस लाई और क्रिटिकल आईसीयू में 3 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा। हार्ट अटैक की वजह से वृद्ध महिला के किडनी भी कमजोर हो गई थी। वृद्ध महिला को 5 यूनिट खून भी चढ़ाया गया। 13 दिन के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज अब बिल्कुल स्वस्थ हैं। परिजनों ने बिल्कुल आशा ही छोड़ दी थी, परंतु अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने वृद्धा को एक नया जीवनदान दिया है

New covid guidelines issued in Chhattisgarh, mask and social distance necessary

11.06.2022
कोरोना संक्रमण की वापसी के खतरे को देखते हुए छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में लगभग 3 माह बाद कोरोना की गाइडलाइन फिर जारी कर दी गई है। हालांकि शुरुआती तौर पर इसमें सख्ती और बंद जैसे कदमों का उल्लेख नहीं है, केवल एहतियात बरतने के ही निर्देश हैं। इस गाइडलाइन में भीड़भाड़ और सरकारी दफ्तरों में मास्क का सख्ती से पालन अनिवार्य कर दिया गया है।जहां भीड़ है, वहां सोशल-फिजिकल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरी) भी जरूरी की गई है। इसके अलावा, अस्पतालों में ओपीडी और भर्ती मरीजों की कोरोना जांच भी अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि इसकी अनिवार्यता अब भी है, लेकिन कोविड संक्रमण बहुत कम होने की वजह से जांच नजरअंदाज की जा रही थी पहली लहर से ये ट्रेंड देखने में आया है कि लोग कोरोना की जांच करवाने से बचते हैं। ऐसे में अस्पतालों पर फोकस किया गया है। लोग किसी न किसी कारण से अस्पतालों में इलाज करवाने जाते हैं। वहां ओपीडी खासतौर पर आईपीडी यानी अस्पताल में भर्ती मरीज की जांच अनिवार्य कर दी गई है। जानकारों का कहना है अस्पताल में भर्ती मरीजों को मजबूरी में जांच करवानी होगी। वहां जांच होने से टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ जाएगा।

Case of locking of 3 sub health centers due to lack of staff in three villages of Mandar area of ​​Abu Road

11.06.2022
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अनदेखी की वजह से आम लोगों को परेशान होना पड़ रहा है।उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में गर्मी ने दस्तक दे दी है जिससे विभिन्न बीमारियों के मरीज बढ़ गए है। सीतापुरा, रामपुरा और सोणाली गांव में संचालित उपस्वास्थ्य केंद्र पर कुछ महीने पहले तक एनएम पद पर कर्मचारी लगे हुए थे, जिस का तबादला कर देने के कारण अब तीनों केंद्रों पर ताले लगाने की नौबत आ गई। बीसीएमओ डॉ.रितेश सांखला की तरफ से विभाग के अधिकारियों को कई बार इस मामले की जानकारी देकर एनएम लगाने की मांग करने के बाद भी यहां किसी की पोस्ट नहीं दी गई है।लाखों रुपए खर्च करके भवन बनवाए गए थे,लेकिन कर्मचारी नहीं होने के कारण सभी भवन बेकार पड़े हैं।इन भवनों में सभी उपकरण और मेडिकल किट रखे हुए हैं जो धूल खा रहे हैं। इन उप- स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लगे होने की वजह से गांव वालों को अपने इलाज के लिए दूर स्थित सरकारी अस्पताल जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

Those who have made excellent contribution in the field of blood donation will be honored on World Blood Donor Day in Patna.

11.06.2022
14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस पर स्वैच्छिक रक्तदान से जुड़े लोगों, रक्त केन्द्रों एवं रक्तदान शिविर आयोजकों को उनके उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए सम्मानित किया जाएगा। इसके लिए एक अप्रैल 2021 से 30 अप्रैल 2022 की अवधि में चार बार स्वैच्छिक रक्तदान करने वाले पुरुष और तीन बार रक्तदान करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही वित्तीय वर्ष 2021-22 में अधिकतम स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाने वाली संस्थाओं को भी पटना में सम्मानित किया जाएगा।स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि इसके लिए सभी संस्थाओं को प्रति शिविर कम से कम 30 रक्त ईकाई संग्रहित करने का प्रमाण होना जरूरी है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2021-22 में थैलेसिमिया मरीजों के लिए रक्त ईकाई उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं को भी स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा सम्मानित किया जाएगा। इसी दिन दो रक्त संग्रहण अधिकोष चलंत बस, क्रमशः जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल, भागलपुर एवं श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल, मुजफ्फरपुर के लिए स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हरी झंडी दिखायी जायेगी। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित ब्लड बैंकों में वित्तीय वर्ष 2021-2022 में कुल एक लाख 64 हजार 368 यूनिट रक्त का संग्रहित किया गया। इसके लिए विभाग की ओर से पूरे साल भर में 811 शिविर लगाए गए। प्रदेश में अबतक कुल छह हजार 743 पंजीकृत रक्तदाता कार्ड बनाए गए हैं। प्रदेश में कुल 103 ब्लड बैंक क्रियाशील है, जिसमें 43 सरकारी तथा छह रेड क्रॉस समर्थित एवं 54 अन्य ब्लड बैंक कार्यरत हैं। सभी ब्लड बैंकों को ऑनलाइन कर दिया गया है, ताकि ऐसे रक्त केंन्द्रों से रक्त एवं रक्त अवयव की उपलब्धता की जानकारी ई-रक्तकोष एप से प्राप्त किया जा सके।मंगल पांडेय ने कहा कि 12 जिलों में 33 बल्ड सेपरेशन यूनिट लगाये गये हैं। पटना में 16, मुजफ्फरपुर में तीन, पूर्णिया में तीन, दरभंगा में दो, नालंदा में दो एवं भागलपुर, कटिहार, किशनगज, मधुबनी, रोहतास, सीतामढ़ी और मुंगेर में एक-एक बल्ड सेपरेशन यूनिट लगाये गये हैं। बल्ड सेपरेशन यूनिट लगाकर लोगों को सहजता से प्लेटलेट्स, प्लाजमा एवं रेड ब्लड सेल अलग-अलग उपलब्ध हो सके, इसकी व्यवस्था की जा रही है। आने वाले समय में सभी जिलों में इसकी व्यवस्था करायी जायेगी। ऐसे में ब्लड बैंकों में रक्त की पर्याप्त उपलब्धता कई मरीजों के लिए जीवनदायनी साबित होगी।

During the operation in Patna’s All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), cotton was left in the stomach of the female doctor, creating a ruckus

11.06.2022
पटना. राजधानी पटना स्थित एम्स अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में रुई छोड़ने का मामला सामने आया है। ऑपरेशन के नौ माह बाद टांका टूटने और दर्द होने के बाद अल्ट्रा साउंड जांच कराई तो पेट के अंदर रुई होने की बात सामने आई। इसके बाद पीड़ित मरीज के परिजनों ने शुक्रवार को अस्पताल के प्रसूति रोग विभाग में हंगामा किया। विभागाध्यक्ष पर लापरवाही बरतने और मरीज की जान से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से फुलवारी थाने में लिखित आवेदन दिया गया है। सूचना पर फुलवारीशरीफ थानाध्यक्ष एकरार अहमद पहुंचे। किसी तरह समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया।मिली जानकारी के अनुसार, पीड़ित महिला पूजा कुमारी दानापुर इलाके की सगुना मोड़ की रहने वाली है। वह अनुमंडलीय अस्पताल मसौढ़ी में मेडिकल ऑफिसर है। बताया कि 14 सितंबर 2021 को पटना एम्स में ऑपरेशन से डिलीवरी हुई थी। एचओडी सह डीन डॉ. हिमाली व उनकी टीम ने डिलीवरी कराई थी। ऑपरेशन के 15 दिनों बाद टांका पक गया तो एम्स दिखाने आयी। इसपर डॉ. हिमानी ने फटकार लगाते हुए कहा कि लापरवाही की वजह से टांका पक गया।अब जब परेशानी बढ़ी व पेट में दर्द रहने लगा और लगातार ब्लीडिंग की शिकायत होने पर 8 माह बाद अल्ट्रा साउंड कराया। पेट में 5.6 सेमी की रुई मिली। एम्स पहुंच इसकी जानकारी डॉक्टर को दी तो यहां भी अल्ट्रा साउंड हुआ तो उसकी रिपोर्ट में भी पेट में रुई मिली। जांच रिपोर्ट में पेशाब के रास्ते और बच्चेदानी के बीच में जख्म जैसा बन गया है। पूजा कुमारी ने फुलवारी थाने में शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है। एम्स प्रशासन से भी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसकी शिकायत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से करने की भी चेतावनी दी है।