Patients suffering from Thalassemia disease are wandering here and there for a medicine named ‘Kelfer-500’ at Sawai Mansingh Hospital (SMS), Jaipur.

28.06.2022
एक तरफ सरकार ब्लड की कमी से होने वाली बीमारियों थैलेसीमिया, हिमोफीलिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित मरीजों को इलाज की निशुल्क सुविधा देने का दावे कर रही है, वहीं एसएमएस जयपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर समेत कोटा मेडिकल कॉलेज में थैलेसीमिया बीमारी से जूझ रहे मरीज ‘केल्फर-500’ नामक दवा के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं।इसे डेफ्रीप्रोन के नाम से भी जाना जाता है। आयरन की मात्रा बढ़ने पर नियंत्रण करने वाली केल्फर-500 दवा ही जीवन बचाने का सहारा है। दवा समय पर नहीं लेने पर शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ने पर हर समय मरीज को जान को खतरा रहता है। इधर, आरएमएससीएल के अधिकारियों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल लोकल स्तर पर खरीद कर मरीजों को उपलब्ध करा सकते हैं।

आयरन की मात्रा को कम करने में मददगार
डॉक्टरों के अनुसार जीवनरक्षक दवा को आयरन चिलेटिंग के नाम से भी जानते हैं। यह शरीर में आयरन की मात्रा को कम करती है। थैलेसीमिया मरीजों को खून चढ़ाने के बाद उनके शरीर में आयरन की मात्रा अधिक हो जाती है। जिससे किडनी, लिवर और हार्ट जाम होने से फेल्योर होने की अधिक आशंका रहती है।

सवाई मानसिंह अस्पताल में थैलेसीमिया के रोज 15 से 20 मरीज
15 से 20 मरीज केल्फर-500 दवा की जरूरत वाले एसएमएस अस्पताल में रोजाना।
1000 के पार हुई प्रदेश भर में थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीजों की।
70 से ज्यादा मरीज अकेले जयपुर में।

मरीजों ने बयां किए अपने दर्द
वैशाली नगर निवासी रजत, मालवीय नगर के राहुल, दिल्ली रोड निवासी मितुल और भूमि का कहना है कि एसएमएस समेत अन्य अस्पतालों में पहले तो दवा नहीं मिलती। फिर खून चढ़ाने के लिए की जाने वाली औपचारिकता के चलते हाथ-पांव फूलने लगते है। रजिस्ट्रेशन से लेकर खून चढ़ाने तक प्राेसीजर में 3 से 4 घंटे लग जाते हैं।

⇓ Share post on Whatsapp & Facebook  ⇓

Facebook Comments