Poor Health System in All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Patna even after 10 years, all departments could not be functioning

05.07.2022

पटना एम्स की स्थापना 2012 में हुई। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी और ट्रॉमा सेंटर की भी सुविधा बहाल हो गई। लेकिन लगभग 10 साल पूरे हो जाने के बाद भी यहां सभी विभाग कार्यरत नहीं हो पाए हैं। विशेषकर सुपर स्पेशियलिटी विभाग। रोलॉजी, हेमेटोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी का सुपर स्पेशियलिटी विभाग अबतक चालू नहीं हो पाया है। सभी विभागों की चिकित्सकीय सुविधाएं इतने बड़े अस्पताल में नहीं मिलने से राज्य के मरीजों में मायूसी व्याप्त है।मरीज आते हैं इलाज कराने, पर विभाग में सुविधा नहीं होने से उन्हें बैरंग लौट जाना पड़ता है और अन्यत्र इलाज कराना उनकी मजबूरी होती है। मरीज को लगता है कि एम्स में जो चिकित्सकीय सुविधा हैं वह विशेषज्ञता वाली है। इसी लालच में मरीज इलाज के लिए इंतजार करते हैं या इलाज के लिए यहां पहुंच जाते हैं। एम्स के हर कार्यरत विभागों के ओपीडी में मरीजों की भीड़ है। यदि इन चार विभागों में चिकित्सक होते यहां भी मरीज की भीड़ रहती है। एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में दो चिकित्सकों के ज्वाइन करने से हार्ट के मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा मिलने लगी है। एम्स की सेवा बीते 10 साल से राज्य के जनता मिल रही है। जबकि सुपर स्पेशियलिटी विभागों की सुविधा 2017 से मिलनी शुरू हुई है। पर अभी तक चार सुपर स्पेशियलिटी विभागों की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकी है। बीच में न्यूरोलॉजी और हेमेटोलॉजी विभाग की सुविधा बहाल हुई थी। पर चिकित्सक एम्स छोड़कर दूसरे अस्पताल चले गए।इन सुपर स्पेशियलिटी विभागों में न्यूरोलॉजी, हेमेटोलॉजी, इंडोक्राइनोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग शामिल है। इन सुपर स्पेशियलिटी विभागों में चिकित्सक ही नहीं है। ये चारों विभाग आज की तारीख में महत्वपूर्ण विभाग हैं।इन विभागों में मरीजों की संख्या भी अधिक है। इंडोक्राइनोलॉजी विभाग में ब्लड शुगर , थायराइड आदि का इलाज होता है जबकि नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। वहीं न्यूरोलॉजी में ब्रेन संबंधित और हेमेटोलॉजी विभाग में ब्लड कैंसर संबंधित बीमारियों का इलाज होता है। इन चारों में विभागों में हर अस्पताल में मरीजों की संख्या अधिक है।
कई डॉक्टरों ने ज्वाइन किया और कुछ दिन बाद चले गए
वैसे पटना एम्स में कई चिकित्सक ज्वाइन किए और कुछ दिन तक अपनी सेवा देने के बाद छोड़ कर अन्य जगह चले भी गए। यहां तो ट्रांसप्लांट करने वाले सर्जन भी ज्वाइन कर चुके थे। पर विभाग में ढांचागत सुविधाएं बहाल नहीं होने से छोड़कर चले गए।बताया जा रहा है कि चिकित्सकों की कमी की वजह से विभागों में चिकित्सकीय सुविधा बहाल नहीं हो सकी है। पटना एम्स की स्थिति यह है कि यहां चिकित्सकों के 305 पद स्वीकृत हैं जबकि यहां वर्तमान में सिर्फ 135 चिकित्सक की कार्यरत हैं। चिकित्सकों की भारी कमी है। इस बीच एम्स नए निदेशक ने पदभार संभाला लिया है। पुराने निदेशक का कार्यकाल खत्म होने के बाद देवघर एम्स के निदेशक को पटना एम्स का कार्यकारी निदेशक बनाया गया था।

निदेशक बोले-सुविधा जल्द
नए निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल का कहना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्द ही इन विभागों में फैकल्टी का सेलेक्शन का काम पूरा हो जाएगा। फैकल्टी की नियुक्ति होते ही इन चार विभागों की चिकित्सकीय सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी। मंगलवार को फैकल्टी की नियुक्ति से संबंधित बैठक भी करेंगे। निदेशक ने कहा कि बाकी विभागों में फैकल्टी की कमी है। उसकी भी जल्द भरपाई होगी।

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