Fake payment of 15 lakhs every month in the name of medical camp in Banswara, doctors nor staff in mobile medical van

18.07.2022
बांसवाड़ा जिले में चल रही मोबाइल मेडिकल वैन के कैंपों में बड़े स्तर पर लापरवाही और अनियमितता बरती जा रही है। जिसका फायदा उठाकर चिकित्सा विभाग और वैन संचालित करने वाली फर्म द्वारा फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। इसी फर्जीवाड़े में हर महीने लाखाें रुपए के बिल का भुगतान हाे रहा है। जबकि माैके पर चिकित्सा कैंप सभी सुविधाएं मरीजों काे नहीं मिल रही हैं। सुविधाएं ताे दूर यहां कैंपों में डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं हाे रहे। जांच के लिए नर्सिंग स्टाफ और लैब टेक्नीशियन तक नहीं हैं। इसके बाद भी ब्लॉकस्तर पर बीसीएमओ द्वारा फर्जी वेरीफिकेशन कर वैन संचालित करने वाली फर्म काे हर महीने 15 से 16 लाख रुपए तक का भुगतान किया जा रहा है। वहीं दवाओं का 1 से 1.10 लाख रुपए तक का अतिरिक्त भुगतान हाे रहा है। इसमें विभाग स्तर पर भी कमीशन लेने की आशंका है।कारण यह है ऐसे कैंपों की जानकारी अधिक से अधिक लाेगाें काे मिले, लेकिन चिकित्सा विभाग द्वारा मोबाइल वैन काे लेकर काेई प्रेस रिपोर्ट जारी नहीं की गई। इधर, जब भास्कर टीम ने विभाग से हर ब्लाॅक से मासिक कैंप डिटेल मांगी ताे अफसरों ने इनकार कर दिया। इसके बावजूद भास्कर टीम ने परतापुर और अरथूना ब्लाॅक के कैंप डिटेल निकालकर दाैरा किया ताे कैंप के नाम पर औपचारिकता की जा रही है। जिले में 11 ब्लाॅक में हर महीने अलग-अलग जगहों पर कैंप लगाए जाते हैं। इन कैंपों में जहां कई कैंप में न ताे डॉक्टर हाेते हैं न ताे नर्सिंग स्टाफ, महज 8 से 10 प्रकार की दवाएं वैन में लाकर ओपीडी पर्ची मरीज की बनाकर उन्हें थमा दी जाती है।

अरथूना ब्लॉक में शिविर लगाया, लेकिन कहीं दवाएं ताे कहीं उपकरण कम

7 जुलाई, छाेटी बस्सी अरथूना : अरथूना ब्लाॅक के छाेटी बस्सी में मोबाइल मेडिकल वैन में न काेई डॉक्टर था न ही काेई नर्सिंग स्टाफ। यहां तक की मरीजों की जांच के लिए लैब टेक्नीशियन तक उपलब्ध नहीं थे। दोपहर 12 बजे तक कैंप में सिर्फ 6 मरीजों की ही ओपीडी पर्ची कटी थी। माैके पर ओपीडी रजिस्टर भी नहीं मिला। ड्राइवर सहित अन्य कार्मिक था, उन्होंने बताया कि वैन में सिर्फ 20 तरह की दवाएं ही उपलब्ध हैं। वहीं जांच के लिए पर्याप्त मशीन भी उपलब्ध नहीं थे।

9 जुलाई, हताेड़िया : यहां मोबाइल मेडिकल वैन कैंप स्थल पर निजी फर्म द्वारा लगाए स्टाफ में डॉ. मनाेहर मीणा, एक अन्य स्टाफ और एक ड्राइवर ही थे। माैके पर चिकित्सा विभाग की ओर से एएनएम की उपस्थिति जरूरी हाेती है, लेकिन विभाग का काेई कार्मिक नहीं मिला। यहां ब्लड प्रेशर जांच का मशीन ही खराब पड़ा मिला। मेडिकल स्टॉक रजिस्टर भी नहीं मिला। डॉक्टर से बात कि ताे बताया कि 70 की जगह 40 प्रकार की दवाएं ही उपलब्ध हैं।

11 जुलाई, हड़मतिया : हड़मतियां गांव में पहुंची मोबाइल मेडिकल वैन में एक कार्मिक राजेश खराड़ी मौजूद था। जिसके साथ में एक अन्य व्यक्ति जाे खुद काे डॉक्टर बता रहा था, लेकिन किसी भी स्टाफ के पास पद और डिग्री काे दिखाता काेई अाईडी कार्ड नहीं था। यहां पर भी छाेटी बस्सी की तरह जांच उपकरण ताे कम थे ही, दवाओं की संख्या भी बहुत कम थी। यहां पर 12 बजे तक एक भी मरीज नहीं पहुंचा था। इसके थोड़ी देर बाद मौजूद दोनों कार्मिक भी वहां से चले गए। वह केवल दो डब्बे में ही दवाएं लेकर आए थे।

शिविर लगाने और भुगतान के नियम : मेडिकल मोबाइल वैन की ओर से हर महीने एक ब्लॉक में 20 शिविर का शैड्यूल तैयार किया जाता है। एक दिन पहले उस गांव में शिविर की सूचना दी जाती है। इसकी एवज में सरकारी वैन होने पर 1 लाख 34 हजार 500 रुपए प्रति वाहन मासिक भुगतान का प्रावधान है। अगर गाड़ी कंपनी की है तो 1.49 लाख रुपए प्रति वाहन मासिक भुगतान किया जाता है। इसमें डॉक्टर, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट व नर्सिंग कर्मी होना जरूरी है। वैन में 70 प्रकार की दवाएं हाेना जरूर हैं।

मई-21 से फरवरी-22 तक भुगतान

माह वाहन भुगतान दवाओं का भुगतान
मई 1038012 105212

जून 1583550 104904

जुलाई 1583550 104567

अगस्त 1450550 105450

सितंबर 1585050 जानकारी नहीं मिली

अक्टूबर 1585050 104273

नवंबर 1585050 105402

दिसंबर 1585050 108306

जनवरी 1585050 109286

फरवरी 1585050 109194

बांसवाड़ा में हमारी सभी वाहनों पर जीपीएस है और हम जाेधपुर से मॉनिटरिंग करते हैं। वहां हर कैंप के फाेटाे हमें मिलते हैं। ऐसे में काेई समस्या नहीं है। फिर भी ऐसी काेई समस्या बता रहे हैं ताे उसमें सुधार करेंगे। डॉक्टर और स्टाफ की मौजूदगी सुनिश्चित करेंगे। -सुरेंद्र भंडारी, मैनेजिंग ट्रस्टी, परमात्माचंद भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट

^कैंप प्लान पूरा ब्लाॅक लेवल से ही तैयार हाेता है। मॉनिटरिंग बीसीएमओ स्तर पर ही की जाती है। जिसकी रिपोर्ट हमें बाद में भेजते हैं। ऐसा है ताे कल ही जांच कराएंगे। – डॉ. एचएल ताबियार, सीएमएचओ

⇓ Share post on Whatsapp & Facebook  ⇓

Facebook Comments